पश्चिमी चिन शासन का अन्त होने के अगले साल अर्थात 317 ई. में लाङया के राजा सिमा रुइ ने दक्षिण में एक नया राज्य कायम किया और च्येनखाङ (वर्तमान नानचिङ) को उसकी राजधानी बनाया।
यह नया राज्य, जो एक सौ वर्षों से अधिक समय तक कायम रहा, इतिहास में पूर्वी चिन (317-420) के नाम से मशहूर है।
जिस समय दक्षिणी चीन में पूर्वी चिन का शासन कायम था, उत्तरी चीन राजनीतिक विभाजन के एक लम्बे दौर से गुजर रहा था।
उस समय कुछ अल्पसंख्यक जातियों के अभिजातवर्गीय लोगों और हान जाति के शक्तिशाली सामन्तों ने ह्वाङहो नदीघाटी के इलाके और सछ्वान में 20 से अधिक स्थानीय राज्य कायम कर लिए।
इनमें से केवल 16 की कालावधि व शक्ति अपेक्षाकृत अधिक थी, और उन्हें इतिहासकारों द्वारा "16 राज्यों"के नाम से पुकारा जाता है।
इन"16 राज्यों"में से एक का नाम पूर्वकालीन छिन(351-394) था, जो अपने राजा फ़ू च्येन द्वारा किए गए राजनीतिक व आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप शक्तिशाली बन गया।
यह राज्य चौथी शताब्दी के अन्तिम काल में उत्तरी चीन का अस्थाई रूप से एकीकरण करने में भी सफल हुआ।
383 ई. में फ़ू च्येन ने कई लाख सैनिकों को लेकर पूर्वी चिन राज्य पर हमला कर दिया, जिसने अपनी रक्षा के लिए श्ये श्वेन और श्ये शि के नेतृत्व में सेना भेजी।
फ़ेइश्वेइ नदी के आरपार (वर्तमान आनह्वेइ प्रान्त के शओश्येन के दक्षिण में) दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ हुई, और श्ये श्वेन ने हमलावर के दर्प व आत्मसंतोष का लाभ उठाकर उसे निर्णयात्मक रूप से पराजित कर दिया।
इतिहास में यह भिड़न्त"फ़ेइश्वेइ नदी की लड़ाई"के नाम से प्रसिद्ध है और इस में हार जाने के बाद फ़ू च्येन भागकर उत्तर चला गया।
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