दोस्तो, क्या आप जानते है कि पेइचिंग और शांगहाई जैसे बड़े शहरों में आप समूचे चीन के विभिन्न क्षेत्रों का विशिष्ट स्थानीय स्वादिष्ट खाना खा सकते हैं। चीन के सब से बड़े परम्परागत वसंत त्यौहार, पहली मई को मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस और पहली अक्तूबर के राष्ट्रीय दिवस की एक सप्ताह की सरकारी छुट्टियों में ये विविध पौष्टिक व स्वादिष्ट पकवान लोगों को विशेष रूप से अपनी ओर खींचते है। इतना ही नहीं, विभिन्न प्रकार के स्वाद वाले रेस्त्रां भी खूब पैसे कमाने के सुनहरे मौके से हाथ धोना नहीं चाहते। आइये, आज के इस कार्यक्रम में हम आप को पेइचिंग के कुछ जातीय विशेषता वाले रेस्त्राओं में ले चलते हैं। इन रेस्त्रांओं में आप भिन्न-भिन्न शैलियों के खाने का मजा ही नहीं लेंगे, चीन की अल्पसंख्यक जातियों के रिवाज की झलक भी पा सकेंगे।
मित्रो, जब हम ने म्याओ जाति के इस रेस्त्रां में कदम रखा, तो पाया कि वहां खाने का इंतजार करने वाले ग्राहक अपने हाथों में दो छोटे पेंच लिये म्याओ जाति की पोशाक में सजे सेवकों के साथ इस संगीत की ताल पर नाच कर रहे हैं। इस रेस्त्रां में हर शाम साढ़े सात बजे इस प्रकार का नृत्य होता है और ग्राहक अपनी इच्छा से इसमें शामिल हो सकते हैं। इस समय पूरे रेस्त्रां में अत्यंत उल्लासपूर्ण वातावरण रहता है।
म्याओ जाति का यह रेस्त्रां पेइचिंग के पश्चिमी भाग में है। इस के मालिक, रसोइये और सेवक सब के सब म्याओ जाति के हैं। रेस्त्रां के गेट के पास खड़ी म्याओ जाति की पोशाकों में सजी दो सुंदर युवतियां म्याओ जाति का गाना गाते हुए ग्राहकों का स्वागत करती हैं। ग्राहकों को गेट के अंदर कदम रखने पर म्याओ जाति के रिवाज के अनुसार मदिरा पिलायी जाती है। इस रेस्त्रां में काम करने वाली युवती आपियेन ने इस रीति का परिचय इस तरह दिया।
म्याओ जाति आम तौर पर गाय की सींग में शराब भर कर मेहमानों को पिलाती है। मेहमान अपने दोनों हाथ पीछे रखकर अपनी मर्जी से जितनी चाहे शराब पी सकता है और फिर किसी रुकावट के बिना वह सीधे उनके घऱ के अंदर जा सकता है। यदि शराब पीते समय उसका हाथ गाय के सींग को छू जाये, तो उसे सजा के रूप में और शराब पीनी पड़ती है और ऐसा न करने पर उसे अंदर जाने नहीं दिया जाता।
म्याओ जाति का यह रेस्त्रां भी इस का अपवाद नहीं है। हम इसके गेट पर मदिरा पीने के बाद रेस्त्रां के अंदर पहुंचे। रेस्त्रां के हाल में करीब 15 मेजें रखी हुई थीं। इन पर दसियों ग्राहक एक साथ बैठकर खाना खा सकते हैं। रेस्त्रां में तैयार विभिन्न स्वाद वाले पकवानों ने म्याओ जाति की आहार संस्कृति व पाककला को प्रदर्शित किया। उदाहरण के लिए वहां उपलब्ध कुछ जंगली सब्जियां विशेष तौर पर क्वेचाओ प्रांत के म्याओ जाति बहुल क्षेत्र से लायी जाती हैं। इसके साथ ही म्याओ जाति का पसंदीदा म्याओ लिंग नामक खट्टा मछली सूप भी कम चर्चित नहीं है। कहा जाता है कि म्याओ जाति के सभी लोग खट्टा मछली सूप पसंद करते हैं। इसे बनाने की विधि काफी आसान है। इसमें ताजा मछली के मांस को टमाटर के सूप में उबाला जाता है और फिर सूप के साथ मछली भी खायी जाती है। म्याओ जाति के इस रेस्त्रां के रसोइये श्री थांग फेइ ने कहा मछली से तैयार यह सूप बहुत ताजा व स्वादिष्ट ही नहीं होता, मोटेपन को कम करने में भी सहायक होता है। इस खट्टे मछली सूप को बनाने में जिन मसालों का प्रयोग होता है, वे सभी क्वेचओ प्रांत के म्याओ जाति बहुल क्षेत्र से लाये जाते हैं।
सुश्री ली ह्वई अक्सर इस रेस्त्रां में आती हैं। उन्हों ने हमें अपना अनुभव कुछ इस तरह बताया इस रेस्त्रां ने अपने वातावरण से विशेष पहचान बनाई है। यहां के सेवक बड़ी लगन व बारीकी से ग्राहकों की सेवा करते हैं। इस रेस्त्रां में ग्राहक खाना खाते हुए म्याओ जाति के नृत्य-गान का मजा भी ले सकते हैं। यह अल्पसंख्यक जातियों को जानने का अच्छा मौका देता है। मुझे यह रेस्त्रां बहुत पसंद है।
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