दोस्तो, आपने सिनच्यांग के दौरे के हमारे कार्यक्रम में एक छोटे शहर हथ्येन का नाम सुना होगा। शायद आप को यह भी मालूम हो कि उत्तर-पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश में स्थित यह शहर प्राचीन रेशम मार्ग का महत्वपूर्ण कस्बा और जेड का उत्पादक होने की वजह से विश्वविख्यात है। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ यह प्रसिद्ध शहर देखने चलते हैं।
हथ्येन शहर सिन्च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस का पुराना नाम यूथ्येन था। हम सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के प्रसिद्ध तारिम बेसिन में 5 सौ 22 किलोमीटर लम्बी रेगिस्तानी सड़क नापने के बाद बेसिन के दक्षिणी भाग में स्थित हथ्येन पहुंचे। इस छोटे से शहर के अधिकतर निवासी इस्लाम धर्म पर विश्वास करने वाले वेवुर लोग हैं। यह चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार का पुराना केंद्र भी रहा। इतिहासविदों के अनुसार यूथ्येन पूर्व व पश्चिम को जोड़ने वाले रेशम मार्ग का एक महत्वपूर्ण कस्बा था और भारत से चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार का प्रथम पड़ाव भी। बौद्ध धर्म ईसापूर्व पहली शताब्दी में भारत से चीन के हथ्येन आया। उस समय बौद्ध धर्म के अपने उत्थान पर होने के चलते हथ्येन के सभी निवासी इस धर्म पर विश्वास करने लगे और हथ्येन बाहर के अनगिनत भिक्षुओं और विद्वानों का आकर्षण केंद्र बना। आज चीन के भीतरी इलाकों में सुरक्षित चीनी भाषा में अनुदित अनेक महत्वपूर्ण बौद्ध सूत्रों की मूल रचनाएं इसी क्षेत्र में पायी जाती हैं। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र की खुदाई में बड़ी तादाद में मिले बौद्ध धर्म के भवनों के खंडहर और बौद्ध धर्म की हजार साल पुरानी सांस्कृतिक कृतियां भी बेहद आश्चर्यजनक हैं। हथ्येन में रहने वाली सुश्री त्वानली ने बड़े गर्व के साथ हथ्येन के पास स्थित प्राचीन शहर निया का परिचय दिया कोई दो हजार दो सौ वर्ष पहले के हान राजवंश काल के ऐतिहासिक ग्रंथ में प्राचीन शहर हथ्येन का उल्लेख मिलता है। पिछली शताब्दी के तीस वाले दशक में एक अंग्रेज ने ताकलामाकन रेगिस्तान के सर्वेक्षण के दौरान निया के खंडहरों का पता लगाया।
हथ्येन का सब से प्रसिद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक दर्शनीय स्थल पूर्व के पाम्पाई नगर के नाम से मशहूर निया का खंडहर ही है। निया आज से दो हजार साल पहले प्राचीन रेशम मार्ग के दक्षिणी पथ पर स्थित एक रौनकभरा नगर था। अज्ञात कारणों से यह प्राचीन शहर एक ही रात में नष्ट हो कर लुप्त हो गया। निया के खंडहरों में अब तक बहुत से मकान उसी हालत में सुरक्षित हैं, जिस हालत में उन के मालिक उन्हें त्याग कर चले गए थे। किसी मकान की खिड़की अधखुली हालत में है, तो किसी का दरवाजा खुला दिखता है। लगता है कि उन के मालिक किसी भी क्षण वापस आ सकते हैं।
हालांकि यह प्राचीन रौनकदार शहर एक ही रात में लुप्त हो गया, पर रेतों में दबा इसका खंडहर आज तक लोगों को एक मर्मस्पर्शी कहानी सुनाता है। हथ्येन में रेशम उद्योग फलता-फूलता देखा जा सकता है। एक रेशमी कपड़ा मिल में हमारी मुलाकात एक पाकिस्तानी पर्यटक नौनिहल शाह से हुई। उन्हों ने बताया कि पाकिस्तान सिन्यांग के बहुत नजदीक है। यहां बनी रेशम की कालीनें जैसी कलात्मक वस्तुएं बहुत पहले से हमारे देश में चर्चित रही हैं। मुझे याद है कि हमारे यहां किसी परिवार में यहां का रेशमी कालीन होना बड़े गर्व की बात मानी जाती थी। इस मिल में मैं इतने अधिक सुंदर रेशमी उत्पाद देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं। जी हां, हथ्येन में उत्पादित उच्च कोटि के रेशम उत्पाद रेशम मार्ग के पास के बहुत से देशों में बेचे जाते हैं।
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