प्राचीन चीन के छीक्वो राज्य के प्रमुख मंत्री च्वो जी असाधारण सुन्दर और सुडौल था । एक सुबह वस्त्र व टोपी पहनने के बाद उस ने पत्नी से पूछा कि तुम्हारी नजर में मैं और शहर के उत्तरी भाग में रहने वाले श्यु कांग दोनों में से कौन ज्यादा सुन्दर है ?
पत्नी ने उस की सराहना करते हुए कहा कि आप असाधारण सुन्दर है , आप के सामने श्युकांग कुछ भी नहीं है ।
शहर के उत्तरी भाग में रहने वाला श्यु कांग छीक्यो राज्य में अत्यन्त मशहूर सुन्दर पुरूष था । च्वो जी बराबर इस आशंका से दूर नहीं हो सकता था कि वह श्युकांग से ज्यादा सुन्दर है ।
तो , उस ने अपनी दूसरी पत्नी से पूछा कि तुम कहो कि मैं और उत्तरी शहर में रहने वाले श्युकांग में से कौन ज्यादा सुन्दर है ? उस की दूसरी पत्नी ने कहा कि श्यु कांग आप के सानी कभी नहीं होगा ।
एक दिन , कोई मेहमान घर आया , तो मौका पा कर च्वो जी ने उस से भी पूछा कि मैं और श्युकांग में से कौन अधिक सुन्दर है ? तो मेहमान ने कहा कि श्यु कांग आप से ज्यादा सुन्दर नहीं है ।
एक बार उत्तरी शहर का श्यु कांग भी च्वो जी के घर आए, इस बार च्वो जी ने विशेष रूप से शक्ल सूरत , कद काठी और चाल चरन पर श्यु कांग से अपने की तूलना की । उसे साफ साफ लगा कि वह श्यु कांग से ज्यादा सुन्दर नहीं है ।
फिर उस ने आइने में अपने को फिर आजमाया , तो और पक्का अनूभव हुआ था कि श्यु कांग उस से ज्यादा सुन्दर है ।
रात को एकांत में सोच विचार करने के बाद च्वो जी इस निष्कर्ष पर जा पहुंचा था कि उस की पत्नी इसलिए उसे सुन्दर बताती थी , क्यों कि वह उसे प्यार करती है ।
उस की दूसरी पत्नी इसलिए उसे सुन्दर कहती थी , क्योंकि वह उस से डरती है , जब मेहान ने उसे सुन्दर कहा , क्योंकि वह उस से मदद मांगने के लिए आया था , असल में वह श्युकांग से ज्यादा सुन्दर नहीं है ।
यह नीति कथा कहती है कि किसी भी को अपने को सही समझना चाहिए , और दूसरों की खुशामद से दूर रहना चाहिए , वरना तो ठीक निष्कर्ष नहीं निकाल सकता ।
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