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(GMT+08:00) 2005-06-09 17:04:22    
पेइचिंग के थ्येनआनमन चौक की सैर

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चीन का भ्रमण कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोता दोस्तों को हमारी नमस्ते। पिछले चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को मशहूर पेइचिंग विश्वविद्यालय के पुराने स्थल हुंगलाऔ यानी लाल भवन देखने ले चले हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को चीन के इसी प्रसिद्ध पेइचिंग विश्वविद्यालय के हुंगलाऔ यानी लाल भवन नामक पुराने स्थल के बगल में खड़े थ्येनआनमन चौक के पास ले चलेंगे।

जैसा कि आप जानते हैं कि चीन की राजधानी पेइचिंग एक प्राचीन ऐतिहासिक शहर है। चीन के इतिहास की अनेक प्रभावशाली घटनाओं का यह शहर केंद्र रहा। इन ऐतिहासिक घटनाओं की स्मृति पेइचिंग के संग्रहालयों, स्मृति भवनों और अवशेषों में सुरक्षित है। पेइचिंग शहर के बीचोंबीच में स्थित थ्येनआन मन चौक भी पेइचिंग के इतिहास का बहुत जाना-माना साक्षी है।

आप को यह भी मालूम है कि हुंग लाऔ में कभी पेइचिंग विश्वविद्यालय का मुख्यालय, पुस्तकालय और साहित्य कालेज हुआ करता था और यह चार मई 1919 के क्रांतिकारी आंदोलन का उद्गम स्थल भी रहा। पेइचिंग विश्वविद्यालय कब का पेइचिंग के पश्चिमी उपनगर में स्थानांतरित हो चुका है तथा चीन के सब से विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों में से एक की मान्यता पा चुका है और हुंगलऔ राजकीय सांस्कृतिक अवशेष और चीन के नव सांस्कृतिक आंदोलन के स्मृति भवन के रूप में संरक्षित है।

नये चीन के संस्थापक स्वर्गीय माऔ त्से तुंग हुंगलऔ में काम करते थे व रहते थे और वे भी हुंगलाओ में रह चुकी अनेक ऐतिहासिक हस्तियों में से एक थे। माओ त्से तुंग हुंग ने अपने जन्मस्थान हूनान से पेइचिंग आने पर पहली बार हुंग लऔ के पुस्तकालय में प्रबंधक की नौकरी पाई। हुंगलऔ की पहली मंजिल की वह जगह जहां कभी स्वर्गीय माओ त्से तुंग काम करते थे, आज तक हू ब हू सुरक्षित है।

हुंगलऔ के अलावा एक ऐतिहासिक दौर से जुड़ी चार मई सड़क भी कम चर्चित नहीं है। यह सड़क बहुत लम्बी तो नहीं है, पर इसके पश्चिमी भाग पर चार मई आंदोलन की याद में खड़ी एक विशाल मूर्ति इसे अत्यंत भव्य बनाती है। यह पुस्तक रूपी मूर्ति तब युवाओं को विज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरित करने के लिए खड़ी की गई थी। चार मई सड़क के दोनों किनारों पर पुस्तकों की कई निजी दुकानें भी हैं। प्रसिद्ध चीनी ललित कला भवन भी इसी क्षेत्र में खड़ा है। इस भवन में श्रेष्ठ चीनी समकालीन चित्र व लोक कलाकृतियां संग्रहीत हैं।

चार मई सड़क से दक्षिण की ओर दसेक मिनट का रास्ता तय करने पर आप पेइचिंग के दूसरे प्रसिद्ध वास्तु थ्येनआन मन मंच तक पहुंच सकते हैं। एक अक्तूबर 1949 को स्वर्गीय माओ त्से तुंग ने इसी मंच से दुनिया को नये चीन की स्थापना की सूचना दी थी।

थ्येनआनमन पहले छंग थ्येनमन कहा जाता था। वह 15 वीं शताब्दी के मिंग राजवंश में स्थापित हुआ। 17 वीं शताब्दी में छिंग राजवंश काल में उसे थ्येनआनमन नाम दिया गया।

उस समय के थ्येनआनमन चौक का क्षेत्रफल 11 हैक्टर था। चौक पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में लाल चारदीवारी से घिरा था और साधारण लोगों को उसके अंदर जाने की सख्त मनाही थी। थ्येनआनमन मंच की ऊंचाई 34 मीटर है और वह विश्वविख्यात प्राचीन राजप्रासाद का मुख्य द्वार भी रहा है। इसकी छत पर लगे सुनहरे खपरैल धूप में खूब चमकते हैं। छिंग राजवंश काल में इस मंच से राजा के महत्वपूर्ण आदेश जारी किये जाते रहे। नये चीन की स्थापना के बाद थ्येनआनमन मंच में चार बार के पुनर्निर्माण के बाद नया निखार आया और वह भव्य समारोहों के आयोजन का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।

थ्येनआनमन चौक विश्व का सब से विशाल चौक है। पर्यटक इस मंच पर खड़े होकर स्वर्णजल सेतु और थ्येनआनमन चौक के आसपास निर्मित गगनचुम्बी इमारतें भी देख सकते हैं। मंच पर इतालवी पर्यटक सुफिली ने उसकी प्रशंसा में कहा थ्येनआनमन चौक बहुत विशाल और सुंदर है। थ्येनआनमन मंच का क्षेत्रफल कितना बड़ा है। यह राजमहल जितना सुंदर है। यह मंच आज तक इतनी अच्छी तरह सुरक्षित है जो बहुत प्रशंसा की बात है। इसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है। मुझे यह बहुत प्रिय है।

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