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(GMT+08:00) 2005-06-27 14:13:42    
पेइचिंग में दक्षिण एशियाई कारीगरी दुकान

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इधर के दो वर्षों में चीन की राजधानी पेइचिंग के निवासियों में यह फ़ैशन भी चलने लगा है , जिस से वे भारत, पाकिस्तान और नेपाल से आए वस्त्र, आभूषण और शिल्प चीजों में उत्तरोत्तर रूचि ले रहे हैं , अब पेइचिंग में दक्षिण एशियाई देशों के आभूषण बेचने वाली दुकानों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है । इन दुकानों के विशेष सजावट से पेइचिंग शहर को एक बिलकुल नये ढंग का नजारा मुहैया किया गया है ।

पेइचिंग के व्यापार केंद्र शि तान में एक नेपाली आभूषण दुकान खुली है । "श्याओ थाओ नेपाली आभूषण" दुकान का क्षेत्रफल बड़ा नहीं है, दो तीन वर्गमीटर की यह दुकान खूब सुसज्जित है । दुकान की मालिक श्याओ थाओ एक सुन्दर लड़की है , उस ने अपनी दुकान का नाम अपने नाम पर रखा । उस ने कहा कि दुकान में बिकने वाली सभी चीज़ें वह स्वयं भारत व नेपाल जाकर ले आयी हैं । श्याओ थाओ के गर्दन पर एक सुन्दर हार पहना है , जिस में कबूतर के अंड्डे का बराबर एक सफेद पत्थर जड़ित है , श्याओ थाओ ने कहा कि यह पत्थर नेलाप का मून पत्थर है ।

"श्याओ थाओ नेपाली आभूषण"दुकान की मालिक श्याओ थाओ की पहले एक अच्छी नौकरी थी । एक बार उस ने चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यात्रा की और वहां उस ने नेपाली आभूषण देखा , जो उसे बहुत पसंद आया । तिब्बत की यात्रा से लौट कर श्याओ थाओ राजधानी पेइचिंग जब वापस लौटी, तो उस ने नौकरी को छोड़कर "श्याओ थाओ नेपाली आभूषण" दुकान खोली ।

इस दुकान में बिकने वाली चीज़ें या तो श्याओ थाओ द्वारा स्वयं नेपाल जाकर खरीदी गयी है , या अपने दोस्तों के माध्यम से वहां जाकर खरीद कर लायी गयी हैं । दुकान की चीज़ों का लागत ऊंचा होने के बावजूद भी वहां वे ज्यादा महंगा नहीं बेचा जाती है । श्याओ थाओ ने कहा कि वह अपनी पसंदीदा चीज़ों से दूसरों को परिचय देना चाहती है । उस का कहना हैः

"नेपाली आभूषण बहुत अच्छे हैं । मेरी आशा है कि इन नेपाली चीज़ों के बारे में ज्यादा से ज्यादा चीनी ग्राहकों को परिचय दे सकूंगी । मेरे दुकान की चीज़ों का स्रोत स्थिर नहीं है, इसलिए लागत भी ऊंचा है । लेकिन मैं इस से पैसा कमाने की इच्छुक नहीं हूं , मेरी आशा है कि इन चीज़ों का दूसरों को परिचय दूंगी और ज्यादा से ज्यादा मित्र बनाऊंगी । मेरे अधिकतर ग्राहक अब मेरे दोस्त बन गए हैं ।"

पेइचिंग में एक और दक्षिण एशियाई वस्तु दुकान है , जिस का नाम है "स्वर्ग और नेत्र " , जो पेइचिंग के वाणिज्य केंद्र ज्या ली के निकट बसा हुआ है । इस दुकान की मालिक शू मान ली एक सुन्दर लड़की है, भारतीय आभूषण पहनती हुई सुश्री शू से चीनी ग्राहकों को एक अलग अनुभव मिलता है । "श्याओ थाओ नेपाली आभूषण" दुकान की मालिक श्याओ थाओ की तरह सुश्री शू मान ली ने भी चीन के तिब्बत की यात्रा से लौटने के बाद नौकरी छोड़कर यह दुकान खोली । सुश्री शू मान ली ने कहा कि उस की "स्वर्ग और नेत्र " नामक दुकान में आम तौर पर नेपाल, भारत और पाकिस्तान के वस्त्र बिकते हैं , और शांग हाई, शङ चङ तथा छङ तू आदि शहरों में दुकान की शाखाएं भी खुली हैं । हर एक शाखा की अलग विशेषता देखने को मिलती है । पेइचिंग की इस दुकान में मुख्य तौर पर भारतीय वस्त्र व आभूषण बिकते हैं , इस के अलावा इस दुकान में पाकिस्तानी व नेपाली कांस्य बर्तन भी मिलते हैं । अन्य शाखाओं की तुलना में पेइचिंग की इस दुकान में ज्यादा धार्मिक माहौल फैला हुआ है । दुकान में विभिन्न किस्मों की बुद्ध मूर्तियां उपलब्ध होती हैं । सुश्री शू मान ली ने कहा

"बौद्ध मूर्तियों को दुकान में रखने का मेरा उद्देश्य ग्राहकों को भारत व पाकिस्तान की धार्मिक संस्कृति का एहसास दिलाना है । वस्त्र और आभूषण से भी धार्मिक संस्कृति अभिव्यक्त हो सकती है । भारत और पाकिस्तान की रहस्यमय संस्कृति व धर्म से आकृष्ट हो कर हर लड़की वहां के आभूषण को पसंद करती है ।"

पेइचिंग में दक्षिण एशिया की चीज़ें बेचने वाली दुकानों की भिन्न भिन्न विशेषता होती हैं । "मङ जा लान"नामक वस्त्र दुकान में विशेष तौर पर भारतीय व पाकिस्तानी शैली के वस्त्र बुकिंग किये जाते हैं । इस दुकान के कपड़े व रेशमी वस्त्र भारत, पाकिस्तान , नेपाल और मलेशिया से मांग कर लाए गए हैं । हर रंग ढंग का वस्त्र सिर्फ एक मिलता है और वस्त्र का डिज़ाइन भी अलग अलग होता है । तिब्बती लड़की द्वारा खोली गयी "छाई वांग त्वो चे की दुकान" एक सुपर मार्केट की तरह है , जिस में रंगबिरंगे भारतीय व नेपाली चींज़ मिलती हैं ।

पेइचिंग में दक्षिण एशियाई चीजें बेचने वाली दुकान की संख्या बढ़ती जा रही है । इन दुकानों से युवा पीढी की फैशन खोजने की मांग को पूरी की जाती है । इन दुकानों से चीनी लोग दूर के अलग रीति रिवाज़ वाले विदेशों के और नज़दीक आ जाते हैं और विदेशी संस्कृति के आदान प्रदान के लिए एक पुल की हैसियत रखती है ।