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(GMT+08:00) 2005-07-07 14:18:45    
चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश से मिले नवीनतम खुशीजनक खबरें

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मित्रो , यहां बता दें कि हमारे तिब्बती युवक रोपूछिरन संवाददाता बनना चाहते हैं ।अब वे तिब्बत स्वायत प्रदेश की जन सरकार में काम करते हैं ।वे आप को कुछ समाचार बता रहे हैं । सब से पहले आप तिब्बत- छिंगहाई रेललाइन के बारे में एक समाचार सुनिये । चीनी उप प्रधानमंत्री श्री चंग फेई-यान ने हाल में तिब्बत- छिंगहाई रेललाइन परियोजना की ठेकेदार कंपनियों से अनुरोध किया कि वे अगले साल जुलाई में इस रेललाइन के परीक्षणात्मक उपयोग की हरसंभव कोशिश करें। श्री चंग ने छिंगहाई-तिब्बत रेललाइन परियोजना के कार्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। खबर है कि छिंगहाई तिब्बत रेललाइन परियोजना का निर्माण बेरोकटोक ढंग से चल रहा है। रेललाइन की नींव, पुलों और सुरंगों का निर्माण पूरा हो गया है औऱ इमारतों, जल, बिजली और संचार व्यवस्था का निर्माण जोरों पर है। साथ ही बर्फीली जमीन पर रेललाइन की नींव के निर्माण और पठार की पारिस्थितिकी के संरक्षण में भी बड़ी प्रगति हुई है। उत्तर-पश्चिमी चीन स्थित छिंगहाई-तिब्बत रेललाइन ने छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा से जोड़ा है। यह रेलमार्ग पश्चिमी चीन के महाविकास का प्रतीक माना जा रहा है। अगले साल जुलाई में छिंगहाई-तिब्बत रेललाइन का परीक्षणात्मक उपयोग होगा श्री चंग ने छिंगहाई-तिब्बत रेललाइन परियोजना के कार्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। खबर है कि छिंगहाई तिब्बत रेललाइन परियोजना का निर्माण बेरोकटोक ढंग से चल रहा है। रेललाइन की नींव, पुलों और सुरंगों का निर्माण पूरा हो गया है औऱ इमारतों, जल, बिजली और संचार व्यवस्था का निर्माण जोरों पर है। साथ ही बर्फीली जमीन पर रेललाइन की नींव के निर्माण और पठार की पारिस्थितिकी के संरक्षण में भी बड़ी प्रगति हुई है। उत्तर-पश्चिमी चीन स्थित छिंगहाई-तिब्बत रेललाइन ने छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा से जोड़ा है। यह रेलमार्ग पश्चिमी चीन के महाविकास का प्रतीक माना जा रहा है। चीनी रेल मंत्रालय ने हाल में जताया कि चीन की छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग के गेरमू से ल्हासा की ओर जाने वाले 794 किलोमीटर के भाग पर पटरी बिछाई गई। छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग उत्तर पश्चिमी चीन में स्थित है, जो छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग से तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक जाती है। शीनिंग से गेरमू तक जाने वाली रेल मार्ग का प्रयोग वर्ष 1984 में शुरू हुआ। गेरमू से ल्हासा की ओर जाने वाली लाइन की कुल लम्बाई 1142 किलोमीटर है। योजनानुसार पटरी बिछाने का काम चालू साल के अंत से पहले पूरा होगा। आगामी वर्ष इसे प्रयोगात्मक रूप से प्रयोग में लाया जायेगा । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के मौसम विशेषज्ञों ने अनुसंधान से पता लगाया है कि पिछले 40 सालों में तिब्बत के वायुमंडल में आक्सीजन मात्रा साल ब साल बढ़ी है। इन विशेषज्ञों ने अपने अनुसंधान में पाया कि पिछले 40 सालों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा के औसत वायु दबाव के ऊपर उठने का रुझान नजर आया। इस से साबित होता है कि ल्हासा की आक्सीजन की मात्रा साल ब साल बढ़ रही है। इस से तिब्बत में इधर के सालों में वर्षा व तापमान में प्रगति हुई है। इस की बदौलत तिब्बत के अधिकांश क्षेत्र में आक्सीजन की मात्रा बढ़ी है। चालू वर्ष चीन में चुमुलांगमा पर्वत चोटी की ऊंचाई का सर्वेक्षण 18 अप्रैल को शुरू हुआ। इसी दिन सर्वेक्षण दल के सभी सदस्य चुमुलांगमा के तलहटी स्थित शिविर से 6500 मीटर की ऊंचाई के लिए रवाना हुए। पूर्व निश्चित योजना के अनुसार 18 तारीख को सर्वेक्षण दल के 14 सदस्य इस अभियान में शरीक हुए। 6500 मीटर की ऊंचाई पर सदस्यों के स्वास्थ्य के अनुसार काबिले सदस्य सर्वेक्षण का काम पूरा करने के लिए चोटी पर भेजे जाएंगे। चीन ने वर्ष 1975 में चुमुलांगमा चोटी की ऊंचाई का सर्वेक्षण किया। चालू वर्ष चीन ने फिर से चुमुलांगमा चोटी की ऊंचाई का सर्वेक्षण शुरू किया। सर्वेक्षण का काम आगामी मई में पूरा होगा। नीचे आप पढ़ पाते हैं तिब्बती लामा कोशीकचेछिचमू द्वारा तिब्बती संस्कृति के निर्माण के बारे में दी गयी जानकारियां ।तिब्बती विश्वकोष तिब्बती दस विज्ञानों जिसके दस अंक अन्तर्राष्ट्रीय रूप में है, तिब्बती लामा कोशीकचेछिचमू के द्वारा व्यवस्थित और संकलित पुस्तकों की श्रंखला है। यह योजना को पूरा करने के लिए उन्हें कुल दस वर्ष लग गये। उन्होंने खुद इस योजना के लिए पैसे इकट्ठा किये और लामा विशेषज्ञों को संकलन, प्रीन्टींग, आदि के लिए प्रशिक्षण दिया। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए उन्हें कई मठवासियों और विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त हुआ। 20 वर्षों की कड़ी लगन से 'दस विज्ञानों' की पढ़ाई करने के बाद तिब्बती लामा कोशीकचेछिचमू ने यह अभूतपूर्व विश्वकोष प्रकाशित किया है। इस में दसवीं बंचन गुरू और छठवीं खुंगथांग के शिक्षण भी शामिल हैं। यह दस विज्ञान तर्क विज्ञान, भाषा विज्ञान, तिब्बती औषध, बौद्ध शिक्षण, कविता, नाटख, पर्याय विज्ञान, ध्वनि विज्ञान, खगोल शास्त्र शामिल हैं। इस में धर्मग्रन्थों के चुनाव में कोई भी पक्षपात नहीं किया गया है। इस विश्वकोष के कई लक्ष्य है पर एक महत्वपूर्ण लक्ष्य यह भी है की तिब्बती संस्कृति में दस विज्ञानों की मौजूदगी और उनका इस पर असर हमेशा ही रहा है, इसी तथ्य को यह विश्वकोष उजागर करने की कोशिश किया है। इसी वजह से इस श्रंखला के अंतर्गत कई लेख लामाओं ने या बौद्ध मठवासियों ने लिखा हैं। इस विश्वकोष को तिब्बत में स्थित गुरूओं ने और विशेषज्ञों ने खूब सराहा है। तिब्बती लामा कोशीकचेछिचमू ने यह अभूतपूर्व विश्वकोष प्रकाशित किया है। इकी यह महत्वपूर्ण भूमिका को हमेशा याद रखा जायेगा क्यों की उनके इस कार्य से तिब्बती संस्कृति में एक काफी बड़ा रिक्त स्थान भर दिया गया है और साथ ही राष्ट्रीय संस्कृति को भी एक नयी पहचान मिली है।