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(GMT+08:00) 2005-08-08 10:58:37    
पूर्वी संस्कृति पश्चिम की ओर

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चीन में कुछ ऐसे लोग है जिनका यह मानना है की चीनी संस्कृति की विस्तार और उसकी जटिलता पशचिम के लोग ठीक से सराहने की शक्ति नहीं रखते । लेकिन वास्तव में चीनी कला फ्रांस के Edouard Manet,Claude Monet पर अमिठ छाप छोड़ी है और पेईचिंग ओपेरा को विश्वविख्यात नाटखकार Bertolt Brecht, Antonin Artaud, Arthur Miller ने इसको कला की चरम सीमा माना है । फ्रांस के विश्वविख्यात चित्रकार रोलैंड बुराउड (Roland Buraud) के राय में चीनी चित्रकला में उनको सबसे अधिक आकर्षक यह लगता है की इसकी आत्मा में प्रकृति की छवि और प्रभाव बहुत ही साफ तरीके से दीखती है । उनका यह मानना है की चीनी चित्रकार जिस तरीके से कुछ ही स्पर्षों से अपने चित्रों में जान डाल देते हैं और कैन्वस पर रिक्त स्थान से ही अपनी चित्रों के द्वारा उनकी कला की अभिव्यक्ति करते पूर्वी संस्कृति पाश्चात्य की ओर सचमुच अनोखा है ।

चीनी स्टाइल में "ink and wash"  तकनीक से Francois Bossiere ने भूदृश्यों की चित्रकारी की है उससे पेईचिंग की कलाजगत में सनसनी फैल गयी। कई विशेषज्ञों को उनकी चित्रकली ही नहीं बल्कि उनकी चीनी चित्रकला की ज्ञान और इसपे उनको हासिल महारथ पर कई लोगों को आश्चर्य़ हुआ । लोगों को उनकी चित्रकला तो प्रभावित तो की ही मगर कई लोगों को इससो भी ज्यादा आश्चर्य़ तब हुआ जब लोगों को उनकी चित्रकला में चीनी चित्रकला की बहुत गहरी जानकारी और पकड़ नजर आयी ।

चाओ छी जेंङ, जो राज्य काउंसिल जानकारी कार्य़ालय के अधिकारी है, ने कहा की "संस्कृति देशों और लोगों के बीच में आपसी सूझबूझ का आधार है । चीन और युरोप , दोनों की ही संस्कृति और इतिहास बहुत ही प्राचीन और शानदार है, लेकिन आपसी सूझपूझ औऱ तालमेल एकाएक हासिल नहीं किया जा सकता, इसके लिए लगातार बातचीत, सलाह मश्विरा, विचारों का आदान प्रदान अलग अलग स्थरों पर जारी रखना चाहिए" ।

चीनी कला के साथ युरोप की प्रेम कथा

चीन की संस्कृति कई सदियों से युरोप में आकर्षण का विषय रही है, युरोप की चित्रकला और वास्तुकला इस बात की समर्थन करते हैं । 17वीं शताब्दी Charlottenburg Palace जो जर्मनी की Berlin शहर में स्थित है एक ऐसी जगह जो चीनी पोर्सिलीन पर समर्पित है, और SansSouci summer palace के बागबगीचे जो Prussian सम्राटों की है, Postdam stands में एक चीनी पैवेलियन है और छिंग राजवंश की एक कास्य की प्रतिमा भी स्थित है । विद्वानों का यह मानना है की फाँस के बाद प्रसियन संस्कृति पर कीसी भी देश पर एक गहरा प्रभाव पड़ा है तो वो है चीन का और इसके संस्कृति की ।

सतारहवीं शताब्दी में फ्रांस में चीन का प्रभाव काफी साफ तरीके से दिखा । खास करके चीनोसेरी सेरामिक, टेपेस्ट्री और फर्नीचर काफी मशहूर हुए । चीनी बागीचे के तौरतरीके और इसकी प्रभाव भी देखने को मिलता है। इसी तरह युरोप की प्रभाव भी चीन पर पढ़ा । ल्यू हाई सू ,लिन फ़ङ म्यान, श्यू बेई होंग और वू जो रन जैसे चित्रकार युरोपिय कला से प्रभावित हुए । श्री चाओ छी जेंङ का मानना है की पूर्वी और पाशचात्य संस्कृतियों के आदान-प्रदान से विश्व संस्कृति में भी बढ़ोत्तरी होगी ।