श्री खेन कारोल का जन्म सुन्दर आयरलैंड में हुआ। उन के पिता एक रेसकोर्स कोच हैं। अपने पिता जी से प्रभावित श्री खेन कारोल एक उदार औऱ आशावादी युवक हैं। विश्व की सैर करना उन की अभिलाषा थी।और विश्विद्दालय से स्नातक होने के बाद वे विश्व श्रमण पर निकले।
श्री खेन कारोल अंग्रेजी, फ्रैन्च औऱ स्पैनिश आदि भाषाएं जानते हैं औऱ एक अध्यापक के रुप मेंविश्व की सैर करना उन्हें सब से अच्छा तरीका जान पड़ा। वर्ष 1983 से 1993 यानी एक दशक तक, कुछ देशों व क्षेत्रों में विदेशी भाषा का अध्यापन करने के बाद उन्होंने खुद एक विदेशी भाषा स्कूल खोलने की सोची। और 1994 में जब वे दूसरी बार चीन के सब से बड़े औद्दोगिक व वाणिज्य शहर शांगहाए आये, तो उन्होंने ने वहां विदेशी भाषा प्रशिक्षण केंद्र खोलने की अपनी योजना को मूर्त रुप देने का निर्णय लिया। अपने इस निर्णय के बारे में श्री खेन कारोल ने कहा, जब मैं पहली बार शांगहाए आया, तो इस शहर की मुझ पर बड़ी अच्छी छवि पड़ी, तब मैंने नहीं सोचा था कि कभी मैं लम्बे अरसे के लिए शांगहाए में रहूंगा। वर्ष 1994 में मैं ने जब दोबारा पेइचिंग, क्वांगच्ओ और शांगहाए का दौरा किया । तब मैं चीन में एक विदेशी भाषा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के बारे में सोच रहा था। शांगहाए की तुलना में पेइचिंग बहुत सर्द है, जबकि क्वांगच्ओ बहुत गर्म । तब शांगहाए आज की तरह विकसित नहीं था। फिर भी मुझे लगा कि वहां चीन के अन्य शहरों की तुलना में बाहरी दुनिया से संपर्क औऱ विदेशी कारोबारों में काम करने के अनेक मौके हैं, इसलिए, शांगहाएवासियों की अग्रेजी पढने की उत्सुक्ता भी बड़ी है।
निजी सर्वेक्षण के बाद श्री खेन कारोल जान पाये कि चीनी छात्रों की अंग्रेजी भाषा पढ़ने समझने औऱ उस में निबंध लिखने की क्षमता खासी अच्छी है, जबकि बोलने की क्षमता कुछ कमजोर है। इसलिए, उन्होंने अपना लक्ष्य चीनी छात्रों की वाचिक क्षमता बढाने पर केंद्रित किया। उन के द्वारा खोला गया खेन कारोल अग्रेजी प्रशिक्षण केंद्र, विशेष रुप से चीनी छात्रों के वाचिक प्रशिक्षण औऱ वास्तविक जीवन में अग्रेजी के प्रयोग पर केंद्रित है। अध्यापक कक्षाओं में कड़े सहज वातावरण में छात्रों की रुचि को प्रोत्साहित करते हैं, औऱ उन्हें मौखिक अंग्रेजी सिखाते हैं।
वर्ष 1996 से अब तक, खेन कारोल के अंग्रेजी प्रशिक्षण केंद्र में 30 हजार से ज्यादा छात्रों ने दाखिला लिया। इस समय इस स्कूल में 1400 से ज्यादा छात्र पढ रहे हैं और इस का नाम दिन ब दिन फैल रहा है। मौखिक अग्रेजी सिखाने वाले स्कूल के रुप में तो यह बहुत मशहूर हो चुका है।
एक विदेशी की हैसियत से, श्री खेन कारोल के लिए शांहगाए में अपने व्यवसाय अच्छी तरह चलाना भी कोई आसान काम नहीं है। शुरुआत के कठिन प्रयत्नों से उन्हें गहरे सक्क सिखाये। उन के अनुसार, जब कभी मैं तब की बात सोचता हूं, तो मेझे यह याद कर ही आश्चर्य ही होता है कि शुरुआत वे तीन चार कठिन वर्ष मैंने कैसे बिताये। दिल में मौजूद पक्के विश्वास से ही मैं ससि कठिनाइयां यह पाया और मुझे विश्वास है कि एक दिन मैं जरुर सफल हूंगा।
मेरा कार्य क्षेत्र शांगहाए है, और मैं एक शांगहाए वासी हूं। ये दोनों वाक्य हमेश श्री खेन कारोल की जबान पर रहते हैं। हालांकि पूर्व व पश्चिम की संस्कृति की भिन्नता कई बार उन की समझ में नहीं आती , फिर भी एक लंबे समय से शांगहाए में रहने के चलने उन्होंने अपने आप को
शांगहाएवासियों में घुलमिला लिया है। संवाददाताओं से बातचीत करते समय श्री खेन कारोल कभी कभी स्थानीय शांगहाए बोली भी बोलना चाहते हैं। इतना ही नहीं, उन का बातचीत करने का तरीका शांगहाएवासियों की ही तरह हो गया है।
अनेक वर्षों से शांगहाए में रहने व काम करने के बाद श्री खेन कारोल यह समझ चुके हैं कि चीन को अच्छी तरह जानने के लिए सब से अहम बात चीनी समाज का भाग बनता है। उन के अनुसार, हालांकि हम चीनी घरों में नहीं रहते , फिर भी हमें उन के साथ अच्छा संपर्क रखना चाहिए। कुछ विदेशी चीन में काम करते हैं, यहां रहते हैं, और सिर्फ विदेशी लोगों के साथ ही संपर्क रखते हैं। करते हैं, यह उन के किसी अन्य देश में रहने से ज्यादा फर्क नहीं है।और उन के ऐसा करने से चीन के प्रति उन की समझ में बाधा पैदा होती है। मैं शांगहाए में पूंजी निवेश करता हूं, औऱ विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ स्थानीयों के साथ संपर्क रखने की कोशिश करता हूं।
श्री खेन कारोल अपनी थाईवानी पत्नी और तीन वर्ष की बेटी के साथ शांगहाए में सुखमय जीवन बिता रहे हैं। उन्होंने बताया कि छुट्टियां वे अधिकांशतः अपनी बेटी के साथ खेलकर बिताते हैं। और हांलांकि उन की तीन वर्ष की है, बेटी शांगहाए बोली , शुद्ध चीनी और सरल अंग्रेजी बोलती है । श्री खेन कारोल की योजना है , चीन में बुनियादी शिक्षा समाप्त करने के बाद उन की बेटी आगे की पढाई ब्रिटेन में करे।
श्री खेन कारोल को अध्ययन पढाई और पर्यटन पसंद है। हालांकि वे बहुत व्यस्त रहते हैं, तो भी पुस्तकें खरीदने औऱ पढने की अपनी दैनिक आवश्यकता के लिए समय निकाल हो लेते हैं। श्री खेन ने कहा कि वे केवल पैसों के लिए ही शांगहाए में काम नहीं कर रहे हैं, और शांगहाए के अपने कार्य का विकास करना चाहते हैं। उन्हें पक्का विश्वास है कि उन का खेन कारोल अग्रेजी प्रशिक्षण केंद्र शांगहाए का सब से अच्छा मौखिक अंग्रेजी प्रशिक्षण केंद्र बन सकेगा।
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