बा सोंग त्सो झील का नाम त्सो गाओ भी है। यह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफ़ैक्चर की कूंग बू च्यांग दा काउंटी से पचास किलोमीटर दूर स्थित बा ह नदी के पहाड़ी क्षेत्र में बसी है। तिब्बती भाषा में "त्सो" का मतलब है झील और बा सोंग त्सो का मतलब है "हरे रंग का पानी "। यह झील समुद्र की सतह से कोई तीन हज़ार सात सौ मीटर ऊंची है और इस का क्षेत्रफल छबीस वर्ग किलोमीटर है। तिब्बती बौद्ध धर्म के लाल संप्रदाय के एक पवित्र स्थल के रूप में विख्यात इस झील को देखने हर साल अनगिनत तिब्बती बंधु आते हैं।
बा सोंग त्सो झील के केंद्र में स्थित जा शी द्वीप पर एक छोटा सा मठ खड़ा है , जिस का क्षेत्रफल दो सौ वर्गमीटर से कुछ कम है। मठ का नाम है "त्सो जोंग मठ"। तिब्बती भाषा में "त्सो जोंग" का मतलब है झील के केंद्र में स्थित किला। इस मठ की स्थापना तिब्बती बौद्ध धर्म के निंग मा संप्रदाय के भिक्षु सांग जे लिन बा ने की और वह कोई 600 वर्ष पुराना है। मठ में भारतीय भिक्षु पद्मसंभव की मूर्ति की पूजा की जाती है । हर वर्ष बड़ी संख्या में तिब्बती बौद्ध अनुयायी यहां आते हैं।
तिब्बती पंचांग में अप्रैल माह सागादावा कहलाता है। कहा जाता है कि बौद्ध धर्म के प्रवर्तक शाक्यमुनि के जन्म, महाबुद्ध बनने और निर्वाण पाने की तिथि तिब्बती पंचाग के अनुसार सागादावा माह के पंद्रहवें दिन पड़ती है। इसलिए तिब्बती लोग अपने पंचांग के अनुसार, हर वर्ष सागादावा माह में महाबुद्ध की स्मृति में विविध गतिविधियां आयोजित करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी बा सोंग त्सो झील के केंद्र में स्थित जा शी द्वीप के त्सो जोंग मठ आकर पूजा करते हैं और सूत्र पढ़ते इसके चक्कर काटते हैं। तिब्बती पंचांग के सागादावा माह में त्सो जोंग मठ आने वाले तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है।
तिब्बती महिला प्यान मा त्वे जन पूजा करने के लिए सागादावा माह के शुरू में ही त्सो जोंग मठ आ पहुंचती हैं। वे हर दिन सूत्र पढ़ते हुए मठ का चक्कर काटती हैं और मठ में भारतीय भिक्षु पद्मसंभव की मूर्ति की पूजा करती हैं । प्यान मा त्वे जन कहा कि उन की यह पूजा सागादावा माह के अंत तक जारी रहेगी।
प्यान मा त्वे जन सूत्र पढ़ने और पूजा करने जैसी गतिविधियों से उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना करती हैं।
बा सोंग त्सो झील तिब्बती बौद्ध अनुयायियों का पवित्र स्थल ही नहीं, पर्यटकों के पसंदीदा जगह और फ़ोटोग्राफ़रों का स्वर्ग भी मानी जाती है। दक्षिण-पश्चिमी चीन के क्वे चो प्रांत के क्वो चो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर चांग बिंग त्सेन को फ़ोटो खींचने का शौक है । रिटायर होने के बाद वे हांगकांग मिंग च्या नामक फ़ोटो खींचने वाले दल में शामिल हुए। इस बार श्री चांग अपने साथियों के साथ तिब्बत आए। उन्होंने कहा कि बा सोंग त्सो झील की यात्रा के दौरान उन्होंने एक अविस्मरणीय समय बिताया और उस के प्राकृतिक सौंदर्य और विशेष धार्मिक संस्कृति से वे बड़े आकृष्ट हुए। श्री चांग ने कहा
"यह झील समुद्र की सतह से बहुत ऊंचे पठार पर स्थित है , जो आसपास बर्फीले पहाड़ से घिरा हुआ है। ऐसा विशेष दृश्य पूरे देश में कम ही दिखता है। झील का पानी इतना स्वच्छ है और उस का रंग इतना हरा है कि मुझे बहुत अच्छा लगा । इस के अलावा, द्वीप पर स्थित मठ में लिंग की पूजा होती है। वह भी मुझे बहुत विशेष लगती है।"
बा सोंग त्सो झील की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या मई से अक्तूबर के बीच सब से ज्यादा होती है। इस समय इसका मौसम बहुत सुहावना होता है और दृश्य बहुत मनमोहक । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की कूंग बू च्यांग दा काउंटी के पर्यटन ब्यूरो के निदेशक श्री जाशी पिंगत्सो ने जानकारी दी कि बा सोंग त्सो झील को वर्ष 1994 में पर्यटकों के लिए खोला गया। तिब्बत में पर्यटन के विकास के चलते बा सोंग त्सो झील कई पर्यटकों का पसंदीदा स्थान बनी है। श्री जाशी पिंगत्सो ने कहा
"बा सोंग त्सो पर्यटन क्षेत्र के आसपास और अन्य छै झीलें हैं। य़हां के यातायात के असुविधाजनक होने के कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। अधिकांश पर्यटक विशेषकर विदेशी पर्यटक यहां पैदल यात्रा करना और बर्फीले पहाड़ों पर चढ़ना पसंद करते हैं ।"
श्री जाशी पिंग त्सो ने बताया कि भविष्य में कूंग बू च्यांग दा काउंटी की सरकार बा सोंद त्सो झील के पर्यटन संसाधनों के विकास को गति देगी । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बा सोंग त्सो झील के प्राकृतिक सौंदर्य और उसकी आश्चर्यजनक व रहस्यमय कथाओं से पर्यटक आकृष्ट होते रहेंगे।
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