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(GMT+08:00) 2005-06-20 14:51:37    
रोज़मर्रा के कूड़े-करकट के पुनर्प्रयोग की विशेष तकनीक

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हम हर रोज़ अपने घरों-रसोइयों में जो कूड़ा-करकट पैदा करते हैं, उससे पर्यावरण दिन ब दिन नष्ट हो रहा है। रोज़ाना पैदा होने वाले कूड़े में आम तौर पर पानी व तेल का मिश्रण होता है जो बहुत आसानी से सड़ने भी लगता है। कूड़े का निपटारा लंबे समय से विभिन्न देशों के लिए सिरदर्द बना रहा है। हाल ही में चीन की राजधानी पेइचिंग में जैव तकनीक से रोज़मर्रा के कूड़े की प्रोसेसिंग का एक केंद्र स्थापित हुआ जिससे इस समस्या के समाधान का नया मार्ग प्रशस्त हुआ है। चीन की सभी रद्दी चीजों का आधा भाग रोज़मर्रा के कूड़े-करकट से आता है। ऐसा कुछ कूड़ा पशुओं का चारा बनता है जो मानव को हानि पहुंचाता है। इस के अलावा रोज़मर्रा का कूड़ा मच्छर आदि हानिकारक कीड़ों की पैदाइश का स्रोत भी होता है। जैव तकनीक के विकास के साथ आज चीनी तकनीशियनों ने शहरों में रोज़मर्रा के कूड़े की प्रोसेसिंग की तकनीक तलाशी है। राजधानी पेइचिंग के पश्चिमी हाईड्यैन कस्बे में जैव तकनीक से रोज़मर्रा के कूड़े की प्रोसेसिंग का प्रथम केंद्र स्थापित किया गया है, जिसमें हर रोज़ एक हजार दो सौ किलो कूड़े का निपटारा किया जा सकता है। यह केंद्र आसपास के सत्ताइस भोजनालयों के पैदा रोज़मर्रा के कूड़े का निपटारा करता है। इस केंद्र के डिजाइनर, पेइचिंग च्यापोवेन जैव तकनीक कंपनी के मुख्य इंजीनियर श्री श्या यू छिओ के अनुसार इस केंद्र में रोज़मर्रा के कूड़े का विशेष विषाणुओं के जरिये निपटारा किया जाता है। ये विषाणु ऐई विषाणु कहलाते हैं। श्री श्या ने बताया कि उन्हों ने दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिच्वान प्रांत के प्राकृतिक वातावरण में इन विषाणुओं की तलाश की। एक निश्चित तापमान और स्थिति में ऐसे विषाणु कूड़े को खंडित कर उससे ऊर्जा पैदा कर सकते हैं। जैव तकनीक से रोज़मर्रा के कूड़े की प्रोसेसिंग के इस केंद्र में अलग-अलग तौर पर कूड़े, पानी और विशेष विषाणु वाले छै उच्च तापमान वाले चूल्हे हैं , जो साढ़े चार से पांच घंटों में कूड़े को पीले रंग के उर्वरक में बदल सकते हैं । तकनीशियनों का कहना है कि ऐसा उर्वरक पौधे के उगने में बहुत लाभदायक होता है। विशेषज्ञों ने परीक्षण के बाद पाया कि ऐसे उर्वरक के इस्तेमाल से स्ट्रॉबेरी का उत्पादन तीस प्रतिशत बढ़ जाता है। कूड़े से उर्वरक बनाने के साथ इससे शहरों में पर्यावरण का संरक्षण भी किया जाता है। प्रोसेसिंग केंद्र के पास के एक रेस्त्रां के मैनेजर ने कहा कि पहले उन के यहां पैदा कूड़े को समय पर निकालना आसान नहीं था। कूड़े का रेस्त्रां में ढेर लगे रहने से अक्सर बदबू भी आती थी। आज प्रोसेसिंग केंद्र के लोग एक दिन में तीन बार यहां से कूड़ा लेने आते हैं। इससे हमारे यहां सारे कूड़े की समय पर सफाई होने लगी है। खबर है कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने इस नयी तकनीक का उच्च मूल्यांकन किया है। पेइचिंग ओलंपियाड के आयोजन के लिए पेइचिंग म्यूनिसिपलटी भी शहर भर में इस तकनीक का प्रचार-प्रसार करने पर विचार कर रही है । तकनीक के पूरी तरह पक्की हो जाने के बाद शांघाई और वूहान जैसे चीन के दूसरे बड़े शहरों में भी जैव तकनीक से रोज़मर्रा के कूड़े की प्रोसेसिंग की जाएगी। नीचे आप पढ़ पाते हैं चीन की चिकित्सीय कचरा निपटारा व्यवस्था के बारे में कुछ जानकारियां । अस्पतालों से निकलने वाला तरह तरह कचरा पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य के लिये खासा खतरनाक होता है । पर एक अरसे तक चीन में चिकित्सीय कचरे का निपटारा बहुत संतोषजनक नहीं था । आज चीन के सभी अस्पताल हर साल छै लाख टन कचरा तथा चालीस करोड़ टन गंदा पानी पैदा करते हैं , जिन के बहुत कम हिस्से विशेष निपटारा हो पाया है । बाकी चीज़ें आम कचरे और गंदे पानी के साथ मिल जाती है , यह स्थिति मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा खड़ा करती है , जिस के समाधान के लिये चीन सरकार ने कुछ समय पूर्व चिकित्सीय कचरा प्रबंध नियम पारित किया है , इस तरह चिकित्सीय कचरे से जुड़े सवाल के पूर्व समाधान की किरण दिखने लगी है । चीन के चिकित्सा अनुसंधानकर्मी प्रोफेसर शीक्वांग इस की चर्चा में कहते हैं, चिकित्सीय कचरा प्रबंध नियम का प्रकाशन, चीन सरकार की तेज़ सामाजिक बदलाव पर प्रतिक्रिया है। इस से चिकित्सीय कचरा प्रबंध विभाग कानून के मुताबिक काम कर सकेगा । इस नियम के अनुसार चीन के सभी चिकित्सालयों तथा चिकित्सा अनुसंधान संस्थाओं से उत्पन्न कचरे का निपटारा व्यवस्थित व केंद्रीकृत रुप में किया जाएगा , ताकि कचरा निपटारे के सभी चरण निरीक्षकों की आंखों के सामने रहें । चिकित्सीय संस्थाओं को अपने यहां पैदा होने वाले कचरे का किस्मों में बांटने और उन्हें जमा करने की जिम्मेदारी उठानी है , पर उन की भंडारण की अधिकतम अवधि दो दिन ही होगी । नियमानुसार अस्पताल और अनुसंधान संस्था अपने गंदे पानी तथा रोगियों की विष्ठा को राजकीय मापदंड की सफाई के बाद ही आम नालों में बहा पाएंगी। चिकित्सीय कचरा प्रबंध नियम का प्रकाशन अभी हुआ है , इस का पालन एक दूरगामी कार्य है । अब देश के सभी अस्पताल तथा चिकित्सा अनुसंधान संस्थाएं कचरे के निपटारा उपकरणों की तैयारी में व्यस्त हैं । पेइचिंग कोयला अस्पताल के प्रधान निदेशक श्री वांग मिंग श्याओ बताते हैं, हम कचरे तथा गंदे पानी के निपटारने की व्यवस्था पर छै लाख यवान की पूंजी लगाएंगे । इस लागत का आधा भाग गंदे पानी के निपटारे के लिये हो जाएगा , और बाकी आधा भाग चिकित्सीय कचरे को जलाने वाले उपकरणें पर खर्च होगा । चीन के राजकीय पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो से खबर मिली है कि आगामी दो तीन सालों के भीतर चीन, चिकित्सीय कचरे के निपटारे के लिये उपयोगी साजसामान के निर्माण पर कुल सात अरब अमेरिकी डालर की पूंजी खर्च करेगा । देहातों व दूरस्थ क्षेत्रों में , जहां चिकित्सीय कचरे के केंद्रीकृत निपटारे की शर्त मौजूद नहीं है , कचरे की सफाई तथा उसे जलाने का नियम भी सरकार ने तय किया है । चिकित्सीय कचरा प्रबंध नियम का आम लोगों ने स्वागत किया है । पेइचिंग में रहने वाली सुश्री ल्यूह्वेई इस की चर्चा होने पर बोलीं, हम देख रहे हैं कि सरकार ने चिकित्सीय कचरे के निपटारे को इधर काफी महत्व देना शुरू कर दिया है । मैं किसी व्यक्ति के चिकित्सीय कचरे के फिर से प्रयोग करने की रिपोर्ट पढ़ चुकी हूं , आशा है कि नये नियम के अमल में आने पर ऐसी घटनाएं खत्म हो जाएंगी ।

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