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(GMT+08:00) 2005-06-06 15:20:27    
मशहूर चीनी कैमरामैन गू छांग वेइ

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श्री गू छांग वेइ चीनी फिल्म जगत में बहुत मशहूर हैं। वे चीन के पहले कैमरामैन माने जाते हैं। कुछ समय पूर्व उनके द्वारा निर्देशित फिल्म "मोर" ने चीनी दर्शकों की वाहवाही हासिल की और इस वर्ष जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित फिल्मोत्सव में रजत पदक जीता।

फिल्म का अंश

यह है श्री गू छांग वेइ द्वारा निर्देशित फिल्म "मोर" का एक अंश। कुछ लोगों ने इस फिल्म को "हृदय का महाकाव्य" कहा है। फिल्म की कहानी 1970 से 80 वाले दशक के एक साधारण चीनी परिवार के तीन भाई-बहनों के जीवन के गिर्द घूमती है। परिवार की बड़ी बहन दूसरों से अलग हर दिन आश्चर्यजनक बातों के बारे में सोचती है और आसपास के लोगों के अज्ञान में व्यक्तिगत रुचि लेती है। परिवार का बड़ा भाई मंदबुद्धि है। वह बहुत सीधा-सादा है औऱ अक्सर आसपास के लोगों के प्रति मैत्री दिखाता है, पर लोग उस का मज़ाक उड़ाते हैं। परिवार का सब से छोटा भाई खामोश रहता है और अपने सहपाठियों से सम्मान प्राप्त करने की हर संभव कोशिश करता है। फिल्म में इन साधारण व्यक्तियों के वर्णन को चालीस वर्ष की उम्र पार कर चुके चीनियों की मान्यता हासिल हुई। फिल्म में सत्तर व अस्सी के दशकों के चीनियों का साधारण जीवन दर्शकों के सामने आया। श्री गू छांग वेइ का कहना है कि इस फिल्म से उन्होंने अपना ही जीवन अनुभव जाहिर किया। फिल्म में प्रदर्शित सभी व्यक्तियों पर उन के अपने पड़ोसियों व परिजनों की छाया दिखती है। इस की चर्चा में श्री गू छांग वेइ ने बताया

"मेरी फिल्म "मोर" के तीनों भाई-बहनों की उम्र लगभग बराबर है। मुझे ये साधारण लोग बहुत पसंद हैं। इधर के सालों में हमारा जीवन स्तर उन्नत हुआ है और मैं कह सकता हूं कि मेरा परिवार भी साधारण है और खुद मैं भी साधारण व्यक्ति हूँ। कई लोगों का कहना है कि इस फिल्म में जीवन की क्रूरता दिखायी गयी है। लेकिन मेरा विचार है कि इस में जीवन की गर्माहट भी है और लोगों की आपसी गहरी भावना भी। मैं अपनी इस फिल्म के जरिए साधारण व्यक्तियों के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहता हूँ।"

पचास वर्ष की आयु पार कर चुके गू छांग वेइ का जन्म पश्चिमी चीन के शान शी प्रांत की राजधानी शी आन में हुआ। उन के मां-बाप साधारण अध्यापक थे। बचपन में गू छांग वेइ को चित्रकला बहुत पसंद थी और तब वे एक चित्रकार बनना चाहते थे। वर्ष 1978 में उन्होंने पेइचिंग फिल्म कॉलेज के सिनेमैटोग्राफ़ी विभाग में प्रवेश पाया। वर्ष 1984 में वे सिनेमैटोग्राफ़र बने औऱ उन्होंने मशहूर चीनी फिल्म निर्देशकों चांग यी मो और छङ खाइ ग के साथ कई फिल्मों की शूटिंग की, जिन में "बाल राजा","लाल ज्वार","लान लिन राजा","चलते हुए गाना" और "रानी से राजा की विदाई"आदि शामिल हैं। इस तरह श्री गू छांग वेइ को चीन का प्रथम सिनेमैटोग्राफ़र माना गया। वे "शताब्दी के सौ श्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफरों"की नामसूची में भी शामिल किये गये। वर्ष 1993 में मशहूर चीनी फिल्म निर्देशक चांग यी मों द्वारा निर्देशित फिल्म "रानी से राजा की विदाई" ने 46वें कान फिल्मोत्सव में स्वर्ण पदक हासिल किया। श्री गू छांग वेइ इस फिल्म के कैमरामैन थे। इस तरह श्री गू छांग वेइ ने फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ ओस्कर पुरस्कार में फ़ॉटोग्राफ़ी के लिए नामांकन हासिल किया। इस के बाद श्री गू छांग वेइ ने हॉलीवुड में पांच साल काम किया औऱ इस दौरान तीन अमरीकी फिल्मों और तीन चीनी फिल्मों की शूटिंग की।

अमरीका में गू छांग वेइ ने सबसे पहले जिस फिल्म की शूटिंग की वह थी "दि जिंजरब्रेड मैन"।इस में एक वकील की कहानी कही गयी थी। दूसरी फिल्म थी "हर्ली बर्ली" जो एक मनोरंजक फिल्म थी। श्री गू छांग वेइ ने बताया कि वे विभिन्न किस्मों की फिल्मों की शूटिंग सीखने के लिए अमरीका गए। उन का मानना है कि मानवीय भावना एक जैसी होती है। अमरीका की अच्छी फिल्में चीनी दर्शकों को पसंद हैं और अच्छी चीनी फिल्में अमरीकियों को। गू छांग वेइ ने कहा कि उनका अमरीकी फिल्म जगत के अपने सहकर्मियों के साथ अच्छा सहयोग रहा और उन्होंने अमरीकी साथियों से बहुत कुछ सीखा। अमरीका से कई साल बाद श्री गू छांग वेइ स्वदेश लौटे।