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(GMT+08:00) 2005-07-22 10:05:20    
लोपुबो का शाओ ह कब्रस्तान की रहस्य

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आज से 70 साल पहले स्वीडन के पुरातत्व शास्त्री फॉल्क बेर्गमन ने चीन के सिन्चांग में लोपुबो झील के घाटी क्षेत्र में एक प्राचीन कब्रस्तान का पता लगाया था , जिस ने तत्काल में विश्व का ध्यान बरबस आकृष्ट कर दिया था , लेकिन दूरदराज व निर्जन क्षेत्र में होने के कारण लम्बे अरसे से इस प्राचीन कब्रस्तान के रहस्य का उद्घाटन नहीं किया जा पाया । नई शताब्दी में आ कर पिछले दो सालों से चीनी पुरातत्ववेताओं ने इस कब्रस्तान की खुदाई करके अंत में इस प्राचीन कब्रस्तान का रहस्योद्घाटन कर दिया है । आज के सिन्चांग का दौरा कार्यक्रम में आप सुनेंगे शाओह कब्रस्तान का रहस्य ।

लोपुबो का शाओ ह कब्रस्तान सिन्चांग के दक्षिण पूर्व भाग में बहती हुई मोर नदी के निचले भाग में स्थित लोपुबो झील के घाटी क्षेत्र में आबाद है , जो चीन के विश्वविख्यात प्राचीन नगर लोलान के खंडहर से 175 किलोमीटर दूर है । चीनी पुरातत्ववेता सुश्री ली वनइंग ने हमें शाओ ह कब्रस्तान के रहस्य के बारे में बतायाः

शाओ ह कब्रस्तान मोर नदी की शाखा नदी शाओ ह नदी के किनारे पर स्थित है , वर्ष 1934 में स्वीडन के पुरातत्ववेता बेर्गमान शाओ ह नदी के किनारे किनारे वहां के प्राचीन कब्रस्तान में प्रवेश कर गया था , क्यों कि मोर नदी की यह शाखा नदी बहुत छोटी है , इसलिए बेर्गमान ने उसे शाओ ह अर्थात छोटी नदी के नाम से संबोधित किया , नदी के किनारे पर आबाद प्राचीन कब्रस्तान को भी शाओ ह कब्रस्तान का नाम दिया गया।

शाओ ह के प्राचीन कब्रस्तान का पता सब से पहले लोपुबो घाटी क्षेत्र में रहने वाली चीनी शिकारी ओलत्क ने लगाया था । वर्ष 1934 में बेर्गमान ओलत्क की रहनुमाई में शाओ ह नदी के पास आए थे , उन्हों ने प्राचीन कब्रस्तान की खुदाई में एक अच्छी तरह सुरक्षित हुई महिला शव का पता चला , जिस के शरीर पर कीमती वस्त्र पहना था , लम्बे काले बालों पर लाल फीता वाली ऊनी टोपी थी और चेहरे की मुद्रा हल्की नींद की अवस्था में थी , जिस पर मुस्कान खिला सा लगता था । यह शव विश्व में सब से अच्छी तरह सुरक्षित मुम्मी मानी जाती है ।

तकनीक जांच परख से मालूम हुआ था कि यह महिला इंडिया यूरोपीय नस्ल की थी , जो आज से चार हजार साल पहले रहती थी । बेर्गमान की इस खुदाई सफलता ने विश्व को आश्चर्य में डाल दिया था , बहुत से विशेषज्ञों ने इस का आगे सर्वेक्षण करने का इरादा किया , लेकिन दूर दराज निर्जन व वीरान रेगिस्तान में रहने तथा तत्कालीन चले युद्ध के कारण लम्बे अरसे तक कोई वहां नहीं जा पाया ।

वर्ष 2002 में चीनी पुरातत्व सर्वेक्षण दल ने पुनः शाओ ह कब्रस्तान का पता लगाया , इस के दूसरे साल सिन्चांग पुरातत्व अनुसंधान संस्थान ने शाओ ह कब्रस्तान और उस के आसपास के प्राचीन अवेशषों की खुदाई का काम शुरू किया , दो सालों के काम से वहां 167 प्राचीन समाधियों का पता चला , जिन में 1000 से अधिक अवशेष प्राप्त हुए , अवशेषों में लिंग पूजा की वस्तु और समाधि का रूपाकार सिन्चांग में पहली बार देखने को मिला है । सिन्चांग पुरातत्व अनुसंधान संस्थान के प्रधान इदिलिस अबुदोरेसुला ने कहाः

यह कब्रस्तान विश्व में दुर्लभ है , कब्रस्तान में विभिन्न समाधियों में दफनाए मृतकों का रिश्ता भी तय हो गया , जिस से लोपुबो घाटी क्षेत्र में प्रगैतिहासित काल के मानव के जीवन , लिंग पूजा के धामिक विश्वास ,पशुपालन व कृषि की स्थिति काफी हद तक साफ हो गयी और सिन्चांग के प्रगैतिहासिक काल की सभ्यता के स्पष्टीकरण में भारी मदद मिली है ।

शाओ ह कब्रस्तान का बाह्य रूपाकार एक अंडाकार रेतीली पहाड़ी जैसा है , जो दक्षिण और उत्तरी दो भागों में बंटा हुआ , अब तक मालूम हुए 167 समाधि सभी एकल कब्र है , कब्र में दफनाए ताबूत लकड़ी का है , ताबूत के आगे पीछे लिंग सूचक स्तंभ खड़ा किया गया , काला पतवार नुमा स्तंभ स्त्री सूचक है और लाल अंडाकार स्तंभ पुरूष सूचक है ।

ताबूत को बैल के चमड़ों से ओढ़ा गया , ताबूत का तल्ला नहीं है , जिसे तीन से छै बैलों के चमड़ों से कस कर ओढ़ दिया गया है । ताबूत में लकड़ी की मानव मुर्ति रखी गई है, जिस पर आंखें , नाक और मुह खोदे गए है , समझा जाता है कि यह मानव मुर्ति ताबूत के मृतक का एवज है ।

चीनी पुरातत्व शास्त्री ली वन इंग ने इस की चर्चा में कहाः समूचा कब्रस्तान दूर से देखने में लकड़ी के स्तंबों की जंगल लगती है , सभी समाधियों के तल्ले पर लाल रंग लगाया गया है , मालूम होता है कि इस में लोपुबो के प्राचीनतम काल की सभ्यता का रहस्य छुपा हुआ है ।

खुदाई से पता चला है कि शाओ ह के काल में लोगों के वेशभूषों में झालर वाला कमर कसा वस्त्र , बैल के चमड़े के बूटें , बड़ा आकार वाला खुली टोपी तथा विशाल वर्गाकार ऊनी शाल है । उन के बाहों पर सरल जेड की मोती और गर्दन पर मोटी ऊनी धागा से बना हार ।

एक सुबह चीनी पुरातत्व दल ने एक नावनुमा ताबूत खोला , जिस में एक युवा स्त्री की शव थी , उस के सिर पर ऊनी टोपी , दोनों आंखें मूंदी और मुह पर स्थिर हल्की मुस्कान थी , वह यूरोपीय श्वेत रंग की एक सुन्दरी थी , उस ने 70 साल पहले बेर्गमान द्वारा चित्रित उस मुस्कराई स्त्री की याद दिलायी है , जिसे उन्हों ने मुस्कराई रहस्यमय राजकुमारी का नाम दिया था ।

शाओ ह कब्रस्तान के ताबूतों की खुदाई में प्राप्त अवशेषों के विश्लेषण व अध्ययन से यह निश्चित हुआ है कि यह कब्रस्तान प्राचीन काल में एक तीर्थ पहाड़ी थी , जिस की मोर नदी के निचले भाग में रहने वाले प्राचीन लोग पूजा करते थे और अपने सुन्दर जीवन की प्रार्थना करते थे ।

इस साल शाओ ह कब्रस्तान की खुदाई का काम बुनियादी तौर पर समाप्त हुआ है , लेकिन शाओ ह कब्रस्तान में अब भी ढेर सारी रहस्यें छुपी हुई है । सुश्री ली वनइंग ने कहाः

अब तक यहां ताबूत निर्माण स्थल तथा उन के आवासी मकानों व बस्तियों के अवशेषों का पता नहीं चला है । हो सकता है कि रेगिस्तान के तेज तूफान से उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था ।

शाओ ह कब्रस्तान की खुदाई का काम वर्ष 2004 के चीन के दस प्रमुख पुरातत्व सर्वेक्षणों से एक चुना गया , उस ने सिन्चांग तथा मध्य एशिया के प्रगैकिहासिक काल के पुरातत्व सर्वेक्षण के विषयों को समृद्ध कर दिया । श्री ईदिलीस ने आगे के काम पर कहाः

अब खुदाई का काम समाप्त हुआ है , आगे हम अवशेषों के वर्गीकरण और अनुसंधान में काम करेंगे और यहां के मानव जाति , कृषि , पशुपालन तथा वनस्पति व जीवजंतु पर अनुसंधान करेंगे ।