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(GMT+08:00) 2005-06-17 16:58:21    
जङ ह दुनिया में समुद्री यात्रा का प्रथम महान व्यक्ति था

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दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत के खुनमिंग शहर में युन्नान विश्वविद्यालय में जङ ह के समुद्री जहाजरानी इतिहास पर आयोजित अनुसंधान संगोष्ठी में ब्रिटेन के पूर्व नौ सैनिक अफसर ,शौकिया इतिहासकार श्री मानर्सेस ने संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में यह तर्क पेश किया है कि चीनी महान समुद्री यात्री जङ ह ने इटली के समुद्री यात्रा कोलुम्बुस से पहले अमरीका महाद्वीप का पता लगाया था । उन की जङ ह पृथ्वी परिक्रमा समुद्र यात्रा का प्रथम महान व्यक्ति था शीर्षक रिपोर्ट में प्रस्तुत इस मत की ओर संगोष्ठी में उपस्थित सौ से अधिक चीनी विदेशी विशेषज्ञों का ध्यान आकृष्ट हुआ है ।

ब्रिटिश इतिहासकार मानर्सेस ने अपनी रिपोर्ट में चार पहलुओं से अपने इस मत का समर्थन किया । पहला , अमरीका महाद्वीप का पता यूरोपियों द्वारा लगाया जाने के बजाए किसी दूसरे द्वारा चला था , सटीक विश्व मानचित्र बनाने का समय वर्ष 1423 था , जो यूरोपियों के समुद्री सर्वेक्षण से कहीं पूर्व हुआ था । यूरोपीय अवेक्षकों की समुद्र यात्रा से पहले ही विश्व मानचित्र में उन के गंतव्य देशों व क्षेत्रों का साफ साफ उल्लेख मिलता था , कोलुम्बुस , डगामा और मैगाल्लान की डायरियों से साबित हो सकता है कि यूरोपीय अवेक्षकों ने जिस मानचित्र का इस्तेमाल किया था , वह उन के दक्षिणी अमराकी पहुंचने से चार सौ साल पहले ही प्रकाश में आया था , जिस पर दक्षिण अमरीका के कुछ द्वीपों के नाम अंकित थे ।

दूसारा , चीनी समुद्री यात्री जङ ह ने वर्ष 1405 से 1433 तक सात बार दूरगामी समुद्री यात्रा की थी , चीन में वर्ष 1430 में प्रकाशित परदेशों के मानचित्र में विभिन्न महाद्वीपों के विशेष पशु चित्रित हुए देखने को मिलते हैं , जिन में भारत के शेर और हाथी , अफ्रीका के जेबरा और जिराफ , दक्षिण अमरीका के आर्माडिल्लो तथा अमरीकी तेंदूर आदि शामिल थे । जङ ह की समुद्री यात्रा के दौरान उन्हों ने विश्व के अनेक देशों और क्षेत्रों में देशांतर अक्षांश अंकित पत्थर स्तंभ खड़े किए थे । श्री मानर्सेस ने कहा कि उस समय तक चीन का समुद्री यात्रा इतिहास छै सौ साल ज्यादा पुराना हो चुका था , केवल शक्तिशाली चीन विशाल पैमाने वाला जहाज बेड़ा भेज कर विश्व के भूगोल का सर्वेक्षण करने तथा सटीक देशांतर अक्षांश तय करने में समक्ष सिद्ध हुआ था । चीन के उस समय के विभिन्न प्रकार के मानचित्रों और समुद्री यात्रा नक्शाओं में पूर्वी अफ्रीका , दक्षिणी अफ्रीका तथा पश्चिमी अफ्रीका के चित्र अंकित हैं , चीन के थाइवान बर्तन चित्रों में औस्ट्रेलिया का नक्शा है और 1420 से 1430 तक के चीनी समुद्री यात्रा के मार्गदर्शन तथा तारा मंडल चित्र से यह सिद्ध हुआ है कि चीनी लोग दक्षिण अमरीका , औस्ट्रेलिया और जावा पहुंचे थे ।

तीसरा , सुदूर पूर्व , हिन्द महा सागर , अफ्रीका , उत्तरी अमरीका तथा अटलांटिक महा सागर तथा दक्षिणी औस्ट्रेलिया के प्रथम अन्वेक्षक जत्थे में चीनी या एशियाई की मौजूदगी उल्लिखित है । उक्त क्षेत्रों के मूल निवासियों के उल्लेखों में यूरोपीयों से पहले एशियाइयों के आगमन की चर्चा मिलती है और इन क्षेत्रों में चीनी विशेषता वाले जहाजों के मलबों , चीनी मिट्टी के बर्तनों तथा मानव निर्मित चीजों का पता चला है । अमरीका महाद्वीप में यूरोपीयों ने जिन रंगों ,तांबा वस्तुओं तथा खनिजों का पता लगाया था , वे चीन में बहुत उपलब्ध थे और अमरीका में एशिया के विरल पशु व वनस्पतियां भी थे ।

चौथा , डी एन ए से पता चला है कि अमरीका के कर्लिफोनिया , ब्राजील तथा औस्ट्रेलिया के मूल निवासियों में चीनी लोग का डी एन ए मौजूदा है ।

श्री मानर्सेस का कहना है कि उक्त प्रमाणों से साबित हुआ है कि वर्ष 1421 के मार्च से 1423 के अक्तूबर तक चार विशाल चीनी जहाज बेड़ों ने पृथ्वी का परिक्रमा किया था , जहाज बेड़ों के नाविक और उन के परिवारजन मलेशिया , दक्षिणी व उत्तरी अमरीका , ओस्ट्रेलिया , न्यूजलैंड तथा अन्य प्रशांत द्वीपों पर रह चुके थे । चीनी महान समुद्री यात्री जङ ह ने सब से पहले अमरीका महाद्वीप का पता चला था और कुछ चीनी लोग वहां बसे गए थे , चीनियों ने सब से पहले विश्व का मानचित्र बनाया था । चीनी विशेषज्ञों ने मानर्सेस के इस तर्क पर समीक्षा करते हुए कहा कि उन के अनुसंधान व प्रस्तुत मतों के समर्थन में अभी ऐतिहासिक सामग्री का अभाव है । क्यों कि चीन के मिंग राजवंश ने जङ ह की यात्रा के बाद समुद्री यात्रा पर कड़ा पाबंदी लगायी और जङ ह की समुद्री यात्रा की अधिकांश ऐतिहासिक संदर्भ सामग्रियों को नष्ट कर दिया गया था , इसलिए मार्नसेस का मत अभी महज एक प्रकार का अनुमान है । फिर भी चीनी महान समुद्री यात्री जङ ह की अन्वेक्षण कार्यवाहियों ने विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों के साथ दोस्ती कायम करने तथा आवाजाही बढ़ाने में असाधारण योगदान किया था और उस से यह भी जाहिर है कि तत्कालीन चीन की समुद्री यात्रा की तकनीकें , जहाज निर्माण तकनीकें तथा चीनी सभ्यता निर्विवाद रूप से विश्व ऐतिहासिक खजाने में एक अतूल्य धरोहर के रूप से सदा मशहूर रहेंगी ।