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(GMT+08:00) 2005-08-17 11:24:05    
 तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था की जानकारी

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तिब्बत स्वायत्त प्रदेश छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है , जिसे विश्व की छत कहा जाता है । कठोर प्राकृतिक परिस्थिति में रहने वाली तिब्बती जनता को विभिन्न रोगों से लड़ना पड़ता है । उन की मदद के लिये चीनी केंद्र सरकार हरेक आम तिब्बती नागरिक व चरवाहे को हर साल निश्चित चिकित्सा भत्ता प्रदान करती रही । पर यह भत्ता उन की किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त होने के लिये काफी नहीं पड़ता था ।

सो वर्ष 1997 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश सरकार ने स्थानीय किसानों व चरवाहों के लिये सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था लागू की । इस व्यवस्था के तहत उस ने अपने नागरिकों को चिकित्सा भत्ता देने के बजाय स्वायत्त प्रदेश की हरेक टाउनशिप में एक विशेष सहयोगी चिकित्सा कोष की स्थापना की , हर किसान और चरवाहे को प्रति वर्ष 15 यवान यानी लगभग 75 रुपये इस कोष में जमा कराने होते हैं । और बीमार होने पर उन की दवा या अस्पताल में इलाज के खर्च का 80 प्रतिशत भाग, कोष देता है ।

इस व्यवस्था के लागू होने से तिब्बती किसानों व चरवाहों की चिकित्सा सेवा में भारी सुधार आया , और इसलिये यह व्यापक रूप से लोकप्रिय हुई है । तिब्बत की त्वेलूंगदछिंग काउंटी की बुजुर्ग महिला सुश्री त्वोचेदमा बताती हैं, हयोगी चिकित्सा व्यवस्था से सरकार ने हमें भारी लाभ पहुंचाया है । दो साल पहले मेरा बेटा बीमार हुआ , अस्पताल में इलाज के लिये हमारा 10 हजार यवान का खर्च आया । पर हमारी टाउनशिप के सहयोगी चिकित्सा कोष ने इस खर्च का मुख्य भाग हमें वापस लौटा दिया । किसानों में सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था का भारी स्वागत हुआ है , और अब तक अधिकांश लोग सहयोगी चिकित्सा कोष शामिल भी हो चुके हैं ।

तिब्बत के सहयोगी चिकित्सा कोष ने स्थानीय चिकित्सालयों का सुधार भी किया है । पहले किसान या चरवाहे बीमार होने पर आम तौर पर अस्पताल नहीं जाते थे । पर अब वे चिकित्सा कोष की मदद से अस्पताल जाने लगे हैं , क्योंकि उन्हें वहां आने वाले ज्यादा खर्च की चिन्ता नहीं करनी पड़ती । इस से तिब्बत में स्थानीय चिकित्सालयों के निर्माण को भी बढ़ावा मिला । त्वेलूंगदछिंग काऊंटी की एक टाउनशिप स्तरीय चिकित्सालय में कार्यरत डाक्टर बैमासिरन बता रही हैं , हमारे चिकित्सालय में इलाज के लिये आने वालों की संख्या बढ़ने के साथ हमें भी ज्यादा मुनाफा मिल रहा है । इस से चिकित्सालय के प्रबंध स्तर और दवा खाने का भी सुधार हुआ है , इस तरह लोग टाउनशिप के भीतर ही अपने सामान्य रोगों का इलाज कर सकते हैं ।

पिछले कुछ सालों जारी इस चिकित्सा व्यवस्था की सफलता दिखने लगी है । इस समय तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की टाउनशिपों में सहयोगी चिकित्सा कोष स्थापित हैं , जिन में किसानों व चरवाहों के 80 प्रतिशत , यानी कोई 65 लाख लोगों की भागीदारी है । स्वायत्त प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के एक पदाधिकारी श्री वांग चेनफंग ने कहा , सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था तिब्बती किसानों व चरवाहों को चिकित्सा गारंटी देने का बेहतरीन तरीका है । इस व्यवस्था में सरकार और रोगी संयुक्त रुप से चिकित्सा खर्च उठाते हैं , इस से तिब्बती किसानों व चरवाहों के स्वास्थ्य की रक्षा संभव हो पायी है , और इस ने भविष्य में आपेक्षाकृत अच्छी चिकित्सा गारंटी व्यवस्था के निर्माण की नींव भई डाली है । पता चला है कि चीन सरकार वर्ष 2010 तक देश के सभी इलाकों में सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना के लिये कोशिश कर रही है ।