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(GMT+08:00) 2005-07-26 14:18:33    
चीनी परम्बरागत वाद्य यंत्र श्रृंखलाबद्ध घंटे 

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श्रृंखलबद्ध घंटे प्राचीन चीन का महत्वपूर्ण ताल वाद्य यंत्र माना जाता है और वह एक विशेष किस्म का घंटा है ।

  यह है चीनी परम्परागत वाद्य श्रृंकाबद्ध वाद्य से बजाई गई धुन "बांसुरी की कविता"।

यह वाद्य यंत्र अनेक छोटे बड़े आकार वाले घंटे सुव्यवस्थित रूप से लकड़ी से तैयार ढांचे पर लटकाया जाता है और उन में हरेक घंटे की आवाज अलग अलग होती है । भिन्न काल होने पर उन का आकार प्रकार भी भिन्न भिन्न होने पर भी यह समान विशेषता देखने को मिलती है कि हरेक घंटे पर बहुत सूक्ष्म चित्र पाये जाते हैं ।

कोई तीन हजार पांच सौ वर्षों से पहले के श्यांग काल में चीन में श्रृंखलाबद्ध घंटे वाद्य यंत्र के रूप में पैदा हुए , उस समय आम तौर पर तीन घंटों का सेट ज्यादा प्रचलित था । बाद में युग के विकास के चलते हरेक सेट के घंटों की संख्या निरंतर बढ़ती गयी है ।

प्राचीन काल में यह वाद्य यंत्र अधिकतर राजमहल में बजाया जाता था , तत्काल में युद्ध लड़ने , राजा की मुलाकात करने या पूजा प्रार्थना करने के मौके पर इसी प्रकार के वाद्य यंत्र को बजाने की परम्परा थी ।

  यह है श्रृंखलाबद्ध घंटे से बजाई गई धुन"छू राज्य के वीर"।

चीन के प्राचीन काल में शृंखला घंटा ऊपरी समाज का विशेष वाद्य यंत्र है और वह समाज के वर्गों और अधिकारों का द्योतक भी है । आधुनिक युग में चीन के युन्नान , शानशी और हूपेह आदि इलाकों में प्राचीन राजाओं व शाही परिजनों की समाधियों की खुदाई में बहुत से प्राचीन श्रृंखलाबद्ध घंटे प्राप्त हुए हैं । जिन में हूपेह प्रांत की स्वी कांऊटी में नम्बर दो चंग हो समाधि की खुदाई में प्राप्त श्रृंखलाबद्ध घंटे सब से ध्यानाकर्षक है । इस पूरे सेट के घंटों के बनाने का स्तर बहुत ऊंचा ही नहीं , आवाजों का दायरा भी बहुत विशाल है । उल्लेखनीय बात यह है कि घंटों पर अंकित दो हजार आठ सौ अक्षरों में संगीत के संदर्भ में बहुत से विशेष शब्द व जानकारियों का वर्णन किया गया है , इस से चीन की प्राचीन संगीत संस्कृति का समुन्नशील स्तर जाहिर हुआ है ।

ये श्रृंखलाबद्ध घंटे संख्या व पैमाने की दृष्टि से चीन में खुदाई में प्राप्त सब से अच्छी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें मानव जाति के सांस्कृतिक इतिहास का करिश्मा माना जाता है । श्रृंखलाबद्ध घंटों की ध्वनि मधुर व लयदार लगती है और वह संगीत को गाने के रूप में बजाये जाने से गाना घंटों के नाम से नामी है ।

सन् उन्नीस सौ बयासी में ऊहान जातीय वाद्य यंत्र कारखाने और ऊहान सूक्ष्म उपकरण निर्माण कारखाने ने नम्बर दो चंग हो समाधि की खुदाई में प्राप्त श्रृंखलाबद्ध घंटों के आधार पर एक नये सेट के श्रृंखलाबद्ध घंटे तैयार किये । मंच पर अभिनय और आधुनिक संगीत की जरूरत के अनुसार इस घंटों की कड़ी में सिलसिलेवार सुधार लाये गये हैं । इस कड़ी में कुल चौबीस घंटे हैं और हरेक घंटे से दो अलग ध्वनि निकल सकती है तथा वे तीन कतारों में लटकाये जाते हैं ।

  यह है चीनी परम्परागत वाद्य श्रृंखलाबद्ध घंटे से बजाई गई धुन "छ्वू य्वान ने नाव चलाने वाले से पूछा" ।