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(GMT+08:00) 2005-07-08 11:06:31    
चीनी भाषा के अध्ययन के बारे में

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दूसरे देश में जाने से पहले अगर हम उस देश की भाषा को बोल सकें , तो वहां सबसे बड़े परेशानी से बच जाते हैं । अगर हम उस देश की भाषा नहीं बोल पाते हैं , तो किसी ऐसे व्यक्ति की मदद लेते हैं , जो दोनों भाषा जानता है । क्योंकि बातचीत किए बिना वहां खाना पीना भी मुश्किल हो जाता है ।

आज हजारों विदेशी लोग चीनी भाषा सीख रहे हैं । चीन में अगर रहना है या अधिकतर चीनी लोगों से अगर बातचीत करनी हो , तो चीनी भाषा सीखना अनिवार्य हो जाता है । क्योंकि लगभग 99 प्रतिशत चीनी लोग चीनी भाषा के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं बोलते हैं ।

चीनी भाषा सीखना इसीलिए भी बहुत जरूरी हो गया है , क्योंकि आज चीन के आर्थिक उन्नती की रफतार पूरे विश्व में सब से तेज़ है । आज दुनिया के ज्यादातर देशों को चीन के साथ आर्थिक एवं राजनीतिक संबंध रखना आवश्यक हो गया है । इसलिए चीन के हर पहलुओं को पूरी तरह समझने की कोशिश करने के लिए चीनी भाषा सीखना बहुत जरूरी हो जाता है ।

पूरे विश्व के अधिकतर देशों में आज चीनी भाषा सीखाई जाती है । चीनी भाषा सीखने का शौक रखने वाले लोग इन संस्थाओं में चीनी भाषा का अध्यन करते हैं । इन संस्थाओं में अधिकतर अध्यापक उसी देश के होते हैं , कई संस्थाओं में चीनी अध्यापक भी चीनी भाषा सिखाने और पढ़ाने के लिए मौजूद होते हैं ।

किसी भी विदेशी भाषा को सीखने के लिए उस देश में जाकर सीखना सब से अच्छा विकल्प होता है । क्योंकि जिस देश की भाषा है ,केवल वहीं उस भाषा का पूरा माहौल होता है । पूरी तरह चीनी सीखने लिए आप चीन आए और पूरी तरह हिन्दी सीखने के लिए मैं भी भारत गया । आज ज्यादातर विदेशी जो चीनी भाषा सीखना चाहते हैं, चीन आते हैं । चीन सरकार भी इस पर और पूरा ध्यान देती है । आज चीन के सभी बड़े कालेजों और विश्वविद्यालयों में विदेशियों को चीनी भाषा सिखाने के विशेष प्रबंध हैं । इस में खर्च थोड़ा अधिक जरूर होता है , पर चीनी सीखने और रहने सहने के लिए हर तरह की सहलियत मुहैया कराए जाते हैं ।

विदेशी लोग चीन के सभी शहरों की तुलना में पेइचिंग में चीनी भाषा का अध्ययन करना पसंद करते हैं । क्योंकि पेइचिंग की चीनी बोली सब से शुद्ध चीनी मानी जाती है । इसके अलावा पेइचिंग में ही चीन के सब से बड़े विश्वविद्यालय भी हैं , जैसे पेइचिंग विश्वविद्यालय , छींगह्वा विश्वविद्यालय , जनता विश्वविद्यालय आदि।

इन सारे विश्वविद्यालयों में से विदेशियों को चीनी भाषा सिखाने की सब से विशेष विश्वविद्यालय है , या भाषा एवं संस्कृति विश्वविद्यालय । यहां हर रंग रूप और हर तरह के लोग मिल जाएंगे , क्योंकि लगभग 130 देशों के लोग यहां पर चीनी भाषा सीखते हैं और एक साथ रहते हैं । इसलिए लोग प्यार से इस विश्वविद्यालय को छोटा यू एन यानी छोटा संयुक्त राष्ट्र संघ भी कहते हैं । यह एक पुरानी संस्था है । इसका नाम सबसे पहले पेइचिंग भाषा कालेज़ हुआ करता था । बाद में इस में संस्कृति भी जोड़ी गई , क्योंकि यह चीनी संस्कृति के सीखने के अलावा कई देशों के सांस्कृतिक आदान प्रदान का भी प्रमुख केंद्र है । इसे लघु संयुक्त राष्ट्र संघ का नाम इसीलिए दिलाया गया है कि इस कालेज के परिसर में भिन्न भिन्न रंग वाले लोग एकजुट हैं , पर मैत्री और समझ उन के दिल को साथ साथ जोड़ती हैं , इस में चीनी भाषा की अहम भूमिका भी साबित है । इस परिसर अक्सर कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता था । और अधिकतर गतिविधियां चीनी भाषा में चलायी जाती हैं ।

चीनी भाषा से संबंधित परिक्षाओं के बारे में कुछ बताना चाहेंगे ।

रि- जी हां । वैसेतो सारे संस्थाओं में हर उपाधि छ:माही परिक्षाएं और कोर्स के अंत में परिक्षा आदि ली जाती हैं । पर एक विदेशी के चीनी भाषा के स्तर को मापने का सब से बड़ा पैमाना है एच एस के यानी चीनी भाषा स्तर परिक्षा । एक चीनी भाषा जानने वाला व्यक्ति अपने इच्छानुसार इस साल में दो बार आयोजित परिक्षा में कभी भी भाग लेकर अपने चीनी भाषा के स्तर को जान सकता है ।

चीनी भाषा सिखाने के बारे में और कुछ सामग्री हैं । इधर के वर्षों में चीन सरकार ने अपनी समग्र शक्ति के बढ़ते के चलते विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता प्राप्त की , और वर्ष 2008 में होने वाले 28वें ओलंपियाद के आयोजन का अधिकार भी जीत लिया । इन प्रगतियों के कारण चीनी भाषा के अध्ययन व अध्यापन ने विश्व भर में भारी जोर पकड़ा है । चीनी भाषा सीखने का रूझान दुनिया में बढ़ता जा रहा है । एच एस केई यानी चीनी भाषा स्तर परीक्षा अमेरिका के टोफल की तरह विदेशियों के लिये चीनी राष्टीय भाषा परीक्षा है । वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में जब एच एस केई का प्रथम आयोजन किया जाता था , तब केवल दो सौ व्यक्तियों ने इस में भाग लिया । पर गत वर्ष इस परीक्षा में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या एक लाख चालीस हजार तक जा पहुंची , और परीक्षा केंद्र भी तमामू दुनिया में फैले हुए हैं ।

कोरिया गणराज्य , जापान और वियतनाम जैसे चीन के पड़ोसी देशों में चीनी भाषा सीखने वालों की मात्रा सब से ज्यादा है । इन देशों की संस्कृति चीनी संस्कृति से मिलती जुलती है । और इन देशों की चीन के साथ आवाजाहियों का निरंतर विकास भी होता जा रहा है । वर्ष 1992 में विदेशियों की चीनी भाषा में दक्षता की परीक्षा शुरू हुई , जो अपने चीनी नाम के अंग्रेज़ी संक्षेम में एच एस केई कहलाती है । तब केवल दो सौ विदेशी इस परीक्षा में बैठे थे । पर गत वर्ष एच एस के में कुल 1 लाख चालीस हजार लोगों ने भागीदारी की । और अब एच एस केई के परीक्षा केंद्र दुनिया के अनेक स्थलों पर फैले हैं ।

चीनी भाषा इन देशों में खासी लोकप्रिय है । वियतनाम के शिक्षा व प्रशिक्षण मंत्रालय के पदाधिकारी श्री वू ने कहा कि इधर समय वियतनामी छात्रों में चीनी सीखने का शौक बहुत बढ़ा है । कालेजों के अतिरिक्त बहुत से चीनी भाषा केंद्र खुल गये हैं । बहुत से छात्र अवकाश में भी चीनी सीख रहे हैं । एशिया के बाहर पश्चिमी देशों , लातिन अमेरिका तथा अफ्रीका में भी चीनी भाषा के अध्ययन में उभार आया है । पहले विदेशी छात्र इसीलिये भाषा सीखने चीन आये थे , क्योंकि उन की चीनी संस्कृति में दिलचस्पी होती थी । पर आज बहुत से छात्र सिर्फ काम की तलाश के लिये ही चीनी सीख रहे हैं । मिसाल के लिये जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में चीनी भाषा जानने वाले युवाओं के लिये काम ढ़ूढ़ना आसान है । एक आंकड़ा कहता है कि जापान में चीनी भाषा सीखने वाले युवाओं में रोजगार की दर नब्बे प्रतिशत है , जब कि आम युवाओं के रोजगार पाने की दर सत्तर प्रतिशत । बहुत से विदेशी छात्र चीनी सीखने के लिये चीन आ रहे हैं । गत वर्ष के अन्त तक चीन पहुंचाने वाले विदेशी छात्रों की संख्या साठ हजार थी , और इस का आधा भाग चीनी भाषा सीखने के लिये आया था ।

बहुत से विदेशों ने चीनी भाषा सीखने की योजना पर जोर दिया है । कुछ समय पूर्व कोरिया गणराज्य के शिक्षा मंत्रालय ने यह घोषित किया कि वर्ष दो हजार सात से कोरिया गणराज्य के अधिकांश प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा का कोर्स खोला जाएगा । जापान में अब लगभग चार सौ मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा सिखायी जा रही है और चीनी भाषा सीखने वालों की मात्रा दस लाख तक जा पहुंची है । फ्रांस के डेढ़ सौ मिडिल स्कूलों में चीनी भाषा सिखाने लगी है , जिन में आठ हजार छात्र पढ़ रहे हैं । अमेरिका में चीनी भाषा भी सब से गर्म विदेशी भाषा बनने जा रही है ।