दक्षिण-पश्चिमी चीन के सी छ्वेन प्रांत के गेनजी तिब्बती प्रिफेक्चर की दाओफ़ू काउंटी छिंगहाई-तिब्बत पठार के पहाड़ी इलाके में बदलने के क्षेत्र में स्थित है। यहां बर्फीले पहाड़, गहरी घाटियों, चौड़ी नदियों और हरे तालाबों के साथ मिल कर रंग-बिरंगा भौगोलिक दृश्य बनता है। यहां के तिब्बती विशेषता वाले दाओफ़ू मकान देश-विदेश में प्रसिद्ध है और विश्व के नागरिक आवासों में अनोखे माने जाते हैं।
दाओफ़ू काउंटी समुद्र की सतह से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां मकान पहाड़ों पर पसरे हुए हैं और बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं। हमारे अनुरोध पर स्थानीय अधिकारियों ने हमें ऐसे एक मकान के सामने ले गये।
जब हम इस मकान के सामने पहुंचे, तो तिब्बती गुत्ते की खुशी की आवाज़ सुनाई पड़ी। यह मकान अब एक पर्यटन स्थल है। मकान के द्वार पर रंगीन तिब्बती वेशभूषा में सजी कुछ तिब्बती लड़कियों ने तिब्बती रीति के अनुसार, हाथों में शराब उठाये सफेद हाता देकर हमारा स्वागत किया।
मकान में प्रवेश करने पर उसकी रंगीन सजावट ने तुरंत हमें आकर्षित किया। मकान की चारों दिवारों, द्वारों और लकड़ी के खंभों पर अनगिनत तिब्बती चित्र बने थे और खिड़कियों पर ड्रैगन, अमरपक्षी के सौभाग्यसूचक चित्र उकेरे दिखे। मकान के हरेक कमरे के द्वार पर सिंह के सिर के आकार के तांबे के दो बड़े छल्ले थे, जो हान व तिब्ब्ती जातियों की संस्कृति की विशेषता प्रतिबिंबित कर रहे थे। हमारे मेजबान श्री यामादोजी ने बताया, "ऐसे मकान में अंकित अधिकांश चित्र तिब्बती जाति की संस्कृति व धार्मिक विशेषता प्रतिबिंबित करते हैं। जी श्यांग बा बाओ चित्र पूरे तिब्बती क्षेत्र में लोकप्रिय हैं, जबकि अन्य चित्र भी यहां की विशेषता प्रतिबिंबित करते हैं। ये चित्र गेनजी और दाओफ़ू दोनों काउंटियों के कलाकारों व भिक्षुओं द्वारा बनाये गये हैं।"
मकान के भीतर हमें चारों ओर उड़ते ड्रैगन, देवी-देवता, फूल, पक्षी, बादल आदि के चित्र नजर आये। हर एक चित्र एक सुन्दर कहानी कह रहा था। मकान में मौजूद विभिन्न किस्मों का तिब्बती फर्नीचर इतना सुन्दर था, मानो हम किसी राजा के महल में हों। हम ने यहां स्वर्गीय चीनी राष्ट्राध्यक्ष माओ जडं तुंग का चित्र भी देखा। तिब्बती युवती ज्वो मा ने बताया,"दाओफ़ू की जनता यह बात कभी नहीं भूल सकती कि स्वर्गीय चीनी राष्ट्राध्यक्ष उसके लिए सुख लेकर आये। दाओफ़ू के लगभग हर परिवार में माओ जडं तुंग का चित्र टंगा मिलेगा। माओ जडं तुंग हमारे दिल में देवता की तरह हैं।"
इस तिब्बती युवती की बातों में हम ने पार्टी व देश के प्रति स्थानीय तिब्बती जनता का प्रेम व आभार महसूस किया। हमें मकान में एक पूजा कक्ष भी दिखा, जहां रंग-बिरंगे थांगखा तिब्बती चित्र थे और रंगीन छोटे दीये चमक रहे थे। मूर्तियों के सामने घी से बने फूल खिले हुए थे और कक्ष घी की सुगंध से भरा हुआ था।
दाओफ़ू काउंटी छिंगहाई-तिब्बत पठार पर स्थित है। यहां दिन लम्बा होता है और रात छोटी। यहां गर्मी का मौसम नहीं होता। दाओफ़ू के बुद्धिमान लोग मकानों का निर्माण लकड़ी व मिट्टी से करते हैं।
ज्वो मा ने बताया,"दाओफ़ू के मकानों को बंग ख भी कहा जाता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से चिनगेन और मू लंग ज़ इमारत है। लोग लकड़ियों से बंग ख का ढांचा तैयार करते हैं और मकान की छत पर मिट्टी या हरी ईंटें फैलायी जाती हैं। दाओफ़ू के मकान आम तौर पर पहाड़ों व नदियों के पास होते हैं, जिन का द्वार पूर्व की ओर होता है।"
ज्वो मा के अनुसार, बाहर से देखें तो दाओफ़ू के मकान बहुत सरल दिखते हैं। सफ़ेद दीवारों और लाल खिड़कियों वाले दाओफ़ू के मकान दो से तीन मंजिल के होते हैं, जिन की ऊंचाई लगभग पांच से आठ मीटर होती है। पर ये मकान बहुत मजबूत होते हैं और सर्दियों में गर्म है और गर्मियों में शीतल रहते हैं।
मकान की अंदरूनी वास्तु सामग्री लकड़ी होती है। लोग आम तौर पर पहली व दूसरी मंजिलों पर तीन से पांच बंग ख का निर्माण करते हैं। बंग ख से ही मेजबान या मेहमान के कमरे, रसोईघर, शौचालय आदि को सजाया जाता है। मकानों की छत पर धार्मिक पताका हवा में उड़ती दिखती है, जिससे उसे पवित्रता और रहस्यमयता मिलती है।
मकानों का आकार खुंग नामक चीनी शब्द के आकार का होता है। चार खंभों के बीच का आकार एक खुंग माना जाता है, जो लगभग 25 वर्गमीटर है। एक छोटे मकान में दस खुंग होते हैं, जबकि बड़े में 80 से ज्यादा खुंग भी हो सकते हैं।
|