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(GMT+08:00) 2005-06-13 15:13:37    
थाइवान का परिचय

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आज के इस कार्यक्रम में हम बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुननी लाल कैवर्त,बलीदपुर मऊ, उत्तरप्रदेश के डाक्टर एस ए फारूकी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल मासूम और कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, सीताराम केशरी के पत्र शामिल कर रहे हैं।

सब से पहले बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के चुन्नी लाल कैवर्त का पत्र लें। उन्होंने लिखा है कि सवाल-जवाब कार्यक्रम में श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर विश्वसनीय, तथ्यात्मक एवं ज्ञानवर्धक होते हैं। पूरी मेहनत एवं ईमानदारी से श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सी आर आई परिवार प्रशंसा व धन्यवाद का पात्र है।

पिछली 14 मार्च को चीनी राष्ट्रीय जन सभा के वार्षिक अधिवेशन में देश विभाजन विरोधी कानून पारित किया गया, जिसकी प्रतिक्रिया एवं रिपोर्ट सुनने को मिली जो सार्थक एवं सामयिक लगी। इस संदर्भ में थाइवान के बारे में कृपया विस्तार से बताने की कृपा करें।

चुन्नी लाल कैवर्त भाई, थाइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के समुद्री क्षेत्र में स्थित है। यह चीन का सब से बड़ा द्वीप है। थाइवान जलडमरूमध्य पार कर फ़ूच्येन प्रांत पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप का क्षेत्रफल 36 हजार वर्गकिलोमीटर और जनसंख्या 2 करोड़ 1 लाख 60 हजार से अधिक है।  

यह चार क्षेत्रों में बंटा है। पश्चिमी मैदान, उत्तर-पश्चिमी उच्चभूमि व बेसिन, पर्वतमाला और पूर्वी समुद्रतटीय उच्चभूमि। द्वीप की सब से बड़ी पर्वत चोटी समुद्र की सतह से 3977 मीटर ऊंची है। द्वीप के चारों ओर फ़ंगङू द्वीप समूह, त्याओय्वी द्वीप जैसे 85 द्वीप हैं। 

द्वीप में कई नदियां भी हैं। इन नदियों की तेज धारा जलीय यातायात के प्रतिकूल है। इस के अलावा यहां दो मशहूर झीलें भी हैं।

 द्वीप में वर्षा और वायु प्रवाह खासा बड़ा है।

 द्वीप का वन क्षेत्र द्वीप की कुल भूमि के 50 प्रतिशत से अधिक है। यहां 110 खनिजों के भंडार का पता लगाया जा चुका है। इन में कोयला, सोना, गंधक, तांबा, चांदी, तेल और नमक प्रमुख हैं। 

यहां की भूमि उपजाऊ है। यहां धान, शक्करकंद, गन्ना, मूंगफली, सन, चाय जैसी फसलें उगती हैं। इस के अतिरिक्त केला, संतरा, लीची, ज़ैतून, अनानास, आम जैसे 80 से अधिक फल भी पाये जाते हैं। यहां 500 से अधिक किस्मों की मछलियां भी मिलती हैं।   

द्वीप में शक्कर, कपूर, इलेक्ट्रानिक्स, टेक्सटाइल, जूते, छतरी, प्लास्टिक, मशीनरी, रोजमर्रा की चीजों के साथ जहाज उद्योग विकसित है।

  थाइवान में रेलमार्ग की लम्बाई 4500 किलोमीटर है। इन में से 70 प्रतिशत छोटी पटरी की है। राज मार्ग की लम्बाई 17 हजार किलोमीटर है। इस में रिंग रोड की लम्बाई 1000 किलोमीटर है। समुद्री यातायात के लिए अनेक बंदरगाह हैं और यहां वायु मार्ग की सुविधा भी है। 

प्रांत की राजधानी थाइपेई है जो द्वीप का राजनीति, अर्थतंत्र, संस्कृति और यातायात का केन्द्र भी है। द्वीप का दूसरा सब से बड़ा शहर काओशुंग है। बंदरगाह होने के नाते यह दक्षिणी भाग का औद्योगिक शहर भी है। थाइचुंग शहर द्वीप के मध्य में स्थित है। थाइनान शहर द्वीप के दक्षिण में स्थित है। चीलोंग शहर द्वीप के उत्तर का एक बंदरगाह व मछली उद्योग केन्द्र है।

थाइवान की आदिम संस्कृति चीन की मुख्यभूमि की संस्कृति से जुड़ी है। दोनों की जड़ एक है। प्राचीन काल से ही थाइवान चीन का एक अभिन्न अंग रहा है। 16 वीं शताब्दी में चीन कमजोर हुआ तो स्पेन, पुर्तगाल, नीदरलैंड, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और अमेरिका ने थाइवान को उपनिवेशवाद का निशाना बनाया।

नीदरलैंड और जापान ने अलग-अलग तौर पर थाइवान पर कब्जा किया। वर्ष 1624 में नीदरलैंड ने स्पेन का स्थल लेकर थाइवान पर कब्जा किया।1662 में एक चीनी सेनापति चंग छंग-कुंग ने नीदरलैंड के शासन से थाइवान को मुक्त कराया। वर्ष 1683 में छींग राजवंश ने थाइवान को फ़ूच्येन प्रांत का एक प्रशासनिक क्षेत्र बनाया। 1885 में थाइवान एक प्रांत बना।

इससे पूर्व 1874 में जापान ने थाइवान का अतिक्रमण शुरू किया। वर्ष 1894 के चीन-जापान समुद्री युद्ध में चीन को हारना पड़ा। जापान ने दोनों देशों के बीच हुई असंतुलित संधि का फायदा उठा कर थाइवान को अपने हाथ में ले लिया।

1 दिसंबर 1943 को चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के नेता काहिरा में जापान द्वारा कब्जा ली गई थाइवान समेत चीन की सारी भूमि चीन को वापस लौटाने पर एकमत हुए। इसे काहिरा घोषणापत्र कहा जाता है।

वर्ष 1945 में चीन ने जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध जीता। काहिरा घोषणापत्र के तहत तब थाइवान चीन की गोद में वापस लौटा।

इस के बाद के गृहयुद्ध में कोमीनतांग पार्टी की सत्ता का पतन हो गया। कोमीनतांग पार्टी थाइवान जा पहुंची। इस तरह थाइवान एक बार फिर मुख्यभूमि से अलग हुआ।

मातृभूमि के पुनरेकीकरण के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन सरकार ने थाइवानी पदाधिकारियों के साथ परामर्श किया और अनेक अथक प्रयास किये।

वर्ष 1992 में दोनों के बीच हांगकांग में यह मतैक्य हुआ कि विश्व में सिर्फ़ एक चीन है।

पर बाद में थाइवानी पदाधिकारी ली तंग-ह्वेई ने इस मतैक्य को खारिज कर दिया। वर्ष 2000 में छन श्वेई-पियान थाइवानी पदाधिकारी बने, उन्होंने भी वर्ष 1992 के मतैक्य को खारिज कर थाइवानी पृथक्तावाद का प्रचार करने का प्रयास किया।

इस वर्ष अप्रैल व मई में कोमीनतांग पार्टी के अध्यक्ष श्री ल्यान यान और छीनमीन पार्टी के अध्यक्ष श्री सुंग छू-य्वी ने मुख्यभूमि की यात्रा की। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव श्री हू चिन-थाओ ने उन के साथ वार्ता की। दोनों ने वर्ष 1992 के मतैक्य की पुष्टि की।

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