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(GMT+08:00) 2005-06-20 14:04:16    
भारतीय कांग्रेस मेडिकल मिशन की कहानी

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यह सर्वविदित है कि वर्ष 1937 में जापानी सैन्यवादियों ने चीन के खिलाफ़ चौरतरफा रुप से आक्रमण कारी युद्ध छेड़ दिया। चीनी जनता, जापानी आक्रमण का विरोध करने और जापानी कब्जे से छुटकारा पाने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की रहनुमाई में जांबाज संग्राम में कूद पड़ी। भारतीय कांग्रेस के आवाहन में आकर भारतीय जनता ने चीन सहायता आन्दोलन का सूत्रपात किया। अक्टूबर 1937 में राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित कर चीनी जनता का भरपूर समर्थन किया औऱ भारतीय कांग्रेस मेडिकल मिशन की स्थापना की। मिशन के सदस्य द्वारा नाथ शान्ताराम कोटनीस ने उत्तरी चीन में पांच वर्षों तक काम किया। अत्याधिक परिश्रम के फलस्वरुप , वीमार हो जाने से उस का चीन में ही देहान्त हो गया।

यह बात , आजतक 60 वर्ष गुजर चुकी। डाक्टर कोटनीस की स्मृति में विदेशों के साथ मैत्री के लिए चीनी जन संघ ने एक सितम्बर 1996 में डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम की स्थापना की। इस टीम का लक्ष्य डाक्टर कोटनीस की अंतरराष्ट्रीयवादी भावना को विरासत के रुप में ग्रहण करना औऱ उस का विकास करना है। चीन के अनेक अस्पतालों के प्रसिद्ध डाक्टर औऱ विशेषज्ञ इस टीम में शरीक हुए।

हाल ही में हमारे संवाददाता ने इस टीम के महा सचिव श्री रन मींग काओ से इंटरव्यू लिया।

श्री रन मींग काओ डाक्टर कोटनीस मेडिकल के महा सचिव हैं। जब हम ने पूछा कि किस विचार से आप लोगों ने डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम की स्थापना की। क्या मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। तो श्री रन मींग काओ ने कहा कि वर्ष 1988 में 43वीं संयुक्त राष्ट्र महा सभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, इस प्रस्ताव के मुताबिक हर साल 11 नवम्बर का सप्ताह अंतरराष्ट्रीय विज्ञान औऱ शान्ति सप्ताह के रुप में मनाने का निर्णय किया गया। वर्ष 1995 के बाद डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम के नाम से हम ने अंतरराष्ट्रीय ---विज्ञान और शान्ति--- शीर्षक सप्ताह की गतिविधियों में भाग लेना शुरु किया। और हम ने अपेक्षाकृत अच्छी कामयाबियां हासिल की। हमें चीनी संगठन समिति की ओर से खूब प्रशंसा मिली। और यह काम आज तक जारी रहा।

डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम का लक्ष्य, डाक्टर कोटनीस की उदात्त अतंरराष्ट्रीय भावना और सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक नैतिकता से सीखना, औऱ डाक्टर कोटनीस को एक शान्दार औऱ आदर्श मिसाल बनाकर दिलोजान से जनता से सेवा करना, चीन भारत मैत्री को बढ़ाना, विश्व शान्ति व विकास की रक्षा करना और सभी देशों के साथ मैत्री को बढ़ावा देने में योगदान देना है।

श्री रन मींग काओ ने कहा , इस टीम के महा सचिव के रुप मैं टीम का रोजाना काम को संभालता हूं।

यह पूछे जाने पर कि डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम की स्थापना के बाद टीम ने क्या क्या काम किया , तो श्री रन मींग काओ ने कहा, डाक्टर कोटनीस मेडिकल टीम की स्थापना के बाद जो प्रथम गतिविधि थी, वह उत्तरी चीन के ह पेई प्रांत के उन स्थानों में मरीजों का निःशुल्क इलाज करना थी। जहां डाक्टर कोटनीस काम करते थे और उन की मृत्यु हुई थी। ह पेई प्रांत की जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के उपाध्यक्ष छन ह्वेई ने एक रस्म में कहा , टीम की गतिविधि से न सिर्फ हम लोगों के प्रति राज्य सरकार का औऱ राजधानी के लोगों का ख्याल औऱ सहायता व्यक्त हुए हैं, बल्कि इस से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि टीम ने नैतिक तौर पर हमें भारी प्रोत्साहन दिया है। चीन स्थित भारतीय दूतावास के कार्यदूत ने यह विचार व्यक्त किया कि टीम के काम का भारी महत्व है। वह , भारत औऱ चीन की पारस्परिक समझ व दोस्ती को बढ़ाने में दूरगामी असर पैदा करेगी।

ग गोंग नाम के एक गांव में बुजुर्ग छी तुंग लिन ने जिन का डाक्टर कोटनीस ने तत्कालीन में ऑपरेशन किया था।मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा, पहले डाक्टर कोटनीस जो काम करते थे, आज आप लोग कर रहे हैं।

हमारा काम बहुत सफल हुआ। एक बुढ़िया ने बुलन्द आवाज में कहा, आप सब अच्छे आदमी हैं। कामना है कि आप लोग दीर्घायु रहे ।

वर्ष 1997 में जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर हमारी टीम, येन छींग आयी। जहां तत्काल में संघर्ष सब से भीषण था। हमारे डाक्टरों ने वहां के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया। वहां से रवाना होने से पहले , हम ने फिंग पेई जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के स्मृति भवन को देखा। जिस से, हमें देश प्रेम की अच्छी शिक्षा मिली।

अक्तूबर 1997 के आरंभ में डाक्टर कोनीस मैडिकल टीम, पश्चिमी चीन के शान शी प्रांत की देन फ़ंग काऊंटी की एक गरीब पहाड़ी गांव आयी, जहां प्रति व्यक्ति के हिस्से में एक बीघा खेतीयोग्य भूमि आती थी। लोगों का जीवन बहुत कठिन था। बीमार पड़ने पर इलाज के लिए पैसा नहीं था। जब लोगों ने यह सुना कि टीम हमारी पेइचिंग से आयी तो लोग चारों ओर से यहां एकत्र हो गये। यह देख कर हम बहुत प्रभावित हुए।

एक बुढ़िया अपने बेटे के साथ आयी। बुढ़िया की हनु गिर पड़ी। सो वह कुछ भी चीज़ नहीं खा सकती। हमारी टीम के डाक्टर याओ च्वन लिन ने बढ़िया की हनु को ठीक ठाक किया और पीड़ा को शान्त कर दिया। बढ़िया और उस के बेटे ने डाक्टर याओ और हमारी टीम को बेहद शुक्रिया अदा किया। सन 1998 की जुलाई में हमारी टीम भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के शीलिनगले की चरागाह गयी। वहां हमारी टीम के डाक्टरों ने अनेक मरीज चरवाहों का निःशुल्क इलाज किया।

श्री रन मींग काओ जी हम ने सुना है कि सितम्बर 1998 में चीन की सहायत करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के , चीन आने की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर पेइचिंग में एक स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। क्या, आप इस बारे में हमारे श्रोताओं को कुछ बता सकते हैं।

श्री रन मींग काओ ने हमें बताया, सितम्बर 1998 में चीन की सहायता करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के चीन आने की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर पेइचिंग और शी च्या च्वांग आदि शहरों में स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। इन समारोहों में चीन के संबंधित नेताओं और भारतीय दोस्तों ने भारतीय मेडिकल मिशन के शान्दार कारनामों की भूमि भूरि प्रशंसा की।

इस के बाद , हमारी मेडिकल टीम के डाक्टरों औऱ भारतीय प्रतिनिधि मंडलों के डाक्टरों ने कंधे से कंधा मिलाकर पेइचिंग के उप नगर में स्थित येन छींग और ह पेई प्रांत की राजधानी शी च्या च्वांग की थांग काऊंटी में मरीजों का निःशुल्क इलाज किया। इन डाक्टरों में द्वारगानाथ शान्तराम कोटनीस की छोटी बहन मनोरम औऱ वात्साला कोटनीस भी शामिल थीं।

उल्लेखनीय है कि उन्होंने बम्बई के पास एक बस्ती में डाक्टर कोटनीस चिकित्सा केंद्र की स्थापना की। वे हर रवीवार या छुट्टी के दिन इस चिकित्सा केंद्र जाकर , मरीजों का निःशुल्क इलाज करने जाती है।

अब तक हमारी टीम ने कुल 36 क्षेत्र जाकर कोई पंद्रह हजार मरीजों का निःशुल्क इलाज किया।