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(GMT+08:00) 2005-07-15 14:42:15    
राज हंस का धोखे में आना

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दक्षिण चीन में एक विशाल थाई हु झील है , जब रात आती है , झील के तटों पर सफेद रंग के राज हंसों का एक झुंड आ कर रात गुजराता है । वे सभी मिल कर किसी सुरक्षित स्थान में रहते हैं , ताकि शिकारी के निशाने से बच जाए ।

अपनी सुरक्षा के लिए सोने से पहले वे दल के एक सदस्य को पहरा देने के लिए चुनते हैं और जब कभी खतरा की आशंका हुई , तो वह पहरी राज हंस आवाज देते हुए सबों को चैतावनी देता है । इस प्रबंध के बाद दूसरे राज हंस निश्चिंत रूप से नींद से सो सकते हैं ।

आहिस्ते आहिस्ते , शिकारी को राज हंस दल में पहरा देने के इस नियम का पता चला और उन्हें एक चाल सुझा । रात आई , शिकारियों ने झील के किनारे जहां राजहंस विश्राम कर रहे हैं , उस से कुछ दूरी पर आग जलाई , आग की रोशनी से चौंक कर पहरा देने वाला राज हंस गा-गा की आवाज देते हुए चैतावनी देना शुरू किया , एन मौके पर शिकारियों ने आग को बुझा डाला , जब सभी राज हंस चैतावनी की आवाज से जगे , तब उन्हों ने वहां बड़ी शांति पायी , कोई खतरे का आसार नहीं दिखा । वे फिर सो गए । 

 शिकारियों ने पुनः आग जलायी , पहरी हंस ने पुनः चैतावनी दी और सभी राज हंस पुनः जगे , पुनः स्थिति बड़ी शांत पायी गई , इस प्रकार ऐसा चार पांच हुए और परेशानी से सभी राज हंसों की नींद खराब हो गई , लेकिन कुछ भी खतरा नहीं देखने को मिला , वे समझते हैं कि पहरा देने वाला हंस उन्हें धोखा दे रहा है , तो उन्हों ने मिल कर पहरी राज हंस की चोंच लगा लगा कर खूब मरम्मत की । पुनः वे गहरी नींद से सो गए ।

 जब राज हंस दल गहरी नींद के सागर में डुबा , तो शिकारी मशाल उठाते हुए धीरे धीरे उन के पास बढ़ने लगे , पहरा देने वाला राज हंस को पहले की सबक ले ली है , इस समय उसे जल्दबाजी से चैतावनी की आवाज देने की हिम्मत नहीं आई , इस प्रकार , सभी राज हंस शिकारियों के हाथ में पड़ गए ।

दोस्तो , यह कथा तो खत्म हुई , पर इस नीति कथा से लोगों को यही शिक्षा मिल सकती है कि किसी जटिल स्थिति में लोगों को ठंडे दिमाग से काम लेना चाहिए , असली स्थिति का साफ साफ पता चलना चाहिए ताकि किसी की चाल में ना फंस जाए ।

 दूसरी तरफ यदि लोग अपना काम को सफल बनाना चाहते हैं , तो उन्हें इस काम का नियम अच्छी तरह जानना समझना चाहिए और उस नियम से लाभ लेने की कोशिश करना चाहिए . जैसा कि शिकारी ने किया था ।