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(GMT+08:00) 2005-07-18 17:04:22    
चुमोलांगमा चोटी  झिंगहाई झील

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आज के इस कार्यक्रम में हम कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, बविता केशरी प्रियंका केशरी खुशबू केशरी, एस के जिंदादिल, धनवंतरी देबी, सिताराम केशरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम और विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश की सुश्री रहमतुननिसा के पत्र शामिल कर रहे हैं।

पहले कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, बविता केशरी प्रियंका केशरी खुशबू केशरी, एस के जिंदादिल, धनवंतरी देबी, सिताराम केशरी का पत्र देखें। उन्होंने चुमोलांमा पर्वत के सर्वेक्षण दल के सदस्यों की संख्या जाननी चाही है।

दोस्तो, चुमोलांगमा हिमालय की सब से बड़ी चोटी है और विश्व में सबसे ऊंचा पर्वत शिखर भी। वर्ष 1975 में चीन ने इस चोटी की ऊंचाई नापी और इसे 8848.13 मीटर घोषित किया।

इस के बाद अनेक संस्थाओं व देशों ने इस चोटी की ऊंचाई नापी। मई 1999 में अमेरिका ने चुमोलांगमा की ऊंचाई नाप कर उसे 8850 घोषित किया, पर चीन ने इसे नहीं स्वीकारा और सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान का एक परिणाम ही माना।

चीन में सब से पहले 1717 में सरकार द्वारा प्रकाशित मानचित्र में चुमोलांगमा चोटी को दिखाया गया। वर्ष 1852 में एक ब्रिटिश सर्वेक्षण दल ने चोटी की ऊंचाई नापी और उसे 8840 घोषित किया।

 19 वीं शताब्दी के मध्य से 20 वीं शताब्दी के अंत तक के डेढ़ सौ वर्षों में करीब हर बीसवें वर्ष चोटी नापने का काम चला। वर्ष 1975 में चुमोलांगमा चोटी की ऊंचाई नापे जाने के बाद तीस साल बीत चुके थे। इसलिए इसे फिर से नापना चीन के वैज्ञानिक अनुसंधान व पर्यावरण संरक्षण के काम के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया।

इस वर्ष 15 मार्च को, चीन सरकार के तत्वावधान में चीनी पर्वतारोहण संघ और चीन की तिब्बती पर्वतारोहण टीम ने संयुक्त रूप से चोटी पर चढ़ने का अभियान शुरू किया, तो चीनी राजकीय सर्वेक्षण एवं मानचित्र ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने उन के साथ चोटी पर चढ़ कर इसे नापने का काम पूरा किया।

22 मई की सुबह, चीनी पर्वतारोहण दल व वैज्ञानिक सर्वेक्षण दल के कुल 24 सदस्य अग्रिम शिविर से सफलतापूर्वक चुमोलांगमा चोटी पर जा चढ़े और कठिन परिस्थिति में चोटी की ऊंचाई नापने का काम पूरा किया। इन सदस्यों में अनेक महिलाएं भी शामिल रहीं।

23 तारीख को, पर्वतारोहण दल व वैज्ञानिक सर्वेक्षण दल के दूसरे दस्ते ने चोटी पर चढ़ने का प्रयास किया, पर बुरे मौसम के कारण उन की कोशिश नाकाम रही।

खबर है कि सर्वेक्षण में प्राप्त सूचना के आकलन का काम शीघ्र पूरा होने वाला है। जुलाई के अंत में चीन सरकार इस का परिणाम पाने के बाद ही चोटी की ऊंचाई घोषित करेगी।

अंत में विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश की सुश्री रहमतुननिसा का पत्र देखते हैं। उन्होंने पूछा है कि चीन की सब से बड़ी झील का नाम क्या है और वह चीन के किस सूबे में है।

चीन की सब से बड़ी झील छिंगहाई झील है। यह झील उत्तर- पश्चिमी चीन के छिंगहाई प्रांत में स्थित है। छिंगहाई प्रांत को नाम इसी झील से मिला है। यह चीन की सब से बड़ी अंतर्देशीय खारी झील है। तिब्बती व मंगोल भाषाओं में छिंगहाई का मतलब है नीला सागर।

छिंगहाई झील का क्षेत्रफल 4456 वर्गकिलोमीटर है। इस झील की सीमारेखा 360 किलोमीटर लंबी है। झील की तल से सतह तक की औसत गहराई 19 मीटर है और सब से अधिक गहराई 28 मीटर। झील में जल की मात्रा कोई 1 खरब 5 अरब घन मीटर है।

यहां का मौसम सुहावना है। ग्रीष्म काल में औसत तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। पर्यटकों के लिए यह गर्मी से बचने का आदर्श रमणीक स्थल है।

  छिंगहाई झील छिंगहाई पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यहां विशाल घास मैदान है,अनेक नदियां बहती हैं और जमीन उपजाऊ है। इस झील के चारों ओर चार पर्वत खड़े हैं। इन पर्वतों की ऊंचाई समुद्र की सतह से 3600 से 5000 मीटर के बीच है।  

इस झील में अनेक मछलियां भी पाई जाती हैं।   

झील में दो टापू हैं। इन में से एक पर वसंत व ग्रीष्म में 1 लाख से अधिक पक्षी रहते हैं। यह पर्यटन के लिए बहुत सुंदर जगह है।

झील के तट पर विशाल चरागाह है और इस क्षेत्र में शानदार खनिज भंडार भी हैं।