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(GMT+08:00) 2005-08-01 15:04:16    
चीन के विश्विद्यालयों के स्नातकों का खुद नौकरी चुनने का विचार

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1980 के दशक के अंत में चीन में सरकार द्वारा विश्विद्यालय स्नातकों को नौकरी बांटे जाने की नीति रद्द होनी शुरू हुई और इस के साथ ही चीन के उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के दाखिले में तेजी आने लगी। विश्विद्यालय स्नातकों की संख्या इधर तेज़ी से बढ़ी है और इन स्नातकों के बीच बेहतर नौकरी पाने की प्रतिस्पर्द्धा भी साल दर साल तीव्र हो रही है। इस बीच छात्रों के दिमाग में मनपसंद नौकरी खोजने का विचार निरंतर गहराया है।

चीन में अनेक स्नातकों के अध्ययन के विषयों पर समाज में चर्चा नहीं होती और चीन को उन की बड़ी आवश्यक्ता नहीं जान पड़ती। नौकरी ढूंढ़ना उन के लिए एक बड़ी समस्या है। ली छन रौ इन में से एक है। वह पेइचिंग विदेशी भाषा अकादमी में पोलिश भाषा का छात्र है। पोलैंड की संस्कृति में मेरी गहरी रुचि है इसलिए उस ने यह भाषा चुनी। अब वह पोलिश सीखने के साथ मैं दूसरे विषयों की भी पढ़ाई कर रहा है। उसे मालूम है कि केवल पोलिश जानने भर से उस का नौकरी पाना मुश्किल होगा।वह अपनी चिंता यों प्रकट करता है।

पोलिश जैसी भाषा की समाज में बहुत बड़ी मांग नहीं है। संतोषजनक नौकरी की खोज में मैं कुछ परीक्षाओं में भाग ले चुका हूं और कई साक्षात्कार दे चुका हूं। लेकिन अब तक कहीं से भी कोई जवाब नहीं मिला है।

ली छन रौ की चिंता आज के चीन में प्रतिभा की स्पर्धा मौजूद होने के तथ्य को प्रतिबिंबित करती है। इधर के वर्षों में चीन का तेज़ आर्थिक विकास हुआ है। चीन के प्रतिभा बाजार में आर्थिक प्रबंध, विपणन, इलेक्ट्रौनिक्स, कंप्यूटर , स्वचालित वाहन तकनीक एवं अंग्रेजी जैसे विषयों के जानकारों की विशेष मांग है। जाहिर है, इन विषयों के छात्रों के पास बेहतर नौकरी के कहीं अच्छे अवसर हैं। ली छन रौ उन की तुलना में अच्छी स्थिति में नहीं हैं।

खैर जब हमने ली छन रौ से पूछा कि क्या वे सोचते हैं कि सरकार को स्नातकों को नौकरी देनी चाहिए तो उन्होंने जवाब नहीं में दिया। उन के अनुसार, अब चीन में बाजार अर्थतंत्र है। इसमें सब को प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ रही है। फिर अपनी रुचि व योग्यता के अनुकूल काम खोजना बहुत लाभदायक है।

श्री ली छन रौ ने कहा कि भविष्य में किसी व्यक्ति के लिए किसी विशेष तकनीक पर महारत हासिल करना ही लाभदायक होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि चीन के बाहरी दुनिया के लिए अपने द्वार खोले रखने की नीति के लागू रहने के चलते पोलिश भाषा जानने वाले व्यक्तियों को रोजगार के और अधिक मौके मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में वे खुद पर भारी दबाव महसूस करते हैं और उन्हें और कई विषय पढ़ने पड़ रहे हैं।

उनके इस जवाब से चीन के आज के विश्वद्यालय स्नातकों के इस सामान्य विचार की झलक भी मिलती है कि वे नौकरी की खोज की एक गंभीर परिस्थिति में हैं पर उनकी स्वतंत्रता भी दिन ब दिन गहरी हो रही है। वे अपनी क्षमता व प्रयास से अपना मूल्य सिद्ध करना चाहते हैं।

आज पेइचिंग, शांगहाए औऱ क्वांगच्ओ जैसे चीन के कुछ बड़े शहरों में दूसरे प्रांतों के बहुत से स्नातक अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं। वे चीनी स्नातकों के एक विशिष्ट समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। सामान्य उच्च शिक्षा संस्थाओं के ये स्नातक आम परिवारों के बच्चे हैं। उन का बचपन अपेक्षाकृत गरीबी में बीता है और उन्हें विश्वास है कि बड़े शहरों में उनके लिए भी अनेक अवसर हैं। वे मित्रों के साथ मिलकर किराये के मकानों में रहते हैं और सुअवसर को ऊंची आमदनी से महत्वपूर्ण मानते हैं।

सुश्री वांग लीन ऐसी ही एक युवती हैं। वे उत्तर-पूर्वी चीन के शन यांग रेडियो व टी वी विश्विद्यालय की स्नातक हैं। वहां पढ़ने के दौरान उन्हें एक अच्छी अंशकालिक नौकरी मिली। स्नातक होने पर वे इस अनुभव के आधार पर अपने ही शहर में आसानी से एक स्थायी नौकरी पा सकती थीं,लेकिन पेइचिंग चली आयीं औऱ अब यहां अपने तीन मित्रों के साथ 40 वर्गमीटर के छोटे से मकान में रहती हैं। पिछले कुछ महीनों में वे 10 से ज्यादा नौकरियों के लिए आवेदन कर चुकी हैं और कोई 10 कंपनियों में उनका साक्षात्कार भी हुआ लेकिन, अब तक वे उचित नौकरी नहीं पा सकी हैं। इस के बावजूद उन्हें अपने भविष्य पर पूरा विश्वास है। वे वही नौकरी चुनना चाहती हैं जिसमें उन्हें अपना भविष्य उज्ज्वल नजर आता हो। मुझे नहीं लगता कि केवल मशहूर विश्वविद्यालयों या बड़े शहरों के स्नातक ही अच्छे नौकरी पाते हैं। सब से महत्वपूर्ण बात स्नातक की क्षमता है । स्कूल से सभी ज्ञान नहीं प्राप्त किये जा सकते। हमें काम का अनुभव भी होना चाहिए।

सुश्री तंग ह्वा की हालत ली छन रौ औऱ वांग लिन से भिन्न है। तंग ह्वा शांगहाई के फू देन विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंध विभाग की स्नातक हैं । इस समय वे विश्व की चार प्रमुख लेखा कंपनियों में से एक एन योंग में काम कर रही हैं। वे अपने विशेष विषय ज्ञान के बूते स्वतंत्रता से कारोबारों द्वारा प्रदत्त नौकरी व शर्तों का भी चुनाव कर सकती हैं। सुश्री तुंग ह्वा ने बताया, पहले की रोजगार नीति बहुत अच्छी नहीं थी। अब न्यायसंगत प्रतिस्पर्द्धा होती है। मेरा विचार है कि युवाओं का प्रतिस्पर्द्धी होना बहुत अच्छा है, और आवश्यक भी। कारोबार हो या समाज प्रतिस्पर्द्धा हमारे लिए एक किस्म की प्रेरणा और दबाव है।

सुश्री तुंग ह्वा के अनुसार अब समाज में हर जगह प्रतिस्पर्द्धा मौजूद है इसलिए केवल लगातार पढ़ने से ही हम विकास के कदम से कदम मिला सकते हैं।