
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में दीर्घकाल से चले आ रहे तिब्बती भाषा के प्रशिक्षण कार्य में सुधार किया जाएगा । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षण प्रबंधकों का कहना है कि नयी पाठ्य पुस्तकों में पुरानी पुस्तकों के हद से ज्यादा कठिन और पुराने भागों को बदलकर तिब्बती छात्रों की वास्तविक बोली की क्षमता को बढ़ाया जाएगा।
20 तारीख से 260 तिब्बती अध्यापकों ने नयी तिब्बती पाठ्यपुस्तक के बारे में स्वायत्तप्रदेश की राजधानी ल्हासा में तीन दिनों के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा प्रबंधक श्री मालजूंग ने कहा कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती भाषा की वर्तमान पाठ्यपुस्तकों में हद से ज्यादा कठिन और पुराने भाग मौजूद होने का सवाल मौजूद है। हान जाति की भाषा की तुलना में तिब्बती भाषा की पाठ्यपुस्तकों के लिए अधिक कठिन व पुराने शब्द चुने जाते हैं, जो छात्रों को समझने में कठिन होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में चुने गये लेख भी बहुत पुराने और समझने में कठिन होतो हैं। इसलिए पाठ्यपुस्तकों में सुधार की बड़ी आवश्यकता है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा प्रबंधक श्री मालजूंग ने कहा कि केंद्र सरकार की तरह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थानीय सरकार भी तिब्बती भाषा के प्रशिक्षण को महत्व देती आई है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सभी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में प्रशिक्षण में मुख्य तौर पर तिब्बती भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। इस की सहायता के लिए हान जाति की भाषा का भी प्रयोग किया जाता है । इधर तिब्बती भाषा के प्रशिक्षण में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई हैं।
लेकिन स्वायत्त प्रदेश की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था सामाजिक व आर्थिक विकास की जरूरत के अनुकूल नहीं है। इस व्यवस्था का परिसीमन भी उभरा है । पिछड़ी शिक्षा व्यवस्था की वजह से स्वायत्त प्रदेश में नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा तथा निरक्षरता का खात्मा करने के लक्ष्य को पूरा करना भी रुका है।
वर्ष 1999 में तिब्बत के शिक्षा प्रबंध विभाग के तहत तिब्बती भाषा प्रशिक्षण सुधार दल स्थापित किया गया। दल के विशेषज्ञों ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की हर जगह जा कर अध्यापकों और छात्रों की जरूरतें पूछीं और उन की राय के आधार पर तिब्बती भाषा की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन किया। वर्ष 2001 से तिब्बत के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में नयी पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल शुरू किया गया। चार सालों के प्रयोग के बाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षण ब्यूरो ने यह फैसला लिया कि आगामी सितंबर से स्वायत्त प्रदेश के सभी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में नयी पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
श्री मालजूंग ने कहा , तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का शिक्षा विभाग तिब्बती भाषा के शिक्षण को बहुत महत्व देता है। इस संदर्भ में भारी माली और जानी शक्ति डाली गई है और इससे तिब्बती भाषा के शिक्षण में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई है । 25 वर्षीया अध्यापिका सुश्री डेगा प्यैनपा काउंटी के प्राइमरी स्कूल से हैं। उन का कहना है कि नयी तिब्बती पाठ्यपुस्तकें बहुत अच्छी हैं पर और पाठ्यपुस्तकों में भी सुधार करने की बड़ी जरूरत है।
उन्हों ने कहा , नयी पाठ्यपुस्तकों के मुताबिक प्रशिक्षण का उपाय भी नया होगा । पुराने उपाय के अनुसार छात्र क्लासरूम में सिर्फ अध्यापक की बात सुनते थे, पर नयी पाठ्यपुस्तकों के मुताबिक छात्रों को क्लासरूम में अध्यापकों के प्रशिक्षण में सक्रिय भाग लेना पड़ेगा, ताकि वे अच्छी तरह क्लास में कुछ सीख सकें। नयी पाठ्यपुस्तकों में चुनी गयी सामग्री में विवेकपूर्ण तत्व हैं, जो छात्रों के लिए दिल्चस्प भी हैं।
सुश्री डेगा ने कहा कि नयी पाठ्यपुस्तकों में तिब्बती जाति की परंपरागत संस्कृति ही नहीं हान जाति और विदेशों की संस्कृति भी शामिल है । छात्रों को यह पाठ्यपुस्तक पसंद आएगी। तिब्बती स्वायत्त प्रदेश में गुणवत्ता वाली शिक्षा का भी प्रसार किया जा रहा है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा प्रबंधक श्री मालजूंग ने कहा , आधुनिक तिब्बती भाषा के प्रशिक्षण को सामाजिक विकास के अनुकूल होना ही चाहिये। हम सभी कार्यक्रताओं को इस के लिए अथक रूप से नये मार्ग ढूंढ़ने चाहिये।
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