दाओफ़ू काउंटी समुद्र की सतह से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तिब्बती विशेषता वाले दाओफ़ू मकान देश-विदेश में प्रसिद्ध है और विश्व के नागरिक आवासों में अनोखे माने जाते हैं। आम तौर पर दाओफ़ू के मकानों के निर्माण में बहुत समय नहीं लगता। मकान बनाने की सारी सामग्री तैयार हो जाने पर मकान मालिक आसपास के लामाओं को आमंत्रित कर एक शुभ दिन निर्माण कार्य शुरू करता है। इसमें उसके मित्र व रिश्तेदार भी मदद देते हैं। इन मकानों में सब से कठिन काम घरेलू सजावट का है। यह बिलकुल तकनीकी कार्य है और इसमें मित्र व रिश्तेदार मदद नहीं दे सकते। मकानों की सजावट उनके मालिकों के अनुरोध पर बनाये गये चित्रों से की जाती है। आम तौर पर एक मध्यम आकार वाले मकान की अंदरूनी सजावट में आधे वर्ष से ज्यादा का समय लगता है। चित्र दाओफ़ू के इन मकानों की आत्मा हैं।
दाओफ़ू के ये मकान अपनी अनोखी जातीय रीति, वास्तुकला और चित्रकला के मेल वाली अपनी विशेषता से तिब्बती क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। ये सच्चे माने में देवता के निवास की तरह हैं। ऐसे मकानों में अंकित हर चित्र एक रहस्यमय कहानी कहता है। इन के आंगन में रंग-बिरंगे फूल चारों ऋतुओं में खिले मिलते हैं और उनमें हरी घास नजर आती है। मकान की सफेद छत और सफेद दीवार, नीले आकाश, सफेद बादल और हरे पानी के बीच बहुत सुन्दर दिखती है। आंगन में तिब्बती वेशभूषा में सजी लड़की व लाल जामे में लामा चलते चलते हैं तो लगता है जैसे यह स्वर्ग हो।
इधर कुछ वर्षों से स्थानीय सरकार लोगों को पर्यटन के विकास के लिए प्रेरित कर रही है। 55 वर्षीय श्री यामादोजी स्थानीय वनरोपण विभाग के सार्वजनिक ब्यूरो के कर्मचारी हैं। उन के दो बेटे और दो बेटियां हैं। पांच वर्ष पहले, उन्होंने दस लाख य्वान की लागत से दाओफू की विशेष शैली का एक मकान बनवाया।
अब तक, वे देश-विदेश के एक हजार से ज्यादा पर्यटकों को अपना मेहमान बना चुके हैं। श्री यामादोजी ने बताया, "मेरे यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी है। कई बार यहा एक दिन में तीस से ज्यादा पर्यटक भी होते हैं। वर्ष 2004 के पहले आठ महीनों में लगभग तीन सौ लोग यहां ठहरे। घरेलू पर्यटकों के अलावा, जापान, ब्रिटेन और अमरीका आदि देशों से आने वाले विदेशी पर्यटक भी इनमें शामिल होते हैं।"
श्री यामादोजी ने बताया कि अब उन के जन्मस्थान में उन की ही तरह अनेक लोग पर्यटन कार्य में लगे हैं। लेकिन, श्री यामादोजी अब भी अपने ब्यूरो में काम करते हैं, उनका पर्यटन का व्यवसाय मुख्यतः उनके रिश्तेदार चलाते हैं। श्री यामादोजी ने बताया कि पर्यटन व्यवसाय के विकास से स्थानीय लोगों को बड़ा लाभ मिला है।
श्री यामाज्वोजी ने बताया कि यहां पर्यटन बहुत सस्ता है। एक व्यक्ति को उन के मकान में एक रात रहने के लिए केवल 35 य्वान देने होते हैं। यदि पर्यटक तिब्बती भोजन भी खाना चाहे तो उसे 25 य्वान और देना जरूरी हो जाता है। तिब्बती भोजन में सुरागाय का मांस, घी, परम्परागत छिंग ख शराब आदि शामिल होता है।
दाओफ़ू मकानों के दर्शन के बाद तिब्बती भोजन करना , तिब्बती नृत्य देखना और मेजबान के साथ गपशप करना दाओफ़ू के पर्यटक का सबसे प्रिय शौक होता है। किसी पर्यटक के लिए दाओफ़ू के ऐसे मकान में एक या दो रात ठहरना बहुत सौभाग्य की बात होती है। सुन्दर तिब्बती पलंग पर लेटे हुए वे यही महसूस करते हैं, मानो खुद देवता बन गये हों।
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