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(GMT+08:00) 2005-07-18 15:05:08    
चीनी जातीय नृत्यकार यांग ली फिंग

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चीनी कलाकार यांग ली फिंग चीन में बहुत मशहूर हैं । चीनी अल्पसंख्यक जाति पाई जाति के प्रसिद्ध नृत्यकार के रूप में वे अपनी सुन्दर नृत्यकला से प्रकृति व जीवन का वर्णन करती हैं और मानव जाति का प्राकृतिक सौंदर्य दिखाती हैं । इस लेख में आप पाएंगे इस मशहूर पाई जाति की कलाकार की अनोखी कहानी ।

वसंत ऋतु के एक दिन मैं ने मशहूर चीनी नृत्यकार यांग ली फिंग से मुलाकात की । एक खूबसूरत लम्बा परिधान पहने यांग ली फिंग के कलाइयों और बांहों पर चीनी अल्पसंख्यक जाति म्याओ और वा जाति के आभूषण सज्जित हैं, उन के कानों पर तिब्बती जाति की कर्णबालियां लटकाई हुई हैं । देखने में यांग ली फिंग बहुत सुन्दर व कुलीन लगती है ।

यांग ली फिंग का जन्म वर्ष 1958 में दक्षिण चीन के युन नान प्रांत के ता ली शहर के एक पाई जाति के परिवार में हुआ । उन के माता पिता के तलाक होने के बाद यांग ली फिंग अपनी मां , दो छोटी बहनों और एक छोटे भाई

के साथ रहती थी । उसी समय उन के घर का जीवन गरीब था , लेकिन यांग ली फिंग की याद में बचपन की कठिनाइयों की जगह जन्मभूमि के अनोखे जातीय रिति रिवाज़ों और रंगबिरंगे नृत्यों की अमिट छाप भरी है । युन नान प्रांत चीन का अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्र है, यहां की अल्पसंख्यक जातियों की संख्या चीन में सब से ज्यादा है । चीनी अल्पसंख्या जातियां बहुधा गाने नाचने में निपुण हैं , वे गाने नाचने से अपनी भावना को अभिव्यक्त करना पसंद करते हैं । ऐसे वातावरण में पली बढ़ी यांग ली फिंग को बालावलस्था में ही नृत्यगान में गाढ़ा मोह आया, बचपन के बारे में उन की यादें नृत्यों से भरपूर जुड़ी हुई हैं , वे नृत्य की दुनिया में आनंद लेती है और अपने भाव का उद्गार करती हैं ।

यांग ली फिंग के रिते रिश्तारों में कोई नृतक नहीं है , नृत्य यांग ली फिंग को कुदरत द्वारा प्रदत्त एक अमोल प्रतिभा है । इस की चर्चा में यांग ली फिंग ने कहाः

"मुझे लगता है कि मुझ में जन्मसिद्ध नृत्य की प्रतिभा है, नृत्य करना मेरे लिए कोई मुश्किल काम नहीं है । मैं आसानी और अबाध्य रूप से अपनी भावना को अपने शरीर के अंगविक्षेप से प्रकट कर सकती हूँ । "

असाधारण श्रेष्ठ नृत्य प्रतिभा के कारण यांग ली फिंग को 13 की उम्र में युन नान के शी श्वांग पान ना स्वायत्त प्रिफ़ैक्चर की नृत्य गान मंडली में भर्ती किया गया । उसी समय यांग ली फिंग अपनी नृत्य गान मंडली के अन्य सदस्यों के साथ स्थानीय गांव गांव जाकर कला प्रदर्शन करती थी । वेतन कम था और खाने पीने की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन हर दिन गांव वासियों के लिए नृत्य प्रदर्शन करने से यांग ली फिंग को बड़ा आनंद और प्रसन्नता प्राप्त होता था। उन्होंने कहाः

"उसी समय हम गांवों में जाकर नृत्य प्रदर्शित करते थे । गांवों में हम बांस से बने दुतल्ला मकान में रहते थे । रात भर गांव के युवा हमारे मकान के नीचे अपना प्यार अभिव्यक्त करने के लिए बाऊ नामक एक परम्परागत जातीय वाद्य बजाते थे । हम बाहर जाकर उन के साथ गाते थे ,नाचते थे, बहुत सुखमय जीवन था । गांव युवाओं के प्यार की भावना बहुत सादा और निश्छल है ।"

             

शी श्वांग पान ना नृत्य गान मंडली में यांग ली फिंग ने एक बार ताई जाति के नात्य ऑपेरा"मोर राजकुमारी"में मुख्य पात्र सातवीं मोर राजकुमारी की भूमिका निभाई । इस पात्र के अभिनय से यांग ली फिंग धीरे धीरे चीन में मशहूर हो गयी । यांग ली फिंग मोर को बहुत पसंद करती हैं, संयोग से ही मोर राजकुमारी के पात्र ने उन के दिल के प्यार को उन की किस्मत के साथ जोड़ दिया , इसी के उपरांत मोर यांग ली फिंग के नृत्य जीवन का अभिन्न अंग बन गया । नात्य ऑपेरा "मोर राजकुमारी"में श्रेष्ठ प्रदर्शन से वर्ष 1981 में यांग ली फिंग को चीनी केंद्रीय जातीय नृत्य गान मंडली में चुना गया, इस से यांग ली फिंग की नृत्य कला में उत्तरात्तर भारी प्रगति हासिल हुई ।

चीनी केंद्रीय जातीय नृत्य गान मंडली में नए आए सदस्यों को कड़ाई से बेले नृत्य की शारिरिक ट्रेनिंग दी जाती है । यांग ली फिंग को भी ऐसी कड़ी ट्रनिंग लेना पड़ती थी । लेकिन बेले नृत्य की शारिरिक ट्रनिंग से यांग ली फिंग को बहुत रूखा और भारी लगती थी , उन्हें अनुभव हुआ था कि

उन के शारीरिक अंग भी कड़े हो गए और शरीर में निहित स्वतंत्र भावना लुप्त हुई । उन्हें लगा कि नृत्य की प्रतिभा अपने से और दूर दूर भाग गयी , लगता था कि वह फिर मोर राजकुमारी के रूप में नहीं नाच सकती हो । ऐसी स्थिति पर गौर कर यांग ली फिंग ने एक आश्चर्यजनक विकल्प किया कि वे चीनी केंद्रीय जातीय नृत्य गान मंडली में प्रबंधित बेले नृत्य की ट्रेनिंग में भाग नहीं लेंगी । उन का यह विकल्प तत्कालीन चीनी नृत्य जगत के लिए निश्चय ही एक भारी चुनौती मानी जाती थी और उन की इस प्रकार की विद्रोही भावना दूसरे लोगों की समझ में नहीं भी आती थी ।