
उत्तर-पूर्वी चीन की संयुक्त सेना जापानी आक्रमणकारी सेना पर प्रहार करने वाली सर्वप्रथम शक्ति रही। उस ने बड़े कठिन वातावरण में 14 वर्षों तक गंभीर लड़ाई लड़ी। 83 वर्षीय वृद्ध सैनिक ह्वांग द्येन च्वन ने हमें जापानी विरोधी युद्ध का इतिहास सुनवायेंगे।
उत्तर-पूर्वी चीन को सफेद पहाड़ और काली नदी वाला स्थान भी कहा जाता है, इसलिए क्योंकि वहां बहुत ऊंचा छांग बेई शेन पहाड़ और बहुत लम्बी हेई लुंग च्यांग नदी है। उत्तर-पूर्वी चीन की भूमि पर प्रचुर अनाज पैदा होता है।
वर्ष 1931 की 18 सितम्बर को, जापानी सेना ने उत्तर-पूर्वी चीन के ल्याओ नींग प्रांत की राजधानी शन यांग में स्थित चीनी सेना पर बमबारी की। तीन महीनों में जापानी सेना ने प्रचुर संसाधनों वाले उत्तर-पूर्वी चीन के हेई लुंग च्यांग, जी लीन और ल्याओ नींग प्रांतों पर कब्जा कर लिया।
उत्तर-पूर्वी चीन के इन तीन प्रांतों पर कब्जा करने के बाद, जापानी सेना ने इस क्षेत्र पर राजनीतिक दबाव डालने, उसके अर्थतंत्र को नष्ट करने और उस पर सांस्कृतिक कब्जा करने को पूरी मजबूती दी, जिस से उत्तर-पूर्वी चीन की तीन करोड़ से ज्यादा जनता पीड़ित हुई।
शत्रु से संघर्ष करने के लिए साहसी जनता ने हथियार उठाकर प्रतिरोध में भाग लिया। उसने जापानी विरोधी छापामार दस्ते और क्रांतिकारी टुकड़ी आदि संगठनों की स्थापना की जो सब बाद में उत्तर-पूर्वी चीन की संयुक्त जापानी विरोधी सेना बने।
उत्तर-पूर्वी चीन के जी लिन प्रांत के बेई शेन शहर के निवासी ह्वांग द्येन च्वन ने 13 वर्ष की उम्र में संयुक्त सेना में भाग लिया। उन के अनुसार,
चीन में जापानी सेना ने बड़े अपराध किये। चीनी जनता को इकट्ठा होकर जापानी सेना का स्वागत करना होता था, नहीं तो जापानी सेना उन के मकानों में आग लगा देती थी और उन पर गोलीबारी करती थी। एक शाम मेरे छोटे भाई ने घर लौटकर मुझे बताया कि बड़े भाई, मैंने लाल सेना देखी है। जब मैं ने पूछा कि वह लाल सेना में भाग क्यों नहीं लेता, तो उस ने कहा मैं छोटा हूं इसलिए लाल सेना ने मुझे दाखिल नहीं किया।
लेकिन, ह्वांग द्येन च्वन लाल सेना में शामिल हुए और संयुक्त सेना के एक छोटे सैनिक बन गये।
जापानियों के कब्जे वाले क्षेत्र में संयुक्त सेना का संघर्ष बहुत कठोर था। चीन के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध संघ के प्रधान श्री ह ली ने संयुक्त सेना का गहरा अनुसंधान किया है। उन के अनुसार, उत्तर-पूर्वी चीन के जापानी आक्रमणकारियों के हाथों में आने के बाद, संयुक्त सेना चीनी जनता द्वारा उत्तर-पूर्वी चीन में गठित अकेली सेना थी। संयुक्त सेना ने बड़ी कठिनाइयों का सामना किया और उस के संघर्ष का वातावरण भी बहुत जटिल था।
संयुक्त सेना को छापामार टुकड़ी की तरह लड़ाई लड़नी पड़ी। चीन के उत्तर- पूर्वी भाग में बहुत सर्दी पड़ती है। वर्ष का एक तिहाई समय यह क्षेत्र सफेद बर्फ से ढका रहता है। श्री ह्वांग द्येन च्वन ने कहा कि खराब वातावरण की वजह से हुए रोगों से भी कई सैनिक मारे गये।
ऐसे कठिन वातावरण में संयुक्त सेना चीन के उत्तर-पूर्वी भाग के तीन प्रांतों में जापानी सेना पर प्रहार करती रही। इन लड़ाइयों ने यांग चीन व्यू, च्याओ शांग जी और च्याओ ई मेन जैसे अनेक मशहूर जनरल उत्पन्न किये।
जनरल यांग चीन व्यू संयुक्त सेना के नेता थे। उन्होंने उत्तर-पूर्वी चीन की बीसों काउंटियों में जापानी सेना पर प्रहार किया और विजय प्राप्त की। जनरल यांग चीन व्यू को याद करते हुए श्री ह्वांग द्येन च्वन ने कहा,
जनरल यांग चीन व्यू ऊंचे कद के थे और उन की आवाज़ भी गंभीर थी।
जनरल यांग चीन व्यू के नेतृत्व में वर्ष 1936 से 1937 तक, उत्तर-पूर्वी चीन में संयुक्त सेना में कुल 3 लाख से ज्यादा सैनिक थे, जिन्होंने जापानी आक्रमणकारियों पर गंभीर प्रहार किया।
जापानी सेना ने संयुक्त सेना पर कब्जा मजबूत किया और आम चीनी नागरिकों को नजरबंद बनाया, ताकि आम नागरिक संयुक्त सेना को खाद्य पदार्थ व कपड़े न दे सके। जापानी सेना संयुक्त सेना के सैनिकों को निर्मम तरीके से मारती थी और उसने जनरल यांग चीन व्यू आदि जनरलों की गिरफ्तारी के लिए इनाम देने की घोषणा भी की थी। श्री ह्वांग द्येन च्वन ने कहा, जापानी सेना ने विज्ञप्ति जारी की थी कि जो कोई व्यक्ति यांग चीन व्यू को मारेगा, उसे जनरल यांग के शरीर के भार के बराबर स्वर्ण दिया जाएगा।
उस वक्त की याद करते हुए श्री ह्वांग की आंखें आंसुओं से भर गईं। उन्होंने कहा कि उन के अनेक मित्रों ने अपने जीवन का न्योछावर किया और वे खुद अनेक बार घायल हुए।
उत्तर-पूर्वी चीन में संयुक्त सेना का संघर्ष चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है।

चीन के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के इतिहास संघ के अध्यक्ष श्री ह ली ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संयुक्त सेना लम्बे अरसे तक उत्तर- पूर्वी चीन में जापानी सेना से संघर्ष करती रही और उसने जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की विजय में भारी योगदान किया।
उन के अनुसार, चीन के उत्तर-पूर्वी भाग के तीन प्रांतों में संयुक्त सेना देश के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में सब से पहले स्थापित हुई थी और अत्यन्त कठिन स्थिति में भी 14 वर्षों तक संघर्ष करती रही।
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