वर्ष दो हजार तीन के तेईस मार्च को अफगानिस्तान ने बुनियादी शिक्षा की बहाली के बाद अपना दूसरा शिक्षा दिवस मनाया। इसी दिन, अफगानिस्तान के युद्ध अनाथों के लिए चीनी गैरसरकारी संगठनों द्वारा एकत्र की गयी कोई बीस लाख य्वान की सहायता राशि अफगान राजधानी काबुल पहुंची । यह धनराशि इन अफगान बच्चों के लिए दो स्कूलों की स्थापना पर खर्च की जाएंगी।
छै वर्षों के तालिबान शासन से वर्ष दो हजार दो में अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार छुटकारा पाने वाली अफगान जनता इस समय देश के पुनर्निर्माण के रास्ते पर आगे ले जाने की कोशिश कर रही है। अफगानिस्ता की जन संख्या का अस्सी प्रतिशत अनपढ़ है। इसलिए, देश के पुनर्निर्माण कार्य का एक महत्वपूर्ण पहलू तालिबान सत्ता द्वारा नष्ट की गयी बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की पूर्ण बहाली है।
खैर , कुछ समय के प्रयासों और चीन सरकार समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक सहायता से अफगानिसतान युद्ध द्वारा नष्ट अपने 5 हजार से ज्यादा स्कूलों में से 30 प्रतिशत को पुनः खड़ा करने में सफल रहा है और तीस लाख बच्चों को फिर से उन का बस्ता लौटा सका है।
लेकिन, बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में अफगानिस्तान को प्राप्त ये उपलब्धियां पर्याप्त नहीं हैं। राजधानी काबुल स्थित भूतपूर्व चीनी राजदूत श्री स्वन व्यू शी का मानना है कि अफगानिस्तानी शिक्षा व्यवस्था अब भी भारी कठिनाइयों का सामना कर रही है।उन का कहना है, हालांकि तालिबान काल की तुलना में अफगानिस्तान की शिक्षा स्थिति सुधरी है, तो भी स्कूलों में लिंग-असंतुलन ,निम्न दाखिला दर और क्षेत्रीय असमानता जौसी गंभीर समस्याएं बरकरार हैं। फिर स्कूलों में लगे उपकरण भी पुराने हैं। कुछ पुरानी इमारतें भी नष्ट हो गयी हैं। आम छात्रों के लिए खड़िया, कुर्सी , मेज़ जैसी चीज़ें ही बहुत मूल्यवान होती हैं। पर कई गांवों में स्कूली इमारतें ही नहीं है।
चीनी पत्रिका दुनिया पर नजर जो अफगानिस्तान के हर ताज़ा विकासक्रम की रिपोर्टें देती रही है, ने इन स्थितियों के मद्देनजर अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की कोशिश में भागीदारी का निर्णय लिया। वर्ष 2002 के नवम्बर माह में पत्रिका ने अफगानिस्तान के युद्ध अनाथों पर ध्यान दें नामक एक स्तम्भ की शुरुआत की औऱ देश भर के पाठकों का आह्वान किया कि वे अफगान अनाथों के लिए दो स्कूलों की स्थापना लायक चंदा दें।
इस आह्वान की चर्चा छिड़ी तो पत्रिका की महा निदेशक सुश्री च्यो छी बोली, 23 वर्षों के युद्ध ने न केवल अफगानिस्तान के अर्थतंत्र को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, अपने पिड़े अनगिनत अनाथ भी छोड़े। हर तीन अफगान बच्चों में एक अनाथ है। युद्ध की आग में इन नन्हें बच्चों को अपने परिजनों से अपेक्षित देख भाल एवं प्यार सब कुछ जल गया। इसलिए, हम ने इन बेगुनाह बच्चों की मदद का निर्णय लिया । उन के अनुसार, पत्रिका ने लोगों का अफगानिस्तान के युद्ध अनाथों पर ध्यान देने के लिए आह्वान करने के अभियान के अंतर्गत अनेक कार्यक्रमों, चित्र प्रदर्शनियां तथा अन्य तरीकों से समाज में देशभक्तिपूर्ण, अंतरराष्ट्रीयतावादी और मानवतावादी शिक्षा के प्रसार का प्रयास भी किया। इस कार्यवाही ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हमारी सक्रिय भागीदारी, युद्ध की निंदा और शांति की अभिलाषा भी प्रतिबिंबित की । हमारी पत्रिका इस आह्वान पर तुरंत ही चाइना रेडियो इंटरनेशनल, शिन ह्वा समाचार एजेंसी तथा क्वांग च्ओ दैनिक जैसे राष्ट्रीय समाचार माध्यों की अनुकुल प्रतिक्रियाएं की। दिसम्बर 2002 में शिन ह्वा के पत्रकारों द्वारा खींचे गये अफगान बच्चों की जीवन स्थिति का परिचय कराते सौ छाया चित्र क्वांग चओ एवं हांगकांग के स्कूलों एवं पुस्तकालयों में प्रदर्शित किये गए। क्वांग चओ शहर के तुंग शेन क्षेत्र के हुंग ह्वो च्वू प्राइमरी स्कूल की विद्दार्थी छन फींग ची ने यह चित्र प्रदर्शनी देखने के बाद अपने मन की बात कुछ इस तरह कही, अफगानिस्तानी बच्चे बहुत दुख में हैं। हम स्कूल जा रहे सकते हैं, लेकिन, उन्हें सात आठ साल की उम्र में ही सड़कों पर जाकर शारीरिक मेहनत करनी पड़ रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस सुखमय देश में रह रहे हैं। मैं अफगानिस्तानी बच्चों की मदद करना चाहती हूं और उन के साथ स्नेह बांटना चाहूंगी।
श्रोताओ, चीन के संबंधित विभागों की मदद से भी इधर चीनी समाज के विभिन्न तबकों में अफगानिस्तानी बच्चों को चंदा देने की गतिविधियां जारी हैं। क्वांग चओ से जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के अध्यक्ष श्री छन ख्येई ची का विचार है,
ऐसी गतिविधि से हम न केवल दूसरों की कुछ मदद कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय
जनता , विशेषकर क्वांग चओ के युवकों को अच्छी शिक्षा भी दे पा रहे हैं। इस के जरिए, चीनी बच्चों को अफगानिस्तानी बच्चों के जीवन की हालिया स्थिति जानने में मदद मिली है, और वे सुखमय जीवन का भी मूलय समझ पाए हैं।
चीन स्थित अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के राजदूत श्री कैमुद्दी राय बारलप्त चीन अफगान जनता की सहायता के लिए चलाई जा रही इस गतिविधि को जानकारी पाकर बहुत संतुष्ट हैं, उन का कहना है, यह बहुत ही अच्छी कार्यवाही है। मैं इस गतिविधि में भाग लेने वाले चीनी मित्रों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं। अफगानिस्तान में अब अनेक बच्चे अनाथ हैं, यह बड़ी गंभीर समस्या है। हम खुद महनत से इसे हल करना चाहेंगे।
तेईस मार्च को यानी अफगानिस्तान शिक्षा दिवस के दिन के मौके पर अफगानिस्तान स्थित चीनी दूतावास के माध्यम से बीस लाख य्वान का चीनी सहायता अफगानिस्तान के संबंधित संस्थाओं को दी गयी ।
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