
दोस्तो , आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को ले जा रहे हैं कि पूर्वी चीन के सूचाओ शहर के पश्चिम में स्थित एक प्राचीन कस्बे मूतू के दौरे पर। इस छोटे से कस्बे के पीछे लिंग येन शान नामक पर्वत खड़ा है,जबकि आगे श्यांगशी और श्यू च्यांग नदियां बहती हैं। हरे-भरे पर्वत की तलहटी में स्थित इस कस्बे ने अपने शांतिमय पर्यावरण व कल-कल करती नदियों से अपनी विशेष पहचान बनाई है। इतना ही नहीं, इसके अनेक क्षेत्रों में स्थापित पुरानी शैली के बगीचों ने भी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाये हैं। आइये निकलें इस बागनुमा कस्बे का दौरा करने।
प्रिय श्रोताओ, मूतू कस्बे का दौरा करने से पहले मुझे लगता है इस के नाम के पीछे छिपी कहानी जानना जरूरी है। कहते हैं, कोई दो हजार वर्ष पहले यहां ऊ व य्वे नाम के दो राज्य थे। एक बार दोनों के बीच लड़ाई हुई। इसमें ऊ ने य्वे राज्य को परास्त कर दिया। य्वे राज्य के राजा ने शीश नाम की सुंदरी ऊ राज्य के राजा को भेंट की। यह सुंदरी ऊ राज्य के राजमहल में कई सालों तक जासूसी करती रही। ऊ राज्य के राजा को शीश की असलियत का पता नहीं था। उसे इस सुंदरी से बहुत लगाव था। इसलिए राजा ने उसके लिए लिंग येन शान पर्वत पर विशेष तौर पर क्वान वा कूंग नामक विश्राम महल भी बनवाया। ऊ राज्य के राजा ने सुंदरी शीश को खुश करने के लिए यह आदेश भी जारी किया कि क्वान वा कूंग विश्राम महल के निर्माण में जितनी भी लकड़ी की जरूरत होगी , वह सब य्वे राज्य से खरीदी जायेगी। इससे लिंग येन शान की तलहटी से निकलने वाली कांगतू नदी में इतनी लकड़ियां एकत्र की गईं कि उनसे नदी का पानी तीन सालों तक रुक गया। लकड़ियों से नदी का पानी रोके जाने से ही इस का नाम मूतू पड़ा।
शीश क्वानवाकूंग विश्राम महल में अपनी दासियों के साथ मुंह धोने व नहाने के लिए जिस पानी का प्रयोग करती थी, वह भी लिंग येन शान पर्वत से निकलने वाली एक छोटी नाली में विलीन हो कर बहता था। अतः समय बीतते-बीतते इस नाली का पानी महकने लगा और स्थानीय लोग इसे महकदार या श्यांगशी पुकारने लगे। धीरे-धीरे यह महकदार नाली मूतू कस्बे का उपनाम बन गयी। महकदार नाली के अतिरिक्त कस्बे में चीन की प्रथम मानवकृत नहर शू च्यांग भी है। मूतू के प्रधान वांग वू मिन ने बताया कि कस्बे में हरेक नदी और पुल के पीछे एक सुंदर किम्वदंती छिपी हुई है।
वे कह रहे हैं, हमारे बगल से गुजरने वाली यह शू च्यांग नहर तत्कालीन जनरल ऊ ची शू की सेना ने खोदी थी। यह नहर सूचाओ के शू मन से थाई हू झीन होकर छांगच्यांग में जा गिरती है। तब शू च्यांग नहर एक महत्वपूर्ण रणनीतिक जलमार्ग थी और चीन की प्रथम मानवकृत नहर भी है। यह महकदार नाली और शूच्यांग नहर का संगम भी है।
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