आज के इस कार्यक्रम में हम बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त, कलेर बिहार के मोहममद आशिफ़ खान, बेगम निकहत परवीन, सदफ आरजू, अजफर अकेला, तहमीना मशकुर और बांका, बिहार के कुमोद सिंह के पत्र शामिल कर रहे हैं।
अब कलेर, बिहार के मोहममद आशिफ़ खान, बेगम निकहत परवीन, सदफ आरजू, अजफर अकेला और तहमीना मशकुर का पत्र देखें। उन्होंने चीन के वनों में जिज्ञासा व्यक्त की है। उन्होंने पूछा है कि चीन के कुल कितने क्षेत्रफल में वन हैं। वन से सरकार को प्रतिवर्ष कितनी आय होती है और वन विकास के लिए चीन सरकार ने कौन सी नीति अपनाई है।
अच्छा दोस्तो अब हम आप लोगों की जिज्ञासा शांत करने का प्रयास कर रहे हैं। चीनी राजकीय वन प्रशासन के निदेशक श्री चओ शंग-श्यान के अनुसार वर्ष 2000 के अंत तक चीन का वन-क्षेत्र 1 अरब 58 करोड़ हैक्टर था और उसका काष्ठ भंडार था 12 अरब 49 करोड़ घन मीटरय़ देश भर की वन भूमि अब 16.55 प्रतिशत तक जा पहुंची है और कृत्रिम वन क्षेत्र 4 करोड़ 70 लाख हैक्टर है, जो विश्व में पहले स्थान पर है।
इस समय विश्व की वन भूमि विश्व की कुल भूमि का 27 प्रतिशत है, बेहतर पारिस्थितिकी के लिए इस का 30 प्रतिशत तक विकास किया जाना जरूरी है। चीन ने वन भूमि के विस्तार के लिए एक विशेष योजना बनाई है। इस के तहत, वर्ष 2010 तक देश की कुल भूमि में वनक्षेत्र का अनुपात 19.4 प्रतिशत हो जाएगा, जो वर्ष 2030 में 24 प्रतिशत तक जा पहुंचेगा और वर्ष 2050 में 26 प्रतिशत के अंक को छू रहा होगा।
चीनी राजकीय वन प्रशासन के उप निदेशक श्री लेई च्या-फ़ू ने हाल में एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी कि वर्तमान में चीन में वन भूमि का क्षेत्रफल 17 करोड़ 50 लाख हैक्टर है, चीन में हरियाली दर 18.21 प्रतिशत है। यह दर विश्व औसत का 61.52 प्रतिशत मात्र है और 130 वें स्थान पर है। चीन का काष्ठ भंडार 12 अरब 45 करोड़ 60 लाख घन मीटर रहा है। रोपित वन का क्षेत्रफल 5 करोड़ 30 लाख हैक्टर है और उस का काष्ठ भंडारण 1 अरब 50 करोड़ 50 लाख घनमीटर रहा है। विश्व में चीन का रोपित वन क्षेत्र सब से बड़ा है।
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2002 में चीन के वन उद्योग का सकल उत्पादन मूल्य करीब 6 खरब 40 अरब य्वान रहा, जिस में कृषि से संबंधित फूल, चाय, रेशम, फल, पशुपालन संबंधी शिकार, वन से संबंधी पोरित वन, वनोपज, काष्ठ कर्तन, उद्योग से संबंधित काष्ठ व बांस की प्रोसेसिंग, काष्ठ, बांस, घास और बेंत की वस्तुएं, कागज उद्योग व पर्यटन शामिल रहे। वर्ष 2003 में सिर्फ वनोद्यानों का उत्पादन मूल्य 1 खरब य्वान को पार कर गया था।
श्री चओ ने जानकारी दी कि चीन सरकार वन व्यवसाय के विकास में पारिस्थितिकी के निर्माण को प्रधानता देती है। वर्ष 2004 में देश भर में जंगली जीव-जंतुओं व वनस्पतियों के संरक्षण व प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों के निर्माण में उल्लेखनीय कामयाबी प्राप्त हुई। इस वर्ष कुल 134 प्रकृति संरक्षण क्षेत्र स्थापित हुए, जो देश के भूभाग का 12 प्रतिशत हैं।
अंत में बांका, बिहार के कुमोद सिंह का पत्र लें। उन्होंने पूछा है कि चीन और भारत में राजनीतिक संबंधों की स्थापना कब हुई।
कुमोद सिंह भाई, चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी हैं। चीन-भारत संबंध 2000 साल पुराने हैं। ईसा पूर्व चीन के छीन राजवंश काल में ही दोनों देशों के बीच आवाजाही शुरू हो गई थी। हान राजवंश काल में द्विपक्षीय आदान-प्रदान को विशेष गति मिली और सातवीं शताब्दी आते-आते चीन के श्वेई और थांग राजवंशकाल में दोनों के बीच आदान-प्रदान एक नई मंजिल पर जा पहुंचा था। दोनों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का पैमाना इतना बड़ा है कि विश्व इतिहास में अभूतपूर्व है। ईसा की दूसरी शताब्दी से 12 वीं शताब्दी के बीच के 1000 वर्षों में चीनी भाषा में बौद्ध सूत्रों के 1600 से अधिक संग्रह अनुदित हो चुके थे। इन में संग्रहीत रचनाओं की संख्या 5700 से अधिक थी।
चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान पिछले दो हजार वर्षों से जारी है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में यह बहुत दुर्लभ है। एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। चीन के धर्म, दर्शन और कला पर जहां भारत का गहरा प्रभाव पड़ा, वहीं दूसरी तरफ भारत को चीनी और कागज बनाने की प्रगतिशील तकनीक चीन से मिली।
चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भारत की यात्रा की थी। बोधिधर्म बौद्ध मत का प्रचार करने चीन आए। उन्होंने चीन में ध्यान सिद्धांत का आरम्भ किया। चीन के जापानी आक्रमणविरोधी युद्ध काल में डाक्टर कोटनीस समेत भारतीय चिकित्सा दल चीन को सहायता प्रदान करने चीन आया। डाक्टर कोटनीस ने चीनी जनता के लिए अपनी जान तक बलिदान की।
1 अप्रैल,1950 को दोनों देशों में राजनयिक संबंध स्थापित हुए। भारत चीन के साथ राजनयिक संबंध कायम करने वाला पहला गैर समाजवादी देश रहा।
वर्ष 1954 में चीनी प्रधानमंत्री श्री चओ एन-लाई और भारतीय प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने एक-दूसरे के देश की यात्रा की और पंचशील या शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत पेश किए। वर्ष 1956 में चीनी प्रधानमंत्री श्री चओ एन-लाई ने फिर एक बार भारत की यात्रा की।
इस वर्ष चीन और भारत के राजनयिक संबंधों की 55 वीं वर्षगांठ है। दोनों देशों में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 55 वीं जयंती के उपलक्ष्य में गतिविधियां आयोजित हुईं।
11 अप्रैल को चीनी प्रधानमंत्री श्री वन चा-पाओ नई दिल्ली में द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की 55 वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में उपस्थित रहे। इस से पूर्व चीन की राजधानी पेइचिंग में द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना की 55 वीं जयंती के उपलक्ष्य में भी एक समारोह हुआ।
चीन की राजधानी पेइचिंग और भारत की राजधानी नई दिल्ली में भी चीन-भारत रिश्ता माह आयोजित हुआ।
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