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(GMT+08:00) 2005-06-17 18:32:45    
प्राचीन चीनी समुद्र यात्री जङ ह की दूरगामी यात्रा चीन और अफ़्रीका के संबंधों के इतिहास में भारी महत्व रखती है

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मानव जाति के इतिहास पर ज्ञात व अज्ञात तत्वों का असर पड़ा है। वह जागृति और अंधेरे के रास्ते पर चल कर विकसित होता रहा है। चीन की समुद्री यात्रा हालांकि कभी सरगर्म रही और कभी ठंडी पड़ी, लेकिन समुद्र यात्रा के इतिहास में जङ ह का योगदान सर्वमान्य है। चीन ने तत्कालीन इतिहास में जहाज निर्माण, बारूद व कुतुब यंत्र बनाने तथा कोई 1000 वर्षों तक समुद्र यात्रा की तकनीकों के सहारे हिन्द महा सागर में महत्वपूर्ण स्थान बनाये रखा था । यह स्थान और प्रभाव जङ ह ने अपने नाम से अभिव्यक्त किया । सर्वमान्य है कि जङ ह ने अपनी दूरगामी समुद्र यात्रा के ज़रिये बहुत पुराने समय में ही चीन-अफ़्रीका संबंधों को एक नई मंज़िल पर पहुंचा दिया था।

जङ ह की दूरगामी समुद्र यात्रा से पूर्व चीन-अफ़्रीका संबंध कायम हुआ था ।

चीन और अफ़्रीका के संबंध बहुत पुराने हैं। चीन और अफ़्रीका के बीच संबंधों की कब शुरुआत हुई, इस बारे में तीन दृष्टिकोण हैं। एक, खुदाई में प्राप्त सामग्री के अनुसार प्राचील चीन के हान राजवंश से पूर्व चीन और अफ़्रीका के बीच कम से कम अप्रत्यक्ष व्यापार शुरू हो गया था। दो, गत 1993 में आस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने मिस्र के 21 वें राज वंश की एक स्त्री के शव के बाल के अनुसंधान के बाद रेशम के रेशे का पता लगाया। तब सिर्फ़ चीन रेशम का उत्पादन कर सकता था। तीन, 1979 में चीन के चांग सू प्रांत के शूचओ की खुदाई में प्राप्त प्राचीन चीन के पूर्वी हान राजवंश की एक मूर्ति में जो शुभसूचक चीनी काल्पनिक जानवर छी लीन देखे गये ,उन में से तीन अफ़्रीका के जिराफ से बहुत मिलते-जुलते हैं। इस से यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि चीन और अफ़्रीका के बीच नागरिक आदान-प्रदान सरकारी आदान-प्रदान से पहले शुरू हुआ और अप्रत्यक्ष आदान-प्रदान प्रत्यक्ष आदान-प्रदान से पहले।

इस के आधार पर कहा जा सकता है कि प्राचीन चीन के थान वंश में चीनियों ने अफ़्रीका की यात्रा शुरू कर दी थी। उन के बीच व्यापार भी शुरू हो गया था। अफ़्रीका की खुदाई में प्राप्त चीनी मिट्टी के बर्तन दोनों पक्षों के बीच अप्रत्यक्ष व्यापार का एक सबूत माने जा सकते हैं।मिस्र चीन और अफ़्रीका के बीच व्यापार का एक जंक्शन माना जा सकता है। यह मिस्र की भौगोलिक स्थिति से अलग नहीं है। अरब लोग थलीय व जलीय मार्गों के माध्यम से चीन के साथ प्रत्यक्ष व्यापार करते थे। वे चीन के माल अफ़्रीका ले जाते थे और उन से स्थानीय अनोखी वस्तुओं की अदलाबदली करते थे।

प्राचीन चीन के सुन व युन राजवंशों में चीन और अफ़्रीका के बीच आदान- प्रदान का और अधिक विकास हुआ। चीन के प्राचीन दस्तावेज़ों में अफ़्रीका की स्थिति का विवरण देने वाली खासी सामग्री देखने को मिलती है। सुन वंश के कुछ विद्वानों की रचनाओं में अफ़्रीका के बहुत से स्थानों के नाम देखने को मिलते हैं।

तब दोनों पक्षों के बीच व्यापार का आगे विस्तार हुआ। परदेशों का वृतांत नामक एक रचना में विदेशों के प्राकृतिक साधनों की एक सूची अंकित थी।इस में अंकित 47 किस्मों की वस्तुओं में से 22 अफ़्रीका की थीं। दोनों पक्षों के बीच व्यापार का विकास अफ़्रीका की विभिन्न जगहों की खुदाई में बड़ी तादाद में प्राप्त चीनी मिट्टी के बर्तनों से अभिव्यक्त होता है। वर्तमान में मिस्र,सूडान, मोरोक्को,इथिओपिया,सोमालिया, केनिया, तानजानिया,

जिम्बाबुवे,मडागास्कर आदि अफ़्रीकी देशों में सुन व युन राज वंशों के चीनी मिट्टी के बर्तनों का पता लगा है। इस के अलावा ब्रिटिशों व जर्मनों ने भी 1888 व 1889 में जंजीबार और सोमालिया में चीन के सुन राज वंश के तांबे के सिक्कों का पता लगाया, जबकि गत 1945 में जंजीबार में हुई खुदाई में प्राप्त 176 सिक्कों में से 160 सिक्के सुन राजवंश के थे।

उल्लेखनीय बात यह है कि चीन और अफ़्रीका के बीच गैर सरकारी व सरकारी आदान-प्रदान संबंधी विवरण मिले हैं। युन राजवंश के वांग ता युन ने अपनी रचना विदेशी द्वीपों की वृतांत में विदेशों की यात्रा संबंधी अपना विवरण दिया था। उत्तरी अफ़्रीका के विश्वविख्यात यात्री एबिन पैथुथाई ने गत 1346 में चीन की यात्रा की थी। उन्हों ने चीन की राजधानी के अलावा छुनचओ व क्वान चओ आदि जगहों की यात्रा की थी। अपनी रचना में तत्कालीन चीन की कानून व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था, रीति-रिवाज़, भवन-निर्माण शैलियों, स्थानीय वस्तुओं, यातायात व परिवहन, आर्थिक जीवन, सिक्कों का विवरण दिया था। इस रचना ने अरबों ही नहीं बल्कि पश्चिमी दुनिया को चीन के बारे में जानकारी देने में भारी भूमिका अदा की । सुन व युन राज वंशों में चीन और कुछ अफ़्रीकी देशों ने एक-दूसरे के यहां राजदूत भेजे थे और आपस में राजनयिक संबंध कायम किए थे।

सब से उल्लेखनीय बात यह है कि चीन के युन राजवंश के विद्वान चू स पन ने तत्कालीन विश्व के अफ़्रीका का नक्शा खींचा था, जिस में दक्षिण अफ़्रीका को देखा जा सकता था। युन वंश के भूगोलशास्त्री ली ज़ मिन ने जो नक्शा खींचा था ,उस में अफ़्रीका व यूरोप स्पष्ट देखा जा सकता था।

संक्षेप्त में कहा जाए तो प्राचीन चीन के मिंग राज वंश से पूर्व चीन और अफ़्रीका के बीच आवाजाही की बात ऐतिहासिक रचनाओं में देखने को मिलती है। अफ़्रीका संबंधी सामग्री निरंतर बढ़ रही है। प्राचीन चीन के मिंग राज वंश के बाद चीन और अफ़्रीका के बीच आदान-प्रदान और घनिष्ठ हुआ। तब जङ ह ने अपनी दूरगामी समुद्र यात्रा कर इसे नयी बुलंदी पर पहुंचाया था।