उत्तरी सिन्चांग के ज्वनगर बेसिन में स्थित कलामायी तेल क्षेत्र नए चीन की स्थापना के बाद सब से पहले निर्मित एक बड़ा तेल क्षेत्र है , पिछले 50 से अधिक सालों के विकास के फलस्वरूप अब कलामायी तेल रसायन उद्योग पर आधारित एक नवोदित औद्योगिक शहर बन गया , जहां हर साल करोड़ टन से अधिक कच्चे तेल का दोहन होता है । इस विशाल आधुनिक तेल क्षेत्र के ड्रेलिंग मजदूरों का जीवन कैसा है , जिस में आप को रूचि हुई होगी ।
दोस्तो , अब हम आप को वहां ले जाएंगे । हमें बताया गया है कि कलामायी में तेल का उत्पादन वर्ष 1955 में शुरू हुआ था । पिछले 50 सालों में कलामायी तेल क्षेत्र में कुल 25 तेल व प्राकृतिक गैस क्षेत्रों का दोहन किया गया , जिन की कुल वार्षिक उत्पादन मात्रा एक करोड़ बीस लाख टन तथा प्राकृतिक गैस की वार्षिक उत्पादन मात्रा तीन अरब घन मीटर हो गई है । वह देश के पश्चिमी भाग का सब से बड़ा तेल क्षेत्र बन गया है ।
कलामायी तेल क्षेत्र के विकास में ड्रेलिंग मजदूरों का योगदान बहुत बड़ा है । यह सर्वविदित है कि विरान और निर्जन मैदान में कार्यरत ड्रेलिंग मजदूरों का जीवन काफी कठिन है । कलामायी पहले एक विशाल बंजर और विरान बेसिन था , देश के लिए तेल लाने के काम में जुटे ड्रेलिंग मजदूर पिछली आधी शताब्दी के दौरान इसी निर्जन बेसिन में रहते हुए एक के बाद एक तेल कुए का दोहन करते हैं ।
चिन्चांग के ज्वन्गर बेसिन में एक ऐसा बंजर स्थान है , जिस की भूमि पर सफेद क्षार की परतें बिछी हुई है , इसी विरान स्थान पर ऊंचा ड्रिक सीधा खड़ा नजर आता है , दूर से ही तेल ड्रेलिंग मशीन की आवाज सुनाई देती है । यहां कार्यरत ड्रेलिंग दल के नेता 33 वर्षीय वेवूर जाति के मजदूर श्री थुल्स्वंजांग है , वे हमें बताते हैः
हमारे इस तेल कुआ में ड्रेलिंग का काम नौ अप्रैल से आरंभ हुआ है , अब हर काम सुभीता से चल रहा है और हम जरूर सब से तेज गति से उसे एक अच्छी गुणवता वाला कुआ बनाएंगे ।
श्री थुल्स्वंजांग के अनुसार उन के ड्रेलिंग दल के कुल 22 सदस्य है ,जो दो ग्रुपों में बंट कर बारी बारी से काम करते हैं , हर ग्रुप दिन में 12 घंटे का काम करता है , जिस से दिन भर 24 घंटों में काम नहीं रूकने की गारंटी हो गई है
कलामायी में एक तेल कुआ की ड्रेलिंग में पन्दरह बीस दिन का समय लगता है , ड्रेलिंग का काम पूरा होने के बाद मजदूर केन्द्र में लौट कर एक हफ्ते के लिए विश्राम करते हैं , फिर दसियों टन भारी मशीनों को हटा कर दूसरे तेल कुआ के दोहन के लिए स्थानांतरित करते हैं ।
ड्रेलिंग दल में ड्रेलिंग मशीन का संचालन करने वाले मजदूर का काम सब से भारी है , लेकिन यह एक अहम ड्युटी भी है । 48 वर्षीय जांनुर कजाक जाती का मजदूर है , जिन्हें यह काम करते हुए अनेक साल हो गए हैं । वे अपने एक साथी के साथ बारी बारी से मशीन चलाते हैं । वे कहते हैः
मुझे ड्रेलिंग का काम किए 26 साल हो गये हैं , गर्मियों के मौसम में ड्रेलिंग का काम सब से कठोर है , ज्वनगर बेसिन का तापमान बड़ी परिवर्तनशील होता है , दोपहर को धूप आग की भांति तेज है , तापमान 40 डिग्री सेल्सेस तक ऊंचा होता है और ड्रेलिंग मशीन पर वह 50 डिग्री तक पहुंच सकता है । लेकिन रात में तापमान दस डिग्री से कम गिर जाता है , उस वक्त कर्म रूईदार कपड़ा पहनना पड़ता है ।
श्री जांनुर का कहना है कि काम बहुत कठोर जरूर है , पर वेतन भी अच्छा है , ड्रेलिंग मजदूर हर महीने चार हजार य्वान कमाते हैं , जो सिन्चांग के उच्च आय वर्ग में आते हैं ।
जांनुर के ड्रेलिंग दल के मजदूर हान , वेवूर और कजाख आदि अनेक जातियों से आए हैं , उन में तकनीशियन , मिस्त्री , इलेक्ट्रिसिन तथा गाड़ा मजदूर जैसे दस किस्मों के मजदूर शामिल हैं । वे घनिष्ट सहयोग से काम करते हैं ।
साल में ज्यादातर समय बाहर काम करने के कारण ड्रेलिंग मजदूर परिवारवालों से ज्यादा समय अपने मजदूर साथियों के साथ बिताते हैं , इसलिए वे एक दूसरे से बड़ा स्नेह रखते हैं और जीवन में मदद करते हैं तथा एक ही परिवार के सदस्य लगते हैं ।
ड्रेलिंग दल के तकनीशियन सुन बो और मिस्त्री वांग हवा दोनों अच्छे दोस्त हैं । सुनबो की खूबसूरत पत्नी और सात साल की एक प्यारी प्यारी बेटी है , वे हमेशा उन की याद करते हैः
ड्रेलिंग दल में शामिल होने के पहले दो तीन सालों में मैं घर की बेहद याद करता था और घर वापस लौटने के ख्याल ने मुझे काफी यातना दी , लेकिन चलते चलते ही मैं इस काम का आदि हो गया हूं , क्योंकि यहां मेरी ड्युटी है और उसे मैं कीमती समझता हूं ।
श्री सुनबो के शब्दों में जीवन में उन का एकमात्र अफसोस है कि वे अपने ज्यादा समय को अपनी पत्नी और बेटी को नहीं दे सकते हैं । उन्हें सब से अधिक परेशान करने की बात है कि उन का दोस्त वांगहवा की अभी तक शादी नहीं हुई । वे कहते हैं कि कुछ दिन बाद इस तेल कुआ की ड्रेलिंग काम समाप्त हो जाएगा , तब वे कंपनी के केन्द्र में लौट कर एक हफ्ते के लिए विश्राम करेंगे , उन की पत्नी ने वांगहवा को एक लड़की की सिफारिश की है , श्री सुनबो की उम्मीद है कि वांगहवा और उस लड़की में प्यार आएगा और दोनों शादी के बंधन में बंध जाएंगे ।
दोपहर का भोजन समय आया , कंपनी के केन्द्र से कर्मचारी ड्रेलिंग दल को गर्म गर्म खाना लाए । ड्युटी पर डटे लोगों को छोड़ कर ड्रेलिंग दल के अन्य सभी लोग ड्रिक से सौ मीटर दूर खड़ी रेल डिब्बा नुमा भोज गाड़ी में खाने आए , भोजनालय के कर्मचारी ने हमें बताया कि केन्द्र के भोजनालय ड्रेलिंग दलों को रोज अलग अलग किस्मों के भोजन बनाते हैं , ताकि मजदूरों के स्वादिष्ट व पौष्टिक खाना खाने को मिले ।
ड्रेलिंग दल के कार्य स्थल से हम कुछ किलोमीटर दूर स्थित ड्रेलिंग कंपनी के जीवन केन्द्र में आए , कंपनी केन्द्र में ड्रेलिंग दलों का होस्टल है, वहां पंक्ति में नए नए निर्मित मकान खड़े हुए नजर आते हैं , हरेक ड्रेलिंग दल के होस्टल क्षेत्र में समतल सड़कें बनायी गईं और दोनों किनारों पर बिजली के लैंप लगाए गए हैं । ड्रेलिंग दल के पुराने मजदूर श्री यनयुनलु ने हमें बतायाः
शुरू शुरू में हम भूमिगत गुफा जैसे मकानों में रहते थे ,लेकिन अब हमारा निवास क्षेत्र बहुत सुन्दर और सुविधापूर्ण निर्मित किया गया है , हम अब होटल जैसे मकानों में रहते हैं , सारे देश में नहीं सही , पर सिन्चांग में हमारा यह निवास स्थान जरूर अव्वल दर्जे का होता है ।
ड्रेलिंग मजदूरों के होस्टल रेल गाड़ी के रूप से बनाए गए हैं , हर मकान दूसरे से जुड़ा हुआ है , अन्दर में दफ्तर है , विश्राम कक्ष है , भोजनालय है , स्नानघर है , वस्त्र धुलाई कमरा है , पुस्तकालय है और मनोरंजन कक्ष है , जीवन की हर तरह की सुविधा उपलब्ध होती है । दफ्तर में मीटिंग डेस्क के अलावा कम्प्युटर व तेलीफोन है , विश्राम कक्ष में टीवी और डिविडी की सुविधा है , सभी कमरों में एयरकंडेशन उपलब्ध है ।
कलामायी का गीत की धुन में संध्या की वेली आयी , दूर क्षितिज पर आसमान में लालिमा छायी है , विशाल तेल क्षेत्र में फैले रेगिस्तान में ऊंचे ऊंचे तेल ड्रिक खड़े नजर आए , संध्या वेली की सुर्यास्त लाली में वे और आलीशान और भव्य दिखता है । कुछ दिन बाद सुनबो के ड्रेलिंग दल का काम पूरा होगा और दल के मजदूर अपने अपने घर में लौट कर परिजनों से मिलेंगे , हमारी हार्दिक कामना है कि वे सुख मंगलमल रहें ।
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