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(GMT+08:00) 2005-08-03 16:59:42    
कंप्यूटर के इस्तेमाल से होने वाले रोगों की रोकथाम

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कंप्यूटर और इस से जुड़ी अनेक चीज़ों को इस समय का सब से महान आविष्कार माना जाता है।पर कंप्यूटर का इस्तेमाल मानव को भारी तकलीफ भी दे रहा है। कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले लोग अक्सर आखों में दर्द होने, सिर दुखने, कै आने और गर्दन की शिराओं का रोग होने जैसी शिकायतें करते हैं। कंप्यूटर के आविष्कार से लोगों को काम करने और जीवन जीने में बड़ी सुविधा मिली। कहा जा सकता है कि कंप्यूटर ने हमारे जीवन में पूर्ण रूप से परिवर्तन ला दिया है। आज बहुत से लोग दिन भर कंप्यूटर पर काम करते हैं। कुछ लोग बिना काम के भी इंटरनेट के प्रयोग तथा कंप्यूटर पर खेलों का मजा लेते हैं। पर वे नहीं जानते कि कंप्यूटर धीरे-धीरे उन की सेहत नष्ट कर रहा है। कंप्यूटर के इस्तेमाल से आमतौर पर सबसे ज्यादा होने वाला रोग आंखों का रोग है। कंप्यूटर के हद से ज्यादा प्रयोग से आंखों में सूखापन आता है और वे दुखने और कमजोर होने लगती हैं। इस वजह से हमारी नेत्रदृष्टि निरंतर बिगड़ती जाती है। युवाओं में ऐसे बहुत से लक्षण नज़र आते ही हैं। पेइचिंग शहर में एक कालेज में पढ़ रहे युवक चाओ ने बताया कि पहले उन की नजर 1.2 थी, पर अब 0.6 के नजदीक आ गई है। इसका कारण वे कालेज में दिन भर कंप्यूटर के इस्तेमाल को मानते हैं। कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय हमारी आंखें उसके पर्दे पर केंद्रित रहती हैं और आंखों व पर्दे के बीच की दूरी भी बहुत कम होती है। इस तरह कंप्यूटर का लम्बे समय तक इस्तेमाल हमारी आंखों पर हद से ज्यादा दबाव डालता है और हमारी आखों को अनजाने चोट पहुंचती है। यहां यह चर्चित है कि कंप्यूटर के पर्दे पर नज़र आने वाले चित्र कागज़ पर छपे चित्र की तरह नहीं होते। वे हमेशा चमकते रहते हैं । इन चित्रों का लम्बे समय तक देखने से हमारी आंखें सूखने लगती है। पता चला है कि आंखें झपकने से बहुत लाभ होता है। ऐसा करने से हम अपने आंसुओं के जरिये आंखों को साफ करते हैं और उन्हें नम बनाये रखते हैं। अगर आंखें लंबे समय तक सूखी रहें, तो हमारी नजर जरूर कमजोर होने लगेगी। कंप्यूटर के लम्बे समय तक इस्तेमाल से जो रोग पैदा होते हैं, उन की रोकथाम भी की जा सकती है। पेइचिंग रोग रोकथाम केंद्र के व्यावसायिक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर चंग हशीन का कहना है कि कंप्यूटर के इस्तेमाल से पैदा होने वाले रोगों को रोकने का सबसे सरल तरीका है, आराम। यानी हमें एक-दो घंटे कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के बाद दस-पंद्रह मिनट तक आराम करना चाहिये। तब हम आंखें बन्द कर सकते हैं या दूर की कोई वस्तु भी देख सकते हैं। हरे पेड़ों और फूलों को देखना भी आंखों के लिए लाभदायक होता है। प्रोफेसर चंग ने यह भी बताया कि कंप्यूटर के पर्दे की रोशनी हमारे आसपास की रोशनी से तीन गुनी होनी चाहिये। पर्दे पर कमरे के बाहर या भीतर की रोशनी की चमक का बचाव किया जाना चाहिये । कंप्यूटर के इस्तेमाल के समय हमें पर्दे के समांतर या नीचे की ओर देखना चाहिये और आंखों व पर्दे के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इस के अलावा कंप्यूटर के इस्तेमाल के समय आंखों की किसी उचित दवा का प्रयोग करना भी मददगार होता है। अगर हम लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, तो हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को भी काम करना पड़ता हैं। इस कारण भी हमें क्षति पहुंचती है। विशेषज्ञों के मुताबिक हमें कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय सही ढंग से बैठना चाहिये। मिसाल के लिए अपनी कोहनी को कंप्यूटर के कीबोर्ड के स्तर पर रखना चाहिये, कमर सीधी रखनी चाहिये, कुर्सी की ऊंचाचाई सही स्तर पर बनाये रखनी चाहिये और हर दस-बीस मिनट पर उठकर चलना चाहिये। कंप्यूटर का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से हमारा तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है। तकनीशियनों का कहना है कि कंप्यूटर के पर्दे से पैदा होने वाला विकिरण मानव के लिए खासा सुरक्षित है । पर कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल करने वाले हमेशा सिर दर्द होने, कै आने तथा नींद न आने की शिकायत करते हैं। इससे कुछ गर्भवर्ती महिलाओं के गर्भपात होने की भी रिपोर्टें आई हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कंप्यूटर के पर्दे से पैदा होने वाला विकिरण बहुत मामूली होता है, अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं प्राप्त हो सका है जिससे कंप्यूटर के इस्तेमाल से महिलाओं को गर्भपात होने की बात सिद्ध होती हो। फिर भी गर्भवर्ती महिलाओं को कंप्यूटर का इस्तेमाल कम ही करना चाहिये, क्योंकि गर्भधारण के पहले कुछ माहों तक रासायनिक व इलेक्ट्रोनिक जैसे बाहरी तत्व गर्भवती महिला के लिए हानिकर बताये जाते हैं। इधर के सालों में कम्प्यूटर और इंटरनेट के विकास ने जन जीवन पर बड़ा प्रभाव डाला । एक दशक पहले पेइचिंग के अधिकांश दफतरों में लोग आम तौर पर कलम से लिखते थे । पर आज कम्प्यूटर और इंटरनेट के विस्तार से चीनी दफतरों में कामकाज का ढंग बिल्कुल अलग हो गया है । कम्प्यूटर और इंटरनेट का प्रभाव जन जीवन के हर कोने पर दिख रहा है । उदाहरण के लिये हमारे चाइना रेडियो इंटरनेशनल के कर्मचारी हर रोज इंटरनेट का प्रयोग करते हैं , हम कम्प्यूटर से हिन्दी में भी लेख खबरें लिखते हैं , स्टूडियो में डिकिटल व्यवस्था से प्रोग्राम तैयार करते हैं , और इंटरनेट से श्रोता दोस्तों के साथ संपर्क रखते हैं । चीनी इंटरनेट सूचना केंद्र के अनुसार इस साल तक चीन में कुल चार करोड़ अट्ठावन लाख से अधिक लोग इंटरनेट का प्रयोग कर रहे होंगे , इस से चीन , अमेरिका और जापान के बाद दुनिया के तीसरे स्थान पर हो गया है । चीन के इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं में शहर के निवासियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी शामिल हैं । पेइचिंग के उपनगरीय क्षेत्र में रहने वाली सुश्री वांग चेवन यैन इंटरनेट के जरिये अपने फार्म के उत्पाद तक बेचती हैं । उन्हों ने कहा कि इस साल मेरे फार्म में नाश्पाती का उत्पादन तीन सौ टन रहा , मैं ने इंटरनेट पर यह खबर प्रसारित की , तो केवल दस दिनों में हमारी सारी नाश्पाती बिक गयी । इधर के वर्षों में सूचना तकनीक का तेजी से विकास हुआ है । दस साल पहले एक सेलफोन का दाम दस हजार यवान , यानी लगभग पचास हजार रुपये था , जो अधिकांश लोगों की वार्षिक आय के बराबर था । पर आज सेलफोन का दाम सिर्फ एक हजार यवान के पास है , और इसे हरेक आदमी खरीद सकता है । फिर सेलफोन का आकार भी छोटा हुआ है , और इस की गुणवत्ता भी बहुत सुधरी है । उधर टीवी व रेडियो प्रसारण के विकास ने चीन के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में भारी परिवर्तन ला खड़ा किया है । गांव गांव में टीवी व प्रसारण की चीन सरकार की योजना के लागू होने से, देश के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले सात करोड़ लोगों को टीवी व रेडियो प्रसारण की सेवा प्राप्त हुई । किसान टीवी व रेडियो के जरिये कृषि उपयोगी जानकारी भी पाने लगे हैं । उत्तरी चीन के हपेइ प्रांत के किसान च्यांग रे श्यांग का कहना है कि मैं ने टीवी के विज्ञान व तकनीक कार्यक्रम से बहुत सी नयी जानकारियां प्राप्त की हैं । अब मुझे कीटाणु नाशक दवा के प्रयोग में पहले से ज्यादा कौशल हासिल है ।