श्री छन फंग च्वन पेइचिंग विश्विद्दालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध कॉलेज के प्रोफेसर हैं। वे लम्बे अरसे से एशिया औऱ प्रशांत महा सागरींग क्षेत्र के राजनीतिक आर्थिक औऱ सामाजिक मामलात के अनुसंधान तथा पढाई में लगे रहे हैं। और तो और ,भारत के राजनैतिक सामाजिक और सांस्कृतिक मामलात के अध्ययन व पढ़ाई में उन्होंने उल्लेखनीय कामयाबियां हासिल की है।
श्री छन फंग च्वन , सॉथ एशिया सोसाइटी आफ चाइना के परिषद सदस्य और पेइचिंग विश्विद्दालय के अंतरराष्ट्रीय मामलात अनुसंधान केंदर् के निदेशक भी हैं। वर्ष 1994 में उन्होंने अपनी पुस्तक भारतीय समाज से पेइचिंग म्युनिसिपलटी के तृतीय दर्शन शास्त्र व सामाजिक विज्ञान पुस्कार वितरण समारोह के प्रथम दर्जे का इनाम प्राप्त किया। इसी पुस्तक ने --चीन भारत मैत्री--इनाम भी जीता। फरवरी 1999 में उन्हें विश्व विभूति की सफलता के इनाम से सम्मानित किया गया।
इधर के वर्षों में भारत के संबंध में उन के द्वारा लिखे गये कोई 50 लेख या निबंध देश विदेश की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। जिन में भारतीय समाज का स्वरुप 、भारतीय सरकार की संस्थाएं औऱ प्रशासनिक अधिकारियों की व्यवस्था、भारत की रोजगार समस्या और भारत की राजनीतिक व्यवस्था की दो विशेषताएं आदि शामिल हैं।
हाल ही में हमारे संवाददाता को प्रोफेसर छन फंग च्वन से इंटरव्यू लेने का मौका मिला।
मैं वर्ष 1964 में यानी विश्विद्दालय से स्नातक हो गया, इस के बाद में एशियाई व अफ्रीकी मामलात अनुसंधान प्रतिष्ठान में काम करने लगा। तब से मैंने भारतीय मामलों का अध्ययन करना शुरु किया। कारण यह है कि स्वर्गीय अध्यक्ष माओ त्से तुंग भारतीय मामलों के अनुसंधान कार्य को बहुत महत्व देते थे। उन के विदेश में हमारे अनुसंधान प्रतिष्ठान की स्थापना हुई थी। भारत एक बड़ा देश है। चीन भारत संबंधों का विशेष महत्व है। मुझे भारत के अनुसंधान से खास लगाव था, तभी से मुझे भारत का अनुसंधान करते हुए 40 साल गुजर चुके हैं।
यह पुछे जाने पर कि आप ने कब और क्यों भारतीय मामलों में दिलचस्पी दिखाई। तो वे जवाब में कह रहे हैं, प्रोफेसर छन फंग च्वन ने भारत के अनुसंधान कार्य के दो क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की है। एक है, 70 और 80 वाले दशक में भारत में कम्युनिस्ट आन्दोलन के अनुसंधान के बारे में कम्युनिसट इन्टर नेशनल और भारत इस की प्रतिनिधि रचना है। 90 वाले दशक में भारत के राजनीति और उस के विकास का अध्ययन करने में प्राप्त कामयाबियां। इन की प्रतिनिधि रचना है, पूर्वी एशिया और भारत--एशिया के आधुनिकिरण के दो फारमूले।
पूर्वी एशिया औऱ भारत: एशिया के आधुनिकिकरण के दो फार्मूले अपनी पुस्तक की चर्चा करते हुए प्रोफेसर छन फंग च्वन ने कहा, मौजूदा चीन के अकादमिक क्षेत्र में पूर्वी एशिया औऱ भारत की सरकारों की अर्थ व्यवस्थाओं व संस्कृतियों पर तरह तरह के अनुसंधान की अनेक पुस्तकें प्रकाशित की गई है। पर दोनों के सकल व सर्वागीण अनुसंधान, तुलनात्मक अनुसंधान खास कर दोनों के विकास फार्मूलों के तुलनात्मक अनुसंधान का अभाव है। यह पुस्तक इसी दिशा में मेरे अनुसंदान का प्रयास है। मैंने इन सैद्धांतिक समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया है कि विश्व के आधुनिकिकरण की प्रक्रिया में अनेक फार्मूले मौजूद है। जिन में पूर्वी एशिया औऱ भारत के फार्मूले की अपनी अपनी विशेषता है। पूर्वी एशिया का फार्मूला अपेक्षाकृत रुप से सफल हुआ है, लेकिन, भारतीय फार्मूले में भारी निहित शक्ति मौजूद हैं औऱ उस का भविष्य , अत्यन्त उज्जवल है।
भारत और पूर्वी एशिया के आधुनिकिरण का अनुसंधान करने से पूर्वी एशिया औऱ भारत की सफलताओं औऱ सबकों का निजोड़ निकाला जा सकता है। निसंदेह , यह चीन यहां तक कि सभी विकासमान देशों के लिए फायदामन्द साबित हो जाएगा।
मेरी इस पुस्तक की प्रशंसा करते हुए विश्वख्यात विद्वान डाक्टर जदी श्ये लिंग ने कहा, मेरे विचार में यह पुस्तक, एक सफल रचना है, जिस का भारी महत्व है।
" भारतीय समाज " श्री छन फंग च्वन द्वारा लिखी गयी और एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। वह एक ऐसी पुस्तक है, जिस में भारत के लगभग सभी क्षेत्रों का परिचय दिया गया है। इस पुस्तक के कुल छ खंड है, पहले खंड में भारत के सामाजिक परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया है। इश खंड में भारत के सामाजिक विकास यानी आदिम समाज से लेकर स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद सभी एतिहासिक कालों के स्वरुप औऱ विशेषताओं का विश्लेषण किया गया।
दूसरे खंड में भारत की संस्कृति धर्मों और जाति प्रथा की आम स्थिति का परिचय दिया गया। तीसरे खंड में भारतीय राष्ट्र , जन संख्या तथा भाषाओं आदि की हालत का परिचय दिया गया। चौथे खंड में भारतीय समाज के वर्गों का विवरण दिया गया, पांचवें खंड में भारतीय समाज की समस्याओं यानी धार्मिक सम्प्रदायों, हरीजन, गरीबों तथा बेरोडगारों की समस्याओं का विश्लेषण किया गया।
हम जानते हैं कि चीन औऱ भारत दोनों विश्व में प्राचीन देश हैं। दोनों देशों का सांस्कृतिक आदान-प्रदान का लम्बा इतिहास था। सांस्कृतिक आदान-प्रदान की विष्य वस्तुएं इतनी समृद्धशाली थी औऱ एक दूसरे पर इतना व्यापक असर पड़ा है। इतिहास में अद्वितीय और अभूतपूर्व है। यह बात चीन और भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में ही सर्वमान्य है।
कुल मिलाकर कहा जाए, यह पुस्तक , भारत के बारे में जानकारी हासिल करने में आम चीनी लोगों के लिए मददगार सिद्ध होगी।
अपनी भविष्त योजना का जिक्र करते हुए प्रोफेसर छन फंग च्वन ने कहा, मैंने पेइचिंग विश्विद्दालय में भारतीय समाज और संस्कृति नामक कॉर्स खुलवा दिया है। इस कॉर्स का छात्र बहुत स्वागत करते हैं। हर लेक्चर में कई सौ छात्र सुनने आते हैं। इसलिए, मेरी यह योजना है कि यह कॉर्स जारी रखा लाए। इस के अलावा, मैं भारत के समाज, राजनयन, आधुनिकिकरण आदि समस्याओं का अनुसंधान करना जारी रखूंगा। और भारत के राजनीतिक व आर्थिक मामलों पर ध्यान देता रहूंगा।
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