तिब्बती पंचांग के अनुसार, हर वर्ष अगस्त में जाशलुम्बु मठ में एक भव्य ग्रीष्मकालीन धार्मिक सभा शी मो छिंग बू आयोजित होती है। इस धार्मिक सभा में तिब्बती लामा एक प्रकार का धार्मिक नृत्य करते हैं। शी मो छिंग बू उत्सव को मंत्रजाप उत्सव भी कहा जाता है। पहले यह सिर्फ़ जाशलुम्बु मठ में मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफ़ैक्चर का परम्परागत वार्षिक त्योहार बन गया । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, शी मो छिंग बू सभा का प्रवर्तन सातवें पंचन लामा तान बाइ नी मा ने किया। इसे कोई दो सौ वर्ष हो चुके हैं। कहा जाता है कि तब त्योहार के दौरान कई रंगारंग गतिविधियां होती थीं। लोग पूजा नृत्य करते थे, तिब्बती ऑपेरा गाते थे और खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करते थे। त्योहार लगभग 15 दिन चलता था। वर्ष 1976 में दसवें पंचन लामा ने शी मो छिंग बू धार्मिक सभा की अध्यक्षता की। उन्होंने मंत्रजाप उत्सव की अवधि तीन दिन कम कर दी।बाद में शी मो छिंग बू धार्मिक सभा का मंत्रजाप उत्सव तिब्बती लोगों का विशेष धार्मिक उत्सव बन गया।
तिब्बती पंचांग के अनुसार, हर वर्ष अगस्त की तीन तारीख को जाशलुम्बु मठ में श्रेष्ठ पूजा नर्तक लामा का चुनाव होता है। इस के बाद तीन दिन यानी अगस्त की चार से छै तारीख तक मंत्रजाप उत्सव होता है। लामा पूजा नृत्य करते हैं।यह नृत्य प्रदर्शन नागरिकों व अनुयायियों के लिए खुला रहता है।
जाशलुम्बु मठ की हमारी सैर का समय मंत्रजाप उत्सव का समय था। इसलिए हमें पूजा नृत्य देखने का सौभाग्य मिला। जब हम पूजा नृत्य स्थल पर आये तो मठ के एक जिम्मेदार लामा ने हमें खामोश रहने को कहा। उस ने बताया कि ग्यारहवें पंचन लामा भी मंत्रजाप उत्सव के लिए आए हुए हैं।
वृद्ध लामा सो लांग जाशलुम्बु मठ में चालीस वर्ष बिता चुके हैं। वे मठ में लामाओं की सेवा के लिए जिम्मेदार हैं। सो लांग को मंत्रजाप उत्सव और पूजा नृत्य की खासी जानकारी है। उन्होंने बताया कि मंत्र जाप उत्सव का इतिहास कोई दो सौ वर्ष पुराना है।इस का प्रवर्तन सातवें पंचन लामा तान बाइ नि मा ने किया । दो सौ वर्षों के विकास के बाद यह आज के इस पैमाने पर पहुंचा है।
लामा सो लांग ने कहा "हर वर्ष फसल पकने के पूर्व जाशलुम्बु मठ के लामा 45 दिन तक मठ के बाहर नहीं जा सकते। अगर वे बाहर जाते हैं, तो स्थानीय लोगों की फ़सल पर कुप्रभाव पड़ सकता है, ऐसा माना जाता है। इसलिए उन्हें जाशलुम्बु मठ में रहकर 45 दिनों तक फ़सल के लिए प्रार्थना करनी होती है। 45 दिन बाद लामाओं की छुट्टी होती है और वे मंत्रजाप उत्सव मनाते हैं तथा पूजा नृत्य करते हैं। फ़सल के बाद जाशलुम्बु मठ के लामा सम्मानित मेहमानों का मठ में सत्कार करते हैं। लामा अपने मेहमानों को मिठाइयां और फल खिलाते हैं । लामा अपने दिल की भावना अभिव्यक्त कर मेहमानों के जाशलुमबु मठ और लामाओं के समर्थन का आभार भी व्यक्त करते हैं।"
पूजा नृत्य प्रदर्शन स्थल की एक तरफ़ जाशलुम्बु मठ के लामा बैठते हैं और दूसरी ओर विभिन्न जगहों से आए मेहमान। ग्यारहवें पंचन लामा सामने के एक दुमंजिला मकान की दूसरी मंजिल पर होते हैं। स्थल के दो और स्थानीय नागरिक व देश-विदेश से आये पर्यटक खड़े होते हैं। पूजा नृत्य प्रदर्शन में लामा विभिन्न शैलियों के नृत्य करते हैं और पूजा नृत्य की बड़ी कड़ी नियम सूची होती है। नृत्य की धुन सरल होती है और लामा धीरे-धीरे नाचते हैं ।यों नाच के दौरान कई हास्य कार्यक्रम भी प्रदर्शित किये जाते हैं जो दर्शकों की वाहवाही लूटते हैं और धार्मिक वातावरण में हल्कापन आता है।
मंत्रजाप उत्सव तिब्बत के शिकाज़ प्रिफ़ैक्चर के नागरिकों का एक शानदार उत्सव है । इस उत्सव के दौरान शिकाज़े के आसपास के नागरिक और अन्य मठों के लामा जाशलुम्बु मठ में एकत्र होते हैं। वे पूजा नृत्य देखते हैं और मठ में साला भर के सुख की प्रार्थना करते हैं। पचास वर्षीय छी रन तुन चू अपनी पत्नी और आठ महीने की नन्ही पोती के साथ पूजा नृत्य देखने आये हुए थे। शिकाज़े की एक कोयला खान के मज़दूर रह चुके छी रन तुन चू ने बताया कि वे अक्सर जाशलुम्बु मठ में पूजा करने आते हैं। हर दिन इस मठ का एक चक्कर लगाना उन की आदत बन गया है। शिकाज़े के अपने जीवन तथा धार्मिक विश्वास की चर्चा में छी रन तुन चू ने कहा
"शिकाजे का जीवन पहले से कहीं बेहतर हो गया और जीवन स्तर भी ऊंचा हुआ है। हर क्षेत्र में भारी प्रगति हुई है। हमारा जाशलुम्बु मठ भी बहुत शानदार है। यहां का पूजा नृत्य हमें बहुत अच्छा लगता है। इस में विभिन्न धार्मिक कहानियां होती हैं जो दर्शनीय हैं।"
तिब्बती बंधु ची चोंग और तानजङ भाई-बहन हैं। वे शिकाज़े से सौ किलोमीटर की ला त्सी कांऊटी से जाशलुम्बु मठ का पूजा पूजा नृत्य देखने आए। जाशलुम्बु मठ के गाम्बा बुद्ध भवन में हम उनसे मिले। उन्होंने गाम्बा बुद्ध की पूजा कर उनकी मूर्ति के सामने जलते दीपों को घी की आहुति दी व पैसे चढ़ाए। इस के बाद वे पूजा नृत्य देखने के लिए पूजा नृत्य स्थल की ओर चले ।
भाई ची चोंग ने बताया "हमारे अधिकांश तिब्बती बंदु तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। हमारे धार्मिक विश्वास का मूल अगली पीढ़ी में और अच्छा जीवन बिताना है। हमारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्वतंत्र धार्मिक विश्वास की नीति बहुत अच्छी है। मैं अपनी बहन के साथ बहुत दूर से यहां आया हूँ । हम विशेष तौर पर जाशलुम्बु मठ में पूजा करने और मंत्रजाप उत्सव मनाने के लिए यहां पहुंचे।"
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