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(GMT+08:00) 2005-08-19 15:55:03    
सुंदर तारिम बेसिन

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तारिम बेसिन के उत्तरी भाग में देश के मशहूर प्राचीन शहर खुक स्थित है , बेसिन के पूर्वी भाग में बायोनगोल मंगोल स्वायत्त प्रिफेक्चर , दक्षिण भाग में हे थ्येन तथा स्वायत्त प्रदेश के सब से पश्चिमी भाग में अवस्थित पमीर पठार पर किजलसु किर्जिज स्वायत्त प्रिफेक्चर भी देखने के काबिले हैं । तारीम बेसिन के आगे के दौरे में सब से पहले हम खुक जाएंगे , जो तारिम बेसिन के उत्तरी भाग में स्थित है ।

काश्गर से विदा हो कर हम तारिम बेसिन के उत्तरी भाग में पूर्व की दिशा में 400 किलोमीटर चल कर मौजूदा यात्रा के दूसरे पड़ाव खुक पहुंचे ।

खुक नगर प्राचीन रेशम मार्ग पर स्थित छ्युछी राज्य का अवशेष स्थल है । यह जो धुन आप ने सुनी है , वह प्राचीन छ्युछी रज्य का संगीत है , जो 1500 साल पहले ही चीन के थांग राजवंश की राजधानी छांगआन में बहुत लोकप्रिय रहा था .

खुक में सब से मशहूर अवशेष केजर सहस्त्र बुद्ध गुफा है , यह गुफा ईस्वी तीसरी चोथी शताब्दियों के दौरान खोदी गई थी , जो लगातार पांच सौ सालों तक जारी रही । वह चीन का सब से पुराना गुफा समूह है , जिस में अब भी दस हजार वर्ग मीटर की भित्ती चित्र सुरक्षित हैं । बौद्ध धर्म भारत से सिन्चांग हो कर चीन के भीतरी इलाके में जा पहुंचा था , इसलिए सहस्त्र बुद्ध गुफाओं में जो सांस्कृतिक विशेषता दिखती हैं , वह ज्यादा प्राचीन भारतीस बौद्ध संस्कृति से मिलती जुलती है । माना जाता है कि चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार खुक से आरंभ होता था , इसी ऐतिहासिक महत्व के कारण अब हर साल बड़ी संख्या में चीनी विदेशी लोग यहां यात्रा पर आते हैं ।

दोस्तो , तारिम बेसिन के पूर्वी भाग में प्रदेश के बायोनगोल मंगोल स्वायत्त प्रदेश आबाद है , रेल गाड़ी या बस से खुक से रवाना हो कर तारिम बेसिन के उत्तरी किनारे से पूर्व की दिशा में पांच सौ किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के बायोनगोल मंगोल स्वायत्त प्रदेश आया। बायोनगोल मंगोल स्वायत्त प्रिफेकेचर चीन का एक ऐसा अल्पसंख्यक जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर है , जिस का क्षेत्रफल देश के सभी अन्य स्वायत्त प्रिफेक्चरों से बड़ा है और जो चार लाख अस्सी हजार किलोमीटर की भूमि घेर लेता है । यह स्वायत्त प्रिफेक्चर रकबे में दो ब्रिटेन के बराबर है ।

बायोनगोल मंगोल स्वात्त प्रिफेक्चर में पर्यटन के लिए लोनान प्राचीन नगर और रोपनोर झील देखने के काबिले हैं । रोपनोर झील को आर पार करते हुए विश्वविख्यात प्राचीन नगर लोनान पहुंचने की यात्रा एक जोखिम भरी गतिविधि मानी जाती है , जोखिमों से भरी यह यात्रा अब भयानक नहीं रही । वर्ष 1997 के बाद हर साल अनेक पर्यटन दल देश विदेश से आ कर रोपनोर से गुजरते हुए लोनान प्राचीन नगर देखने जाते हैं , जिन में बहुत से वृद्ध और महिला लोग भी शामिल हैं ।

काश्गर के नार्मल कालेज के मानव संस्कृति अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान श्री लोचि ने दक्षिण सिन्चांग के इतिहास व संस्कृति के अध्ययन में अनेक साल लगाये। उन्हों ने रोपनोर झील के बारे में परिचय देते हुए कहाः

अतीत में रोपनोर सिन्चांग की सीमा के भीतर सब से बड़ी झील थी , वह इतना विशाल थी कि उसे आर पार करने में सफल होना कबूतर के लिए भी मुश्किल था , क्योंकि झील की इतनी अपार अनंत जल राशि फैली थी कि कबूतर के लिए थोड़ा विश्राम करने हेतु उतर कर रूकने की जगह भी नहीं है । लेकिन खेद की बात है कि पिछले दो हजार सालों से रोपनोर झील की जल राशि निरंतर सिकुड़ती सिमटती जा रही । पिछली शताब्दी के 60 वाले दशक में तारिम बेसिन में बहने वाली तारिम नदी का जल प्रवाह रूक गया , जिस से उस की शाखा नदी रोपनोर नदी भी सूखा पड़ गयी और वर्ष 1972 के अंत तक रोपनोर झील में भी पानी का एक बुंद रह नहीं गया ,और वह भी एकदम सूखा पड़ी ।

पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक में चीनी पुरातत्व विशेषज्ञों ने रोपनोर झील क्षेत्र में सूखी हुई महिला शवें बरामद कीं , जो आज से 3800 साल ज्यादा पुराना सिद्ध हुई है । इन शवों के लोगों के नाक ऊंचे और नुकीले है , आंखें भीतर की ओर धंसी हुई हैं , सिर पर लम्बे लम्बे बाल हैं और शरीर के रोंए , त्वच तथा ऊंगलियों के नाखून अच्छी तरह सुरक्षित रहे हैं । चूंकि ये प्राचीन महिलाओं की शवें विश्वविख्यात प्राचीन नगर लोनान राज्य की सीमा के भीतर बरामद की गई हैं , इसलिए ये प्राचीन महिलाएं लोनान की सुन्दरी के नाम से विश्व में मशहूर हैं । लोनान की प्राचीन महिलाओं की शव एक बार जापान में ले कर प्रदर्शित की गई थी , जिसे देख कर पूरे जापान में खूब धूम मची । इस के बाद विश्व के अनेक देशों ने लोनान सुन्दरियों को अपने देश में ले जा कर प्रदर्शित करने की मांग की , लेकिन इस के ख्याल से कि ये सूखी हुई शव रेगिस्तान के सूखा मौसम से अलग होने पर सुरक्षित रखे जाने की गंभीर समस्या है , उन देशों की मांग फिर पूरी नहीं की गई , जापान के बाद लोनान सुन्दरी फिर दूसरी जगह नहीं ले जायी गई . इस तरह यदि कोई लोनान सुन्दरी देखना चाहे , तो उसे खुद सिन्चांग आना पड़ता है ।

रोपनोर झील क्षेत्र में आबाद प्राचीन नगर लोनान राज्य ईसा पूर्व 176 में स्थापित हुआ था , लोनान राज्य की राजधानी रोपनोर झील के पश्चिमी किनारे पर स्थित थी , जो लोनान नगर से विश्वविख्यात था , क्योंकि यह नगर प्राचीन रेशम मार्ग के अहम संगम स्थल पर आबाद था , चीन के रेशम व चाय तथा पश्चिमी परदेश के घोड़े , अंगूर तथा रत्न जवाहरात इसी जगह पर सौदा किये जाते थे । लोनान राज्य 800 सालों तक रोनक और समृद्ध बना रहा, किन्तु अज्ञात कारण से वह आकस्मिक रूप से रेगिस्तान में लुप्त हो गया , जिस ने उत्तरवर्ती लोगों के लिए एक अनसुलझा रहस्य छोड़ कर रखा है ।

रोपनोर झील की चर्चा छिड़ने पर रोपनोर के मूल निवासियों के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है । रोपनोर का मूल निवासी विश्व में मानव जाति का जीवित जमाश्य माना जाता है ।

यह रोपनोर का लोक गीत है , जो रोपनोर के निवासी 106 वर्षीय रोस शाडिक की आवाज में स्थानीय रोपनोर बोली में प्रस्तुत हुआ है । बहुत बहुत वर्ष पहले , रोपनोर वासी युद्ध से बचने के लिए नोरपोर में आ बसे थे , इसीकारण ये लोग रोपनोर वासी कहलाते थे । वे लम्बे अरसे से बाह्य दुनिया से अछूता शांति का जीवन बिताने वाले सिन्चांग कबीला के लोग थे , जो रोपनोर झील में मछली मारने का जीविका करते थे , इस किस्म के जीवन में रोपनोर वासियों की आयु आम तौर पर बहुत लम्बी है , वे 80 और 90 साल की उम्र में भी श्रम कर सकते हैं , चंद कुछ लोग सौ साल की उम्र में भी दुल्हे का आनंद लेते हैं ।

रोपनोर झील सूखा पड़ने के बाद भी तारिम नदी के निचने भाग में बसे रोपनोर वासियों में अब भी आदिम ढंग का सीधा सादा जीवन बीतता है । तारिम बेसिन के दौरे के दौरान हम रोपनोर वासियों के गांव में सौ सालों की उम्र वाले वयोवृद्धों के साथ फोटी खिंचवाते हैं , एकल लकड़ी के नाव पर रोपनोर वासियों की भांति तारिम नदी में मछली पकड़ सकते हैं , लाल रंग के विलो पेड़ की शाखाओं पर मछली भुन कर खाने का मजा लेते हैं , रोपनोर का लोक गीत सुनने का मनोरंजन लेते हैं , रात को अलाव के पास रोपनोर का स्थानीय नाच नाचते हैं और स्थानीय पॉपर जंगल में शिकार कर सकते हैं , जिस से पर्यटक आदिम कबीले के जीवन का आनंद ले सकते हैं