दोस्तो, मध्य-दक्षिण चीन के हूनान प्रांत के पश्चिमी भाग में एक बहुत बड़ा तो नहीं, पर बहुत पुराना ऐतिहासिक शहर स्थित है। फूंगह्वांग नामक यह छोटा सा शहर चारों तरफ पर्वतों से घिरा हुआ है। इसका प्राकृतिक दृश्य अपने ही ढंग का है और स्थानीय रीतियों के चलते इसने अपनी विशेष पहचान कायम की है। चीन में करीब 60 वर्ष बिताने वाले न्यूजीलैंड के लेखक रेवी ऐली ने इस शहर को चीन का सब से सुंदर लघु शहर कहा है। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को इस प्राचीन ऐतिहासिक शहर के दौरे पर ले चलते हैं।
फंगह्वांग चीन के सुप्रसिद्ध आधुनिक साहित्यकार व इतिहासकार श्री शन त्सों वन का जन्मस्थान है। पिछले कई हजार वर्षों से यह नगर पर्वतों के बीच छिपा रहा है। चीन के इस प्रसिद्ध साहित्यकार श्री शन त्सों वन ने 60 साल पहले पहली बार सुदूर नगर नामक अपने उपन्यास में इस का चित्रण किया और इस तरह बाहरी लोगों ने इस के जरिये इस प्राचीन नगर का परिचय पाया तो इस का रहस्यमय व शांतिमय वातावरण अनेक लोगों के आकर्षण का केंद्ग बना।
यह छोटा सा सुंदर शहर कोई चार सौ वर्ष पुरानी चारदीवारी के बीच खड़ा है। हम इस चारदीवारी के उत्तरी द्वार पर पहुंचे, तो म्याओ जाति की सजीधजी युवतियों ने पहाड़ी गीत गाकर हमारी अगवानी की। फंग ह्वांग शहर की आबादी तीन लाख से कुछ अधिक है, जिस का अधिकांश म्याओ और थुचा अल्पसंख्यक जातियों का है । इस शहर के हर कोने में जातीय पोशाक पहने म्याओ और थूचा जाति के लोग तो देखे ही जा सकते हैं, इन दोनों जातियों की वास्तुशैलियों में निर्मित झूलती इमारतें भी पायी जाती हैं।
फूंगह्वांग शहर का दौरा आधे घंटे में पूरा किया जा सकता है। इस शहर का पश्चिमी भाग में स्थित पुराना शहरी क्षेत्र सब से ध्यानाकर्षक है। 13वीं शताब्दी में निर्मित शहर की परम्परागत छवि व ऐतिहासिक पर्यावरण हवा व वर्षा के थपेड़ों की परवाह न करते हुए आज तक बरकरार है। शहर की कई संकरी गलियां, पुरानी दीवारें, प्राचीन भवन, घाट व मंदिर बड़े दर्शनीय हैं। हरेक गली-सड़क यहां पाये जाने वाले भूरे रंग के पत्थरों से बनी है। सड़क के किनारे लगभग सौ साल पुराने मकान सुव्यवस्थित रूप से खड़े हैं। रोचक बात यह है कि इन मकानों की वास्तुशैली एक सी नहीं है यों उन की छतों पर लगी काली खपरैलें और भूरी लकड़ियों की दीवारें एक ढंग की हैं। एक-दूसरे से सटे अपने ही ढंग के ये मकान एक असाधारण दृश्य बनाते हैं। शरद में यहां ढेरों पर्यटक आते हैं और चारों ओर बड़ी हलचल रहती है और बेशुमार मकानों वाली इन गलियों का वातावरण शांत रहता है।
शहरी क्षेत्र में एक-दूसरे से सटे मकानों से जहां एक असाधारण दृश्य बनता है, वहीं सड़कों के किनारे खड़े मकान दुकानों का काम देते हैं। नदी के तट पर अनेक झूलती इमारतें नजर आती हैं और पर्वत की तलहटी में मंदिर देखने को मिलते हैं।
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