चीन भी भारत की तरह विश्व के प्रमुख दवा उत्पादक देशों में शामिल है । इधर के वर्षों में चीन ने नयी दवाओं के अनुसंधान व उत्पादन पर विशेष जोर दिया है। दवा के अनुसंधान के लिए लंबे समय के अलावा भारी पूंजी, उन्नत उपकरणों तथा बढ़िया तकनीशियनों की जरूरत होती है। विकसित देशों का अनुभव कहता है कि किसी नयी दवा के विकास के लिए करोड़ों अमेरिकी डालर की पूंजी तथा 5 से 10 सालों का समय जरूरी होता है। नये चीन की स्थापना के समय चीन की शक्ति कमजोर थी और उसका दवाओं के अनुसंधान का स्तर भी नीचा था। तब चीन को विवश होकर विदेशी दवाओं का अनुसरण कर दवाओं का उत्पादन करना पड़ा। चीन तब जीवाणुरोधी दवाओं का उत्पादन करने में असमर्थ रहा और लोगों का स्वास्थ्य स्तर भी उन्नत नहीं कर सका। पर इधर के बीसेक सालों में चीनी अर्थतंत्र के बड़ी तेज़ी से विकसित होने के साथ चीन का वैज्ञानिक व तकनीकी स्तर भी बहुत उन्नत हुआ है। इस स्थिति में चीन ने नयी दवाओं के अनुसंधान को महत्व देना शुरू किया है। वर्ष 2000 में चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय ने दवा के अनुसंधान की 5न वर्षीय योजना लागू करनी शुरू की।चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी श्री वांग श्याओफांग के अनुसार इस योजना का उद्देश्य, चीन की स्वनिर्मित दवाओं के अनुसंधान व उत्पादन की व्यवस्था स्थापित करना था ताकि लोगों के स्वास्थ्य की गारंटी की जा सके और चीनी दवा उद्योग को अनुसरण से स्वयं सृजन की ओर ढाला जा सके।
श्री वांग ने कहा कि दवा उत्पादन व्यवस्था की सृजन क्षमता बढ़ाने के लिए चीन सरकार ने 80 करोड़ यवान की पूंजी खर्च की। इसके तहत मुख्य तौर पर उन दवाओं के अनुसंधान को समर्थन दिया जा रहा है, जो चीनी लोगों में व्यापक रूप से पैदा होने वाले रोगों के इलाज में कारगर हैं। इस योजना को लागू करने के दौरान चीन सरकार ने अनुसंधान संस्थाओं को उत्पादन इकाइयों के साथ सहयोग करने को प्रोत्साहित किया है।इस तरह चार सालों के प्रयासों के बाद चीन में कम पूंजी के जरिये नयी दवाओं के अनुसंधान व उत्पादन के उपाय की तलाश की गयी। इससे नयी किस्म की 22 दवाओं का विकास हो पाया और दूसरी 140 किस्मों का अनुसंधान अभी चल रहा है।
यहां छीन शिनशंग नामक दवा की मिसाल चर्चा के योग्य है। छीन शिनशंग कैंसर के विरुद्ध कारगर दवा साबित हुई है। इस की उत्पादक, पाइथाइ कंपनी के बोर्ड अध्यक्ष श्री पाई चांगहूंग के अनुसार इस दवा के उत्पादन में उन्नत जैव तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। विकिरण और रासायनिक इलाज की तुलना में इसी दवा के प्रयोग से रोगियों की दर्द सहने की ताकत बढ़ी है। उत्तर-पूर्वी चीन के चीलीन प्रांत के एक दवा कारखाने ने स्थानीय सरकार के समर्थन से दिल के दौरे के लिए कारगर दवा के अनुसंधान और उत्पादन में सफलता हासिल की है। चीनी विज्ञान व तकनीक मंत्रालय के उपमंत्री श्री ल्यू यैनह्वा का कहना है कि नयी दवाओं की सृजन योजना में बेहतरीन अनुभव प्राप्त कर चीन नयी दवाओं के अनुसंधान व उत्पादन पर और शक्ति लगायेगा ,ताकि बड़ी संख्या में ऐसी नयी दवाओं का अनुसंधान किया जा सके, जिन का दाम नीचा तो हो ही, पश्चप्रभाव भी कम हो।
नीचे पढ़ पाते हैं चीन का राजकीय चिकित्सा व दवा निरीक्षण प्रबंध व्यवस्था की जानकारियां । वर्ष उन्नीस सौ अड़ानवे से यह विभाग जनता के चिकित्सा व दवा प्रयोग की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है । दवा मानव के स्वास्थ्य से जुड़ने वाला विशेष माल है । इसलिये दवा के उत्पादन व ब्रिकी का निरीक्षण बहुत महत्वपूर्ण काम है । पर वर्ष उन्नीस सौ अड़ानवे से पहले चीन में दवाओं के निरीक्षण करने का काम कई अलग विभागों में फैले थे । इन विभागों के अपने अपने नियम भी थे , उन संस्थाओं के दवा निरीक्षण का काम भी कमजोर रहा , लोगों के लिये दवा खाने की सुरक्षा की गारंटी नहीं हो पायी । इसी स्थिति को बदलने के लिये चीन सरकार ने राजकीय चिकित्सा व दवा निरीक्षण प्रबंध ब्यूरो स्थापित किया , जो विशेष तौर पर दवाओं के उत्पादन और ब्रिकी आदि के प्रबंध के जिम्मेदार है । इस ब्यूरो के प्रधान श्री चेन शू यई ने पिछले पांच सालों का सिहावलोकन करते हुए कहा , वर्ष दो हजार दो के अन्त तक चीन की एकीकृत दवा निरीक्षण संस्था स्थापित हो चुकी , जिस से दवाओं का उत्पादन व ब्रिकी सही रास्ते पर चलने लगा । लोगों के लिये दवा सुरक्षा की गारंटी भी मिल पायी है । श्री चेन के अनुसार चीनी राजकीय चिकित्सा व दवा निरीक्षण प्रबंध ब्यूरो ने दवा प्रबंध के सभी नियमावलियों का पुनः प्रबंध किया , और नये दवाओं के उत्पादन के आवेदन , आयातित दवाओं के प्रबंध आदि से संबंधित कुल एक सौ बीस नियमों का संशोधन या पुनः प्रकाशन किया । इन के अलावा दवाओं के प्रबंध कानून का संशोधन भी किया गया । आज देश में दवाओं के अनुसंधान से उत्पादन , ब्रिकी तथा प्रयोग तक के पूरे काम कानूनानुसार किया जा रहा है ।
पर दवाओं की गुणवत्ता दवाओं का उत्पादकों या कारखानों के स्तर पर निर्भर है । चीन के दवा उत्पादन कारखानों का प्रबंध स्तर भिन्न भिन्न है , और उन की तकनीक भी समान नहीं है । इन से उन से उत्पादित दवाओं की स्थिति भी अलग अलग है । चीन ने वर्ष दो हजार से ही अपने पांच हजार दवा उत्पादन कारखानों में विश्व मापंदड के मुताबिक तय किये गये दवा गुणवत्ता प्रबंध मापदंड लागू करने का आग्रह किया । सभी कारखानों को वर्ष दो हजार चार की पहली जुलाई से पहले ही इस मापंदड में निर्धारित स्तर तक जा पहुंचना है , नहीं तक कारखाने को दवा का उत्पादन करने की पुष्टि नहीं की जाए ।
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