बहुत प्राचीन समय , चीन के सुङ राज्य वंश में एक किसान रहता था , वह तेज मिजाजी आदमी था । अपने खेत में फ़सल के पौधों के उगने की गति पर वह असंतुष्ट था , उसे आशा थी कि पौधे जल्दी से जल्दी बढ़ता जाएंगे और कम समय में ही पक जाएंगे । वह रोज खेत पर जा कर पौधों का विकास क्रम देखता रहा , कभी वह खेत में झुक कर हाथों की ऊंगली से पौधों की लम्बाई नाप रहा था , तो कभी नजर से नाप रहा था ।
उस की नजर में पौधा बढ़ता ही नहीं जाता , रोज़ पहले दिन का जितना लम्बा बना रहता था । एक दिन वह इस सोच विचार में घूम रहा था कि "क्या किसी तरीके से पौधों को जल्दी से उगने दिया जा सके"।
वह घूमता सोचता रहा , घूमता सोचता रहा । अनायास दिमाग में यह विचार चकाचौंध गया , "वाह कितना अच्छा तरीका है , मैं हरेक पौधे को खींच खींच कर लम्बा कर दूं , तो क्या वह एकदम लम्बा नहीं हो सकता । हां , इस से पौधे जरूर जल्द ही उग -बढ़ जाएंगे ।"
वह तुरंत अपने फैसले पर अमल करने लगा , झुक झुक कर खेत के सभी पौधों को एक एक खींच कर ऊंचा कर दिया । दोपहर से शाम तक वह मेहनत करता रहा । जब संध्या वेला आयी , तब बहुत थके हुए घर का रास्ता अपनाया । घरमें प्रवेश करके ही वह अपने थके हुए कमर में थपकी देते हुए बकने लगा, "ओह , कमर चूर चूर टूट गया , आज मैं सचमुच थका मरा जा रहा हूं" । उस के पुत्र ने पिता की ऐसी दशा पर आश्चर्य चकित हो कर पूछा, "पिता जी , आज क्या हुआ कि आप इतना थक गये हैं , क्या कोई भारी काम किया है" ।
किसान बड़े बड़पन के भाव में बोला , "आज मैं खेत में सभी पौधों को जल्दी से उगने में मदद दी है , वह सब पहले से बहुत ज्यादा ऊंचा उगा है "। पुत्र पिता जी की बातों पर ताजुब हुआ , वह फटाफट ही खेत की ओर भागा , वहां यह दृश्य देख कर उस के मुंह से हाहाकार फूट निकला, "हाय रे हाय , यह क्या आफत हुआ , खेत में सभी पौधे मुरझे हो गए , जो शुरू शुरू में खींचे गए थे , वे तो सुख कर मर गए , जो बाद में खींचे गए थे , उन के पत्ते मुरझ गए थे ।
यह चीन में एक बहुत मशहूर प्राचीन नीति कथा है , इस नीति कथा पर आधारिक एक कहावत हर चीनी की जबान पर है । हां , चीनी भाषा में वह कहावत या म्यो जु चांग कहलाता है । अर्थात पौधों को लम्बा खींच कर उसे उगने की मदद देना ।
इस नीति कथा का अर्थ बहुत साफ है , यानी प्रकृति अपनी नियम के अनुसार चलती है , सभी चीजों का अपना अपना नियम होता है , उस के नियम के विरूद्ध काम लेने का बिलकुल विपरीत परिणाम निकलता है । इसलिए हमें प्रकृति या समाज का नियम जानने की कोशिश करना चाहिए और नियमों के मुताबित काम करना चाहिए ।
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