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(GMT+08:00) 2005-07-25 20:39:02    
चीनी नौजवानों का नया फेशन

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चीन का सरकारी टी वी स्टेशन --- सी सी टी वी प्रति दिन आम आदमी की कहानी नामक एक कार्यक्रम प्रसारित करता है। इस में उस के अपने पेशेवर कैमरा मैनों द्वारा फिल्लाई गई कहानियां नहीं होती हैं, बल्कि दर्शकों केअपने निजी दिजिडल वीडियो कैमरों या मीनी डीवी से तैयार आम लोगों की जिंदगी के वीडियो शामिल होते हैं। मिनी डी वी अब चीन में कोई उच्च तकनीकी यंत्र नहीं रह गया है , बल्कि जीवन को वीडियो पर दर्ज करने के लिए अपने आप को जाहिर करने का एक साधन बन गया है। यह विशेषकर युवाओं में प्रचलित है।

वर्ष 2001 में चीन के हांगकांग के अमरपक्षी टी वी ने , जो चीन के भीतरी इलाकों तथा विदेशों में प्रवासी चीनियों में बहुत मशहूर है, हर हफ्ते अपने एक नियमित कार्यक्रम में चीन के भीतरी इलाके तथा हांगकांग एवं थाईवान के युवाओं द्वारा फिल्माए वीडियों का प्रसारण शुरु किया । इन वीडियो से चीन के सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्र प्रतिबिंबित होते थे ।

इस से इस प्रोग्राम ने न केवल इस टी वी के समग्र कार्यक्रम को अनूठा बनाया , दर्शकों का गहन प्रेम भी हासिल किया । अमरपक्षी टी वी के प्रभारी श्री छ्वन क्वो शेन के

अनुसार, आज का जमाना एक ऐसा वक्त है, जब हर कोई , विशेष कर युवा अपने मन बात को सब के सामने रखना चाहता है। विज्ञान व तकनीक के विकास के साथ साथ, मिनी डीवी ने अब लाखों परिवारों में प्रवेश किया है। और अपने विचारों भावों को प्रकट करने के लिए वीडियो बनाना खासा अच्छा तरीका बन गया है।

श्री जू मिन छ्वेन दो वर्ष पूर्व पेइचिंग फिल्म इंस्टिट्यूट से स्नातक होकर मिकले थे औऱ अब पेइचिंग की एक प्रकाशन एजेंसी में कार्यरत हैं। उन्हें डी वी पर काम करने का बेहद शौक है। उन का कैमरा अकसर शहरों के निम्न वर्गीय नागरिकों के जीवन पर केंद्रित रहता है। उन का एक वीडियो रचना है पेइचिंग के रुई धुनिस। इसे हाल ही में जापान में पुरस्कार भी मिला है, यह पेइचिंग में रुई युतकों वाले मजदूरों का जीवन दर्शीती है।

"पेइचिंग में कपास धुनाई मजदूर" श्री जू मिन छ्वेन की दो वर्ष पहले तैयार की गई प्रथम डी वी रचना है। उन्होंने इस के बारे में इस तरह बताया, एक दिन पेइचिंग के एक महाविद्यालय से गुजरते समय मेरी मुलाकात एक धुनियें से हुई। मुझे उन का जीवन बहुत दिलचस्प लगा। मैं उसे और करीब से जानना चाहता था । मैं उन के साथ बातचीत कर रिपोर्ट भी लिख सकता था , लेकिन, मैंने नये तरीके से यह काम करना चाहा। सो अपने कैमरे से उन के जीवन को कंद करना शुरु किया। मेरा विचार है कि वीडियो के जरिए जीवन को सच्चे रुप में चित्रित किया जा सकता है।

श्री जू मिन छ्वेन ने इस धुनिए के साथ बातचीत की औऱ फिर उस के मित्र भी बन गये। इस से उन्होंने उस का विश्वास हासिल किया और आखिर उन के जीवन का वीडियो उतारने में सफल रहे।

चीनी नागरिकों के लिए दस हजार य्वान या लगभग पयास हजार रुपए की कीमत वाला डी वी कैमरा आम घरेलू विद्युत यंत्र बन गया है। पर डी वी बनाना बहुत सरल नहीं । वीडियो में कुछ विचार भी दिखाने जरुरी होते हैं। आम चीनी लोग, विशेषकर युवा वीडियो खींचने के शौकीन हैं। पेइचिंग फिल्म इस्टिट्यूट के अध्यापक श्री दू छिंग छ्वन ने इस प्रकृति का विश्लेषण करते हुए करते हैं कि सामाजिक वातावरण में आये बदलाव से लोगों के विचार भी बदले हैं।

पहले की तुलना में हमारा समाज और खुला हुआ हो रहा है । लोग अपने व्यक्तित्व पर जोर देने लगे हैं। हर कोई अपने विचारों और अपनी जीवन धारा को दूसरों के सामने रखना चाहता है। ऐसी पृष्ठभूमि में ही डी वी निर्माण एक फेशन बना है।

डी वी कैमरे से लोग न केवल अपने जीवन का रिकार्ड रख सकते हैं, समाज के प्रति अपनी समझ भी अभिव्यक्त कर सकते हैं। चीन के अनेक महा विद्यालयों में इधर वीडियो निर्माण शिक्षण का एक नया माध्यम भी बन गया है। पेइचिंग प्रशिक्षण विद्यालय के कला विभाग की कार्यरत अध्यापिका थ्येन ह्वे छ्वन के अनुसार, आज के विद्यार्थी एक खुले व नये युग में रह रहे हैं। यह डी वी युग है। हम अकसर सोचते हैं कि विद्यार्थियों को दुनिया की अच्छी से अच्छी जानकारी देने के लिए कौन से अच्छे उपाय का प्रयोग करें। डी वी इस में एक अच्छा व कारगर उपाय सिद्ध हुआ है। वास्त्व में डी वी निर्माण प्रक्रिया ने क्षेत्र को अपनी आंखों से समाज की निगरानी करने का मौका दिया है।

अपने विद्यार्थियों की डी वी रचनाओं में सुश्री थ्येन ने देख पायी है कि वे उन मामलों पर भी ध्यान देने लगे हैं, जिन पर पहले उन की नजर तक नहीं जरुरी थी। इस अधअयापिका का मानना है कि डी वी युग की युवा पीढ़ी भविष्य में अवश्य बुद्धिमान व सुयोग्य साबित होगी।