युवा पीढ़ी किसी भी देश और समाज की रीढ़ होती हैं, पर जब इस युवा पीड़ी के कुछ युवक और युविकाएँ अपने जिंदगी और उसके समस्याओँ का समाधान खुदबखुद नहीं कर पाते तो अक्सर वे नशीली पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।ऐसे में हमारा और समाज के सभी सदस्यों का यह फर्ज बनता है कि समाज के इस समस्या को हम जड़ से उखाड़ फेंके। हाल के वर्षों में चीनी समाज में अफीम और और आदि नशीली पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। कुछ आंकड़ों के अनुसार 35 से कम उम्र वाली श्रेणी में कुछ दस लाख लोग नशीली पदार्थों का सेवा करते हैं।सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन दस लाख लोगों मेंअधिकतर लोग किसान,बेरोजगार युवक,और प्रवासी कर्मचारी हैं।लेकिन कुछ गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार नियमित रूप से नशीले पदार्थों की सेवी करने वालों की संख्या चालीस लाख से भी ज्यादा हो सकती हैं। आज चीन में दिमागी और हृदय से संबंधित बीमारीयों से संबंधित मौतों के बाद सर्वाधिक मौत नशीली पदार्थों के सेवन से पैदा बीमारीयों से हुई।लेकिन इससे पहले की हम इस समस्या के बारे में बातचीत करें,आईये इस समस्या की ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि के बारे में कुछ बातचीत करें। चीन में अफीम की समस्या एक गम्भीर रूप तब ली जब ब्रिटिश इसका व्यापार चीन में करने लगे। यह चीनी समाज के सामने एक भारी समस्या का रूप ले ली ।सन अठारह सौ में पहली बार चीन में अफीम की व्यापार को,तब के चीनी राजा त्यौक्वांग ने गैरकानूनी घोषित किया। उसके बाद वर्ष अठारह सौ तिरासी में उन्होंने हूक्वांग प्रांत के गवर्नर लिन ज्येशू को अफीम के खिलाफ जंग के नेतृत्व के लिए नियुक्त किया। लिन ज्येशू के नेतृत्व में कई कड़े कदम उठाए गए। काफी हद तक वे सफल रहे पर ब्रिटिश की नवसेना काफी शक्तिशाली होने के कारण वर्ष अठारह सौ चालीस में चीन के तटवर्ती क्षेत्रों में ,जैसे कैन्टन के लिन थिन द्वीप में फिर से भारी पैमाने पर अफीम की व्यापार आरंभ हो गई। आज चीन में अफीम और दूसरे ड्रग्स के खिलाफ सरकार औऱ स्वास्थ्य से दुड़ी हुई संस्थाएँ ने इस बीमारी से छुटकारी पाने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं। यह कदम अनुसंधान के रूप में,चिकिन्सा के नये तौर-तरीके में देखने को मिलते है।पहले के दिनों में चीन में नशीली दवाओं के सेवा करने वालों के लिए एक विशेषज्ञ के रुप में सलाहकार भी नहीं थे।जो थोड़े बहुत थे उन्हें राष्ट्रीय चिकित्सकों के मुख्यधारा में कोई खास जगह नहीं दी जाती थी।अस्सीयों के दशक में एक राष्ट्रीय ड्रग्स स्वाधीन संघ बनाया गया। पारम्परिक चीनी दवाई और आधुनिक जीव तकनीक के मिश्रण से बनाया गया यह दवाई का असर दो दिनों से लेकर एक साल के भीतर इसका असर देखने को मिलता है।इस दवाई की खासियत है की इसके उपयोग करने से कोई कुप्रभाव भी नहीँ होता। इसके अलावा दूसरा एक दूसरा प्रकार का चिकित्सा का भी यहाँ पर काफी चर्चा है। औऱ य़ह है दिमागी शल्यचिकित्सा।फिल्हाल चान में इस पर रोक लगा दिया गया है। क्यों की इस इलाज के कई नकारात्मक परिणाम देखे गये।जैसे जीवन से निराशा,दूसरों के प्रति उदासिन सा व्यवहार,इत्यादि। चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने हाल में एक न्यूज़ ब्रीफ़िंग में गत वर्ष देश भर में चलाई गई मादक द्रव्यों के विरोध की कार्यवाही से लोगों को अवगत कराया। गत वर्ष मई से नवंबर तक सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने देश भर में मादक द्रव्यों के विरोध का एक अभियान चलाया। इस दौरान मादक द्रव्यों के सेवन, इन की बिक्री तथा उत्पादन से जुड़े कुल दो हजार से अधिक गिरोहों को पकड़ा गया और मादक द्रव्यों से संबंधित कुल पैंतीस हजार मामलों का निबटारा किया गया तथा ग्यारह टन मादक द्रव्य बरामद किये गये। इस तरह इस विरोध कार्यवाही ने उल्लेखनीय कामयाबी हासिल की। चीनी सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के मादक द्रव्य रोकथाम ब्यूरो के प्रधान श्री यान फ़न रे ने बताया कि इस मादक द्रव्य विरोधी कार्यवाही की तीन विशेषताएं रहीं। एक, पुलिस बल के अनेक अंगों की संयुक्त कार्यवाही थी। दो, इसमें अनेक क्षेत्रों ने सहयोग दिया और तीन, इसमें अनेक संस्थाओं की भी भागीदारी रही। पता चला है कि सुरक्षा मंत्रालय ने इस कार्यवाही के निर्देशन के लिए एक विशेष कार्यालय कायम किया था। देश भर के बीस से अधिक प्रांतों , केन्द्र शासित नगरों व स्वायत्त प्रदेशों से कार्यकर्ता इस कार्यालय में काम करने के लिए एकत्र हुए। पुलिस बल के अन्य अंगों के सदस्यों ने भी इस में भाग लिया। रेल,राजमार्ग, नागरिक उड्डयन संस्थाओं ने यातायात लाइनों में मादक द्रव्यों के विरोध में भारी योगदान किया । कस्टम की तस्करी विरोधी संस्थाओं ने उच्च तकनीकी उपायों से देश में भारी मात्रा में मादक द्रव्यों को आने से रोका। वन संबंधी सार्वजनिक सुरक्षा संस्थाओं ने वन क्षेत्र में मादक द्रव्य उगाने पर प्रतिबंध लगाने तथा उनकी फसल काटने पर निगरानी मज़बूत की। फौजदारी व जांच संस्थाओं तथा सार्वजनिक सुरक्षा संस्थाओं ने मादक द्रव्यों से जुड़े अपराध करने वालों को पकड़ने, और संबंधित मामलों के निबटारे के ढेर सारे काम किये। चीन और म्यांमार की सीमाओं और चीन और लाओस की सीमाओं के बीच स्थित चीन के युननान प्रांत की संबंधित संस्थाओं ने मादक द्रव्यों की तस्करी के मुख्य मार्गों और उनके वितरण के स्थलों का संपर्क बाहर से काटने के साथ अपने पास-पड़ोस के देशों की संबंधित संस्थाओं के साथ सहयोग कर मादक द्रव्यों के उत्पादन व तस्करी के अपराधों पर जबरदस्त प्रहार किया । यूननान प्रांत के मादक द्रव्य विरोध ब्यूरो के उप प्रधान तुग शन ने कहा कि गत वर्ष यूननान प्रांत की सीमावर्ती सार्वजनिक सुरक्षा संस्थाओं ने म्यांमार के उत्तरी भाग की स्थानीय सरकार की न्यायिक कार्यान्वयन संस्था और म्येनमार की केंद्रीय सरकार की कानून कार्यान्वयन संस्था तथा लाओस के उत्तरी भाग के सीमांत क्षेत्र की न्यायिक कार्यान्वयन संस्था के साथ मादक द्रव्यों के विरोध की कुल तीस से अधिक कार्यवाहियां कीं। इस दौरान मादक द्रव्यों की तस्करी में लगे तैंतीस अपराधियों को पकड़ा गया। सात माहों की मादक द्रव्यों के विरोध की इस कार्यवाही के बाद चीन के अधिकांश क्षेत्रों में मादक द्रव्यों के उत्पादन व उन की बिक्री से जुड़े गिरोहों को करारी चोट पहुंची। चीनी सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के मादक द्रव्य रोकथाम ब्यूरो के प्रधान यान फन रे ने कहा कि इस भारी कामयाबी के बावजूद चीन में मादक द्रव्यों के रोकथाम का काम बहुत भारी है। दक्षिण-पूर्वी एशिया के लाओस,थाईलैंड व म्येनमार के सीमंत क्षेत्र में स्थित स्वर्ण त्रिकोण में उत्पादित हीरोइन मुख्यतः चीन में आ रही है। इस से चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है । मध्य व पश्चिमी एशिया में स्थित अफ़गानिस्तान,पाकिस्तान व ईरान की सीमाओं से लगे क्षेत्र से भी मादक द्रव्य मध्य एशिया के कुछ देशों के माध्यम से चीन आ रहा है । दक्षिण-पूर्वी चीन के समुद्रतटीय क्षेत्र में मादक द्रव्यों के उत्पादन व उन की तस्करी की आपराधिक कार्यावाही भी होती हैं। एक चीनी वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चीन की मादक द्रव्य विरोधी संस्था इस वर्ष संबंधित अपराध करने वालों पर प्रहार करने में तेज़ी लाएगी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इन अपराधों पर प्रहार करने के लिए यूननान प्रांत को केंद्र बनाया जायेगा और इस तरह मादक द्रव्यों के स्रोतों व अंतरदेशीय व अंतरक्षेत्रीय अपराधियों पर निरंतर प्रहार किया जाएगा। इस के तहत फ़ूचन व क्वान तुगं प्रांतों को केंद्र बना कर मादक द्रव्यों के उत्पादन व तस्करी पर भी प्रहार किया जाएगा। मादक द्रव्यों के विदेशी बिक्रेताओं पर प्रहार किया जाएगा।पर्वतीय व वन-क्षेत्रों में मादक द्रव्य फललों की खेती पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।इस के अलावा म्येनमार आदि देशों के साथ सहयोग किया जाएगा और मादक द्रव्यों के देशपारीय अपराधियों पर प्रहार किये जाएंगे।
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