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(GMT+08:00) 2005-06-09 09:28:44    
तिब्बती संस्कृति को विरासत में ग्रहण करने को प्रबल

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हाल ही में पेइचिंग में चीनी तिब्बत शास्त्र कार्य का समन्व्य सम्मेलन आयोजित हुआ। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान ने न सिर्फ़ तिब्बती जाति की श्रेष्ठ परंपरागत संस्कृति के संरक्षण और उसे विरासत में ग्रहण करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, तिब्बती आधुनिकीकरण का वैज्ञानिक आधार प्रदान किया है। चीन के तिब्बती मुख्यतः दक्षिण-पश्चिमी चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में रहते हैं । तिब्बत शास्त्र तिब्बती जाति के के अनुसंधान के सर्वतोमुखी विषय इतिहास, धर्म, संस्कृति, अर्थतंत्र, राजनीति, समाज आदि विभिन्न क्षेत्र हैं। चीनी तिब्बतशास्त्र अनुसंधान केंद्र एक राजकीय अकादमिक संस्था है। केंद्र के महानिदेशक श्री रापापिनज़ो ने बताया कि हाल के कुछ वर्षों में चीनी विद्वानों ने जाति, मानव, धर्म, सामाजिक विज्ञान समेत आधुनिक बौद्धिक जानकारियों व उपायों से तिब्बती जाति के अर्थतंत्र व जीवन आदि सभी क्षेत्रों का अनुसंधान किया और भारी उपलब्धियां हासिल कीं। पिछले 50 वर्षों में चीन ने तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान की एक व्यापक व्यवस्था स्थापित की और प्रचुर उपलब्धियां प्राप्त कीं। इस शास्त्र के अनुसंधान में काफ़ी संख्या में जुटे उच्चस्तर के प्रौढ़ व युवा अनुसंधानकर्ता तेज़ी से बढ़ रहे हैं । देश भऱ में तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान, शिक्षा, प्रकाशन संबंधी दसियों संस्थाएं कायम हो चुकी हैं। खबर है कि वर्तमान में चीन में करीब दो हजार लोग तिब्बतशास्त्र के अनुसंधान में लगे हुए हैं। इनमें तिब्बती विद्वानों के अलावा ह्वे व अन्य जातियों के विद्वान भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने इस शास्त्र संबंधी कुल तीन हज़ार पुस्तकों व तीस हज़ार से अधिक निबंधों का प्रकाशन किया। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक विज्ञान अकादमी के प्रधान व तिब्बतशास्त्र के विद्वान श्री स्वांगचुनमे ने कहा कि तिब्बतशास्त्र अनुसंधान संस्था ने इस जाति की श्रेष्ठ व परंपरागत संस्कृति के विकास के साथ तिब्बत के विकास की ज़रूरतों को ध्यान में ऱखते हुए स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास की निर्णयाक नीतियां पेश कीं। तिब्बती सामाजिक विज्ञान अकादमी ने स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास की जरूरतों के अनुसार ग्रामीण अर्थतंत्र अनुसंधान केंद्र ,आर्थिक रणनीति अनुसंधान प्रतिष्ठान आदि स्थापित किये और तिब्बत के आधुनिकीकरण के लिए ल्हासा में तिब्बत के लघु शहरों व कस्बों के निर्माण व पारिस्थितिकी के अनुसंधान की उपलब्धियां प्रस्तुत कीं इसने स्थानीय सरकारों को वैज्ञानिक निर्णायक नीति अपनाने के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। उन्होंने कहा कि शहर और ग्राम के बीच भिन्नता दूर करने के लिए अकादमी ने लघु शहरों व कस्बों के विकास की कल्पना पेश की । स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने इस सुझाव पर अमल किया ।इस से इन लघु शहरों व कस्बों का अब तेज़ी से विकास हो रहा है। इस के अलावा चीन के तिब्बतशास्त्र जगत ने दस से अधिक देशों व क्षेत्रों के संबंधित क्षेत्रों के साथ नियमित समय पर आदान-प्रदान व सहयोग कर भी अनेक अनुसंधान संस्थाएं कायम की हैं। नीचे आप पढ़ पाते हैं तिब्बती बच्चों की कुछ जानकारियां । आज का बच्चा कल का देश निर्माता होता है । बच्चे देश की आशा होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि अब चीन भर में सौ से अधिक शिवान प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं।चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भी अनेक शिवान प्राइमरी स्कूल कायम हैं जो बड़े लोकप्रिय हुए हैं । हाल ही में चीन की राजधानी पेइचिंग के कला भवन में एक शानदार चित्र प्रदर्शनी आयोजित हुई जिस में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ग्यारह चित्रकारों के अस्सी से अधिक चित्र शामिल रहे । उल्लेखनीय है कि इन ग्यारह चित्रकारों में से सात तिब्बती जाति के हैं । हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी को उन के साथ बातचीत करने का मौका मिला औऱ उन्हों ने एक स्वर में कहा कि तिब्बत स्वायत प्रदेश ने उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने की अच्छी स्थिति प्रदान की है । राजधानी पेइचिंग समेत अनेक शहरों में उन की चित्र प्रदर्शनी के सफल आयोजन का श्रेय तिब्बती और हां जातियों की एकता और मित्रता को जाता है। तिब्बती चित्रकारों का कहना वाकई ठीक है । इधर के वर्षों में तिब्बती जाति और हां जाति की एकता और मित्रता साल दर साल सुदृढ़ हुई है।आज के कार्यक्रम में हम आप को तिब्बती और हां जातियों की एकता और मैत्री की एक कहानी सुनायेंगे । इस कहानी की शुरुआत तिब्बती छात्र तानचनतावा के साथ हमारी संवाददाता की मुलाकात से होती है। हर वर्ष की पहली जून को अंतराष्ठ्रीय बाल दिवस मनाया जाता है । इस वर्ष भी हमेशा की ही तरह इस की खुशी मनाने के लिए चीन की राजधानी पेइचिंग में तरह-तरह की गतिविधियां आयोजित की गयीं जिन में एक खेल समारोह भी शामिल था । इस खेल समारोह में भाग लेने की एक खास शर्त रखी गयी थी और वह यह कि केवल चीन के शिवान प्राइमरी स्कूलों के छात्र-छात्राओँ को इस समारोह में भाग लेने का अधिकार होगा। मित्रो ,इधर चीन भर में निर्धन बच्चों के लिए केवल सामाजिक शक्तियों पर निर्भर अनेक प्राइमरी स्कूल कायम किये गये हैं । इन स्कूलों को शिवान स्कूल नाम दिया गया है। चीनी भाषा में शिवान शब्द का अर्थ होता है आशा । आप जानते हैं कि आज का बच्चा कल का देश निर्माता होता है । बच्चे देश की आशा होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि अब चीन भर में सौ से अधिक शिवान प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं।चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भी अनेक शिवान प्राइमरी स्कूल कायम हैं जो बड़े लोकप्रिय हुए हैं । हाल ही में पेइचिंग स्थित हिमालय विश्रामगृह में सुश्री ल्यू हवी की मुलाकात इन तिब्बती छात्रों से हुई । इस तिब्बती बच्चे ने अपना नाम तानचन तावा बताया।वह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा की कुंपूचानता काउंटी के शिवान प्राइमरी स्कूल से पेइचिंग आया। उस का कहना है कि इस बार तिब्बत स्वायत प्रदेश के विभिन्न स्कूलो के कुल बीस से अधिक तिब्बती छात्र पेइचिग आये । वे सभी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में स्थित विभिन्न शिवान प्राइमरी स्कूलों के छात्र हैं । वे विमान जहाज से पेइचिग आये ।यह उन के लिये पहली बार पेइचिग आये इस से उन की खुशी का ठीकाना न रहा । पेइचिग पहुंचने के बाद उन्हों ने तुरंत ही अपने अपने परिवार को फोन कर दिया ।अब तिब्बत स्वायत प्रदेश के बहुत से गांवों में टेलिफोन की सुव्यवस्था है ।तिब्बती छात्र तानचनतावा ने बड़ी खुशी और गर्व के साथ बताया कि वह चीनी दन मुक्ति सेना की नौ सेना का आभारी है और बड़ा होने पर मैं चीनी जन मुक्ति सेना की नौ सेना के सदस्यों की ही तरह देश की सेवा करूंगा ।