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(GMT+08:00) 2005-08-16 14:51:08    
सुन्दर बासोंग झील की सैर

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चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफ़ैक्चर में एक विश्व विख्यात झील है---बा सोंग त्सो जिस का एक और नाम है, त्सो गाओ। इस झील के स्वच्छ पानी में सफेद बर्फ़ीले पहाड़ों की छाया साफ दिखाई देती है। बा सोंग त्सो तिब्बत पठार पर जड़े सुन्दर रत्न की तरह देशी- विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करता है।

बा सोंग त्सो झील का नाम त्सो गाओ भी है। यह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिन ची प्रिफ़ैक्चर की कूंग बू च्यांग दा काउंटी से 50 किलोमीटर दूर स्थित बा ह नदी के पहाड़ी क्षेत्र में बसी है। तिब्बती भाषा में "त्सो" का मतलब है झील और बा सोंग त्सो का मतलब है "हरे रंग का पानी "। यह झील समुद्र की सतह से कोई 3700 मीटर ऊंची है और इस का क्षेत्रफल 26 वर्ग किलोमीटर है। तिब्बती बौद्ध धर्म के लाल संप्रदाय के एक पवित्र स्थल के रूप में विख्यात इस झील को देखने हर साल अनगिनत तिब्बती बंधु आते हैं।

बा सोंग झील का पानी बहुत स्वच्छ है। आसपास के पहाड़ों की छाया इसके पानी में प्रतिबिंबित होती है। आसमान में तिरते सफ़ेद बादल कभी-कभार झील के ऊपर से गुज़रते हैं। पीले तिब्बती हंस झील पर तैरते हैं, मछलियों के झुंड भी इसमें बसते हैं और यह बहुत शांत लगती है।

कहा जाता है कि बा सोंग त्सो झील के पानी के चार रंग हैं-सफ़ेद, हरा, नीला ,गहरा नीला और हरा। इस के ये रंग भिन्न-भिन्न ऋतुओं में दिखते हैं और कई बार एक ही दिन में मौसम में परिवर्तन होने के चलते बदलते हैं। इस से सुन्दर बो सोंद त्सो झील रहस्मय लगती है।

झील के तट से 100 मीटर दूर एक छोटा द्वीप है , जिस का नाम है जा शी। कहते हैं कि आठवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारतीय भिक्षु पद्मसंभव बौद्ध ग्रंथों की व्याख्या करने के लिए चीन आए तो उन्होंने इस द्वीप की यात्रा की। उन्होंने अपने बौद्ध ग्रंथों को जा शी द्वीप के केंद्र में रखा। इसी से जा शी द्वीप का बा सोंग झील के तल से संबंध नहीं है और उसके पानी पर तैरता है। बाद में यह द्वीप खोखला हो गया। अगर पर्यटक जा शी द्वीप पर चलते समय अपने पांवों से जमीन पर दबाव डालें, तो इस द्वीप का खोखलापन महसूस कर सकते हैं।

बा सोंग त्सो झील के केंद्र में स्थित जा शी द्वीप पर बहुत से हरे--भरे पेड़ हैं, जिन में से एक बहुत विशिष्ट है। "थाओ बाओ सोंग" नामक इस पेड़ के समूह में आड़ू और चीड़ के पेड़ एक-दूसरे की गोद में दिखते हैं। हमारी गाइड नि मा त्सी रन ने बताया

"हर वर्ष अगस्त और सितम्बर में आड़ू के इस पेड़ के फल पक जाते हैं। कहा जाता है कि इसके आड़ू खाने वाले मित्रों के बीच दोस्ती सदा कायम रहती है। पति-पत्नी इसे खाकर एक-सदी तक अच्छे संबंध कायम रख सकते हैं और सुखमय जीवन बिताते हैं। इसलिए हर वर्ष अगस्त और सितम्बर में इस द्वीप में आने वाले पर्यटक यहां आड़ू खाते हैं।"

नि मा त्सी रन ने बताया कि बा सोंग झील के बारे में अनेक सुन्दर कथाएं भी हैं। इनमें तिब्बती राजा सोग जान कान बू के पत्थर पर अपने पांव का चिह्न बनाने, भारतीय भिक्षु पद्ममसंभव के चेहरा धोने के लिए पवित्र चश्मे का पानी प्रयोग करने और प्राकृतिक अक्षर पेड़ की कथाएं शामिल हैं। नि मा त्सी रन ने कहा

"कहावत है कि थांग राजवंश की राजकुमारी वन छंग की अवतार देवी बाई तू मू बा सोंग झील के सुन्दर दृश्य से आकृष्ट होकर नाश्ता करने यहां आई। नाश्ता करते समय झील के पानी में उन के कुछ बाल गिर गए। बाई तू मू ने अपने बालों को जी शी द्वीप के पत्थरों में रखा। एक वर्ष बाद , वहां एक बड़ा वृक्ष पैदा हुआ। इस वृक्ष की शाखाएं बहुत घनी थीं और देखने में तिब्बती भाषा के अक्षरों की तरह लगती थीं। इसलिए तिब्बती लोग इसे अक्षर पेड़ कहने लगे। आश्चर्यजनक बात यह है कि अगर इस पेड़ का पत्ता गिर जाए तो जिन लोगों का बुद्ध से घनिष्ठ संबंध हो, वे इस पत्ते पर अपनी छवि देख सकते हैं। स्थानीय लोग इसीलिए इस पेड़ के पत्तों को "पवित्र व आश्चर्यजनक मानते हैं।"