पिछले कोई बीस वर्षों में, चीन के आर्थिक विकास से देश के भीतर क्षेत्रीय आर्थिक आदान-प्रदान को गति मिली, जिस के साथ साथ, पेइचिंग जैसे शहर में देश के दूसरे शहरों से आने वाले लोगों की संख्या में भी बढोतरी हुई। पेइचिंग में बाहर से आकर बसने वाले ऐसे परिवारों के बच्चों की शिक्षा एक ऐसी समस्या बन गयी है जो दिन ब दिन तीव्र होती जा रही है। चीन के राजधानी शहर ने इस वर्ष के अप्रैल माह में इसे देखते हुए इन बच्चों को अनिर्वार्य शिक्षा देने संबंधी नियमावली जारी की। जिस पर पिछले कुछ महीनों के अमल से उल्लेखनीय प्रगतिय प्राप्त हुई है।
पेइचिंग का क्वांग एन मिडिल स्कूल चीन की राजधानी का पहला ऐसा सरकारी स्कूल है, जिस ने दुसरे शहरों से यहां आने वाले लोगों के बच्चों को दाखिला देना शुरु किया। पेइचिंग के दक्षिणी भाग में स्थित इस मिडिल स्कूल में इस समय सात से ज्यादा छात्र हैं, जिन में सौ से ज्यादा पेइचिंग के बाहर के रहने वाले हैं।
इन बच्चों की शिक्षा की चर्चा आई, तो स्कूल के प्रधानाध्यापक श्री थांग ने कहा, हमारे स्कूल में ऐसे अनेक बच्चे दाखिल हैं, जो पेइचिंग से बाहर के हैं। हमें लगा कि इन बच्चों को देश के अनिवार्य शिक्षा कानून के अंतर्गत नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा देना हमारा कर्तव्य है।हम ने अपना यह विचार शिक्षा विभाग और पेइचिंग की श्वेनवू क्षेत्र की सरकार के सामने रखा। विभिन्न विभागों के प्रयत्नों से श्वेन वू सरकार ने हमारे स्कूल को पेइचिंग से बाहर के लोगों के बच्चों को दाखिला देने की अनुमति दी।
क्वांग एन मिडिल स्कूल में ये बच्चे महनत से पढ़ते हैं और पेइचिंग के अपने छात्र साथियों के साथ मेल से रहते हैं। तेरह वर्षीय यांग मौ नेन अपनी मां के साथ गत वर्ष उत्तर पूर्वी चीन के ल्याओ निंग प्रांत से पेइचिंग पहुंची। वह स्कूल की श्रेष्ठ छात्राओं में है, पिछले सत्र में वह अपनी कक्षा में सब से ऊंचे अंक पाने में सफल रही , और छात्रों द्वारा मॉनिटर भी चुनी गयी।
यांग मौ नेन की पेइचिंग की सहेली वांग जन को उस में अनेक गुण दिखाई दिये। वांग कहती हैं, यांग मौ नेन में मैं ने दूसरे शहरों से पेइचिंग आने वाले बच्चों का प्रयत्न देखा । बचपन से ही मेरा किसी मुसीबत से सामना नहीं हुआ, मैं हमेशा खुश रही हूं । पहले, कभी कभी मैं यह भी सोचती थी कि पेइचिंग की जन संख्या वैसे ही बहुत ज्यादा है, और दुसरे शहरों से इन बच्चों के यहां आने से यह और बढेगी ही। पर अब इन बच्चों के साथ बातचीत करने के बाद मैंने उन से अनेक चीजें सीखी। पेइचिंग के बाहर से आने वाले लोग बहुत मेहनती हैं, और उन के बच्चे भी अपने घरों का बहुत ख्याल रखते हैं। इस से मैं बहुत प्रभावित हुई। उन के साथ पढने - रहने से मैंने अनेक क्षेत्रों में परिवर्तन महसूस किया।
पेइचिंग चीन के बड़े शहरों में से एक है। हर साल यहां आने वाले लोगों की संख्या कई लाखों में होती हैं, इन में से लगभग दो लाख लोग पेइचिंग में आधे साल से ज्यादा समय रहते हैं। चूंकि इन लोगों की आर्थिक आय और गुणवत्ता अपेक्षाकृत नीची है , इसलिए, पेइचिंग के कई कुछ स्कूल उन के बच्चों को अपने यहां भरती करने से इंकार करते रहे।
पर इस वर्ष के अप्रैल माह में, पेइचिंग ने दुसरे शहरों से पेइचिंग आने वाले इन लोगों के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने संबंधी नियमावली प्रकाशित की , जिस में यह स्पष्ट किया गया कि शहर के विभिन्न स्कूलों को इन लोगों के बच्चों को अपने यहां भरती करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। नियमावली ने स्पष्ट किया कि पेइचिंग के बाहर के बच्चों और पेइचिंग के छात्रों के अधिकार समान हैं। और अब पेइचिंग के गैरसरकारी स्कूलों को भी इन बच्चों को अपने यहां दाखिल देने की अनुमति दे दी गई है।
पेइचिंग के शिक्षा आयोग के कानून व नियम विभाग के निदेशक श्री ली ह ने बताया ,हालांकि पेइचिंग के सरकारी स्कूलों ने बाहर से आए कई बच्चों को अपने यहां भरती किया है, पर यह आम तौर पर इन बच्चों के मां-बाप के प्रयत्नों का परिणाम ही था। पेइचिंग के स्कूलों के प्रधानाध्यापक इन बच्चों को स्वीकार कर भी सकते हैं और नहीं भी ।जिले व काऊंटी सरकार के संबंधित विभागों ने भी इस विष्य में अपनी स्पष्ट जिम्मेदारी नहीं स्वीकार की है। चीन में रुपांतर व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद पेइचिंग में दुसरे शहरों से आए लोगों की संख्या साल दर साल बढी है। पर इन वर्षों में उन्होंने राजधानी पेइचिंग के निर्माण में बड़ा योगदान किया है । इसलिए, उन के बच्चों की शिक्षा का सवाल अच्छी तरह हल किया ही जाना चाहिए।
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