फिलहाल यदि आप सिन्चांग के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित थाछङ शहर गए , तो आप यह कहानी सुनने को पाएंगे कि शहर के युवा निवासी चांग वी ने किस तरह अपनी जान से पूरे शहर को प्रभावित कर दिया है । लेकिन चांग वी की कहानी सुनने से पहले आप इस का प्रश्न याद करे कि दिवंगत चांग वी का जीवन किस शहर में बीता था ।
दिवंगत चांग वी का जन्म सिन्चांग के थाछङ शहर के एक साधारण मजदूर परिवार में हुआ , वर्ष 1996 में पेइचिंग यातायात कार्यकर्ता शिक्षा कालेज से स्नातक होने के बाद वे अपने शहर में लौटे । वर्ष 2005 के आठ मार्च में भंयकर बाढ़ से बचाव व राहत काम के दौरान निर्मम लहरों ने उन्हें अपने चपेट में ले लिया , युवा चांग वी ने शहर की रक्षा के लिए अपनी नौजवान जिन्दगी का न्याछावर किया ।
चांग वी के निधन पर इस सीमावर्ती शहर थाछङ में काफी हलचल मचा , उन की शोक सभा में 400 से ज्यादा नागरिकों ने स्वेच्छापूर्वक आकर इस 29 वर्षीय युवा को श्रृद्धांजलि अर्पित की, जिन में विकलांग भी थे और वयोवृद्धा भी , उन सभी लोगों की आंखों में आंसू बह रही थी।
क्यों इतनी बड़ी संख्या में अजनबी उन्हें बिदा देने आए थे , जिस के पीछे इस निस्वार्थ युवा द्वारा शहर के विभिन्न वर्गों के लोगों को मदद देने की दिलकश कहानी है । अपने जीवन में चांग वी हर वक्त कठिनाइयों से ग्रस्त लोगों को मदद देने को तैयार रहता था , उन की मदद पाने वालों में विकलांग , वयोवृद्ध , आइसक्रीम बेचने वाली बूढ़ी , जूता मरम्मत करने वाले तथा कबाड़ कचरा चुनने वाले भी शामिल थे । उन की शोक सभा पर एक वयोवृद्धा ने हृद्यद्रावक रूदन से उन्हें पुकारते हुए कहा, मेरा बच्चा , तुम वापस आओ , तुम वापस आओ , जिस ने उपस्थित लोगों का दिल फाड़ कर टुकड़ा सा कर दिया । चांग वी से मदद पाने वाली वयोवृद्धा थांग स्यांग छिंग ने कहाः
वे चुपचाप से चल बसे , पर अपने जीवन में उन्हों ने अनगिनत लोगों को सहायता दी थी , उन्हों ने मेरे लिए खाना और पहनना खरीदा था और कहता था कि दादी जी ,तुम अपने स्वास्थ्य का अच्छा ख्याल करें । लेकिन अब मैं यहां हूं , वे बहुत कम उम्र में ही चले गए ।
वयोवृद्धा थांग स्यांग छिंग एक संतानहीन महिला है , वह कबाड़ चुनने बेचने से अपना जीविका चलाती है , जीवन बहुत दुभर है , अपने जीवन में चांग वी उन्हें सात साल तक मदद देता रहा , उन्हें चावल , पकवान , वस्त्र और जूता खरीद कर देता रहता था और उन्हें खाना पकाने , कमरा साफ करने तथा कबाड़ बटोरने में मदद देता रहा था ।
75 वर्षीय न्ये फे फांग ने आइसक्रीम बेचने वाली है ,चांग वी के देहांत पर उन्हों ने बड़ी दुख के साथ कहाः
आइसक्रिम बेचने के काम में मुझे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था , चांग वी ने मुझे कठिनाइयों को दूर करने में मदद दी थी , जिस से मेरा जीविका अब तक ठीक से चल रहा है । अब वह चल बसे है , पर उन का दयालु हृद्य हमेशा मेरे साथ जुड़ा रहेगा ।
बात यह है कि वर्ष 2002 में दफतर से घर लौटने के रास्ते में चांग वी की मुलाकात आइसक्रीम बेचने वाली बूढ़ी न्ये फे फांग से हुई थी , उस की वयोवृद्धावस्था देख कर चांग वी ने उसे उस की व्यस्तता में मदद दी । इस के बाद तीन सालों तक चांग वी दफतर पहुंचने से पहले और घर लौटने के समय बूढी न्ये फे फांग की मदद के लिए हाजिर होते थे ।
उन्हों ने न्ये फे फांग के आवास के स्थानांतरण में पूरा बंदोबस्त किया , सदियों के दिन उसे गर्म जूता व टोपी खरीदे और आइसक्रीम बेचने के वक्त उसे गर्म गर्म खाना खरीद कर लाया । आइसक्रीम बेचने के स्थल की किराया अस्सी य्वान में से 50 य्वान चांग वी हर महीने चुपचाप से न्ये फे फांग के लिए जमा करते थे , न्ये फे फांग खुद केवल तीस य्वान देती है । यह बात भी चांग वी के देहांत के बाद न्ये फे फांग के लिए रहस्योद्धाटित हुई है ।
श्री खांग वनश्यो एक रिक्सा मजदूर है , तीन साल पहले जब वह भारी माल लदा रिक्सा चलाते हुए एक ढलान पर जा रहा था , अनायास उसे रिक्सा बहुत हल्का महसूस हुआ , मुड़ कर देखा , तो पाया कि पीछे एक नौजवान उस की मदद के लिए रिक्सा आगे ठेल रहा है । इस मौके से दोनों में दोस्ती कायम हुई । खांग वनश्यो का कहना हैः
सड़क पर रिक्सा चलाते समय मुझे अनेकों बार उन्हें दूसरों को मदद देते हुए दिखाई पड़े थे , चाहे हान जाति के लोग हो या अल्पसंख्यक जाति के , विकलांग हो या बच्चे , वे तमाम लोगों की मदद करने पर पेश होते थे और कभी भी अपना नाम नहीं बताते थे । वे सभी काम निस्वार्थ से करते थे , कभी नाम और धन नहीं चाहते थे ।
अपने मां बाप की नजर में चांग वी एक मितभाषी लड़का था , वह माता पिता को बहुत प्यार और सम्मानित करता था , घर में मां के गृहस्थी में हर वक्त मदद करता था । जब उसे रोजगार मिलने पर पहले महीने का वेतन मिला , तो उस ने दादा दादी के लिए पुष्टिकर पकवान और पिता के लिए दवा खरीद कर लाए । इस साल के आठ मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन पहले यानी उस के निधन से पूर्व के दिन भी उस ने माता के लिए नया मोजा खरीद कर दिवस के उपहार के रूप में दे दिया था ।
चांग वी की बड़ी बहन ने कहा कि मेरा भाई सड़क पर जब कभी भूखारी से मिला , तो वह जरूर अपने जेब के तमाम पैसा निकाल कर उसे देता था । वह स्वभाव में दूसरों की मदद के लिए सामने आता था , वरना वह चांग वी नहीं होता । अपने जीवन काल में चांग वी ने अपनी बहन को बताया था कि उस का सब से बड़ा मनसा एक कल्याण सदन खोलना है ।
देहांत के समय चांग वी के जेब में मात्र एक य्वान छै मो और तीन फन के पैसे थे , बैंक खाते में केवल छै फन यानी बीस पैसा के बराबर रह गया , लेकिन उस की मेज के दराज में मानि आर्डर की मोटी रसीदें पायी गई थीं , जिन में सौ य्वान और दो सौ य्वान अनेक बड़ी रकम शामिल है , ये पैसे उन से आर्थिक कठिनाइयों से परेशान हुए स्कूली छात्रों को भेजे गए थे , उन की मदद से कई छात्र फिर से स्कूल पढ़ने लौटने में समर्थ हो गए । थाछङ के प्रथम मिडिल स्कूल की छात्रा वांग तिंग ने कहाः
चांग वी ने बहुत से अच्छे काम किए थे , वे हर समय कठिनाइयों से ग्रस्त लोगों को मदद देने को तैयार थे । वे भौतिक सहायता के अलावा मानसिक रूप से भी उन्हें मदद देते थे , अब वे चले गए , किन्तु उन की निस्वार्थ भावना हमेशा हमें प्रेरित करती है , हम उन से सीखते हुए कल्याण का काम करेंगे ।
|