
शीच्ये सड़क पर कदम रखने के बाद पता चलता है कि नीले पत्थरों से निर्मित यह सड़क कोई एक हजार चार सौ वर्ष पुरानी है। इस सड़क के दोनों किनारों पर खड़े मकान चीन की पुरानी वास्तुशैलियों से युक्त हैं। इनकी दीवारें नीले पत्थरों से निर्मित हैं व छतें हरे खपरैल वाली हैं। बड़ी बारीकी से तराशे गये इनके दरवाजे व खिड़कियां भी कम सुंदर नहीं हैं। यहां पुरानी वास्तुशैली का आसपास के हरे-भरे पर्वतों व स्वच्छ नदियों के साथ सामंजस्य दिखाई देता है।
शीच्ये नाम की सड़क दक्षिणी चीन के क्वांगशी च्वांग जातीय स्वायत्त प्रदेश की यांग श्वो काउंटी में है। इस की लम्बाई पांच सौ मीटर से कुछ अधिक है और चौड़ाई है लगभग चार मीटर। इस संकरी सड़क को देखने के लिए हर वर्ष विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के हजारों-लाखों पर्यटक यहां आते हैं। यह साधारण सी सड़क आखिर क्यों देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है, इस सड़क में ऐसा क्या रहस्य छिपा है, आइये, यह जानने के लिए आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चलें इस सड़क की ओर।
शीच्ये सड़क पर कदम रखने के बाद पता चलता है कि नीले पत्थरों से निर्मित यह सड़क कोई एक हजार चार सौ वर्ष पुरानी है। इस सड़क के दोनों किनारों पर खड़े मकान चीन की पुरानी वास्तुशैलियों से युक्त हैं। इनकी दीवारें नीले पत्थरों से निर्मित हैं व छतें हरे खपरैल वाली हैं। बड़ी बारीकी से तराशे गये इनके दरवाजे व खिड़कियां भी कम सुंदर नहीं हैं। यहां पुरानी वास्तुशैली का आसपास के हरे-भरे पर्वतों व स्वच्छ नदियों के साथ सामंजस्य दिखाई देता है।
शीच्ये सड़क की यह विशेष शैली किसी को भी मोहित कर सकती है।अनगिनत विदेशी पर्यटकों को भी यह इसीलिए अपनी ओर खींचती है। उस पर किसी भी समय विभिन्न विदेशी पर्यटक देखे जा सकते हैं। कुछ वहां आराम से इस संकरी सड़क पर घूमते दिखेंगे तो कुछ पुरानी चीजों की दुकानों में दुर्लभ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशषों का लुत्फ लेते मिलेंगे और कुछ पुस्तकों व चित्रों की दुकानों में खरीदारी में व्यस्त दिखाई देंगे। दूरदराज स्थित एक छोटे से कस्बे की इस मामूली सड़क पर इतने अधिक विदेशी चेहरे देख कर अंतर्राष्ट्रीय माहौल का आभास किया जा सकता है।
मजे की बात है कि शीच्ये सड़क का माहौल भी एक सा नहीं रहता। दिन में यह सड़क बहुत शांत होती है, उस पर कम लोग दिखते हैं, अधिकतर दुकानें बंद रहती हैं और पर्यटक शहर के बाहर के प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द उठा रहे होते हैं। पर जब दिन ढलने लगता है, तो यह संकरी सड़क एकदम रौनकदार हो उठती है। उस पर भीड़ लग आती है और दोनों किनारों के रेस्त्रां व बार विदेशी पर्यटकों से खचाखच भर जाते हैं।
च्यू फू लाओ नामक रेस्त्रां के मालिक लू ह्वा फिंग यहां विदेशी पर्यटकों को चीनी पाक कला सिखाते हैं। उन्हों ने बताया कि उन के रेस्त्रां में खुली चीनी पाक कला की कक्षा को विदेशी पर्यटकों की भारी दाद मिली है। प्रतिदिन यहां दसेक विदेशी पर्यटक चीनी व्यंजन सीखने आते हैं।
पहले मैं ने इस सड़क पर एक बार खोला। उस समय भी बहुत से विदेशी पर्यटक मेरे बार में आते थे, पर उनमें से कुछ को स्थानीय पकवान खाना पसंद नहीं था। वे रसोईघर में खुद खाना बनाना चाहते थे। रसोइया फुरसत में उन्हें सिखाने लगा। यह देखकर मैं ने एक रेस्त्रां खोल दिया और उसमें चीनी पाककला की कक्षा भी रख दी। आज कुछ विदेशी पर्यटक विशेष तौर पर यहां चीनी पाक कला सीखने आते हैं और अपना पसंदीदा चीनी खाना खाने के बाद उसे पकाने की विधि भी जान सकते हैं।
इस सड़क पर श्री लू के चीनी रेस्त्रां के अलावा विदेशी शैलियों वाले कई पश्चिमी रेस्त्रां, कहवाघर और बार भी हैं। इन के बोर्ड व मेन्यू अंग्रेजी, फ्रांसीसी और जर्मन आदि विदेशी भाषाओं में हैं।इन में से 20 के मालिक विदेशी हैं। बिफालो बार के मालिक आल्फ उन में से एक हैं।
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