
प्रिय दोस्तो , चीन की राजधानी पेइचिंग की आधुनिकता के बारे में आप बहुत कुछ जानते हैं, और मेरा मानना है कि इस बहुत प्राचीन शहर के इतिहास और सांस्कृतिक परम्परा की जानकारी पाने में भी आप की रुचि होगी ही। पहले हम आप को चीन का भ्रमण कार्यक्रम में पेइचिंग की एक प्रसिद्ध सड़क के दौरे पर ले गये । शायद आप को इस दौरे से पेइचिंग का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक आभास हुआ होगा ।
यह सच्च है कि चीन में खुला द्वार व रूपांतरण की नीति लागू होने के बाद पिछले बीसेक वर्षों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। तेज आर्थिक व व्यापारिक विकास के चलते समूचे चीन में नये नजारे दिख रहे हैं। राजधानी पेइचिंग भी इस का अपवाद नहीं है। पेइचिंग में चारों ओर चहल- पहल दिखती है और अनेक गगनचुम्बी इमारतें व डिपार्टमेंट स्टोर कतारों में खड़े हैं। पर इन ऊंची आधुनिक इमारतों के पीछे पेइचिंग के इतिहास की झलक भी देखी जा सकती है। शहर के दक्षिणी भाग की पुरानी ल्यू ली छांग सड़क शहर की प्राचीन संस्कृति का नमूना पेश करती है।
आज की ल्यू ली छांग सड़क वास्तव में 1980 वाले दशक में निर्मित हुई। इससे इस सड़क का क्षेत्रफल बढ़कर दुगना हो गया। यह सड़क पूर्वी व पश्चिमी दो भागों में बंटी है और इस की लम्बाई 750 मीटर है। सड़क के दोनों किनारों पर खड़े सभी मकान चीन की पुरानी वास्तुशैली से युक्त हैं। वे अंदर व बाहर से पत्थर व लकड़ी की अत्यंत सूक्ष्म तराशी से सुसज्जित हैं। इनमें छिंग राजवंश के अंतिम काल की पेइचिंग की दुकानों की परम्परागत शैली देखने को मिलती है।
इस सड़क के किनारे सौ से ज्यादा दुकानें खड़ी हैं। इसके पूर्वी भाग में मुख्यतः जेड, रूबी आदि बेशकीमती पत्थर, चीनी मिट्टी के बर्तन, आभूषण व काष्ठकृतियां बिकती हैं, जबकि पश्चिमी भाग में चीनी लिपिकला की कृतियां, चित्र और सांस्कृतिक वस्तुएं। यहां आप चीन के विभिन्न ऐतिहासिक कालों की वस्तुएं खरीद सकते हैं। पर ध्यान रहे, इनमें कुछ चीजें असल की नकल होती हैं। धोखे की चिन्ता का सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि दुकानदार आप को हर चीज के बारे में साफ-साफ बताते हैं और उनका दाम भी सही-सही लगाते हैं। इसलिये यहां घूमते हुए यदि आपको कोई चीज पसंद आती है, तो आप उसे निश्चिंत हो कर खरीद सकते हैं।
क्षेत्र की इतनी सारी दुकानों में से कुछ कई सौ साल पुरानी हैं। श्री चा ची रन की छिंग मी क नामक दुकान भी इनमें से एक है। यह दुकान लगभग तीन सौ साल पुरानी है । श्री चा ची रन ने अपनी दुकान की चर्चा में कहा कि छिंग मी क नाम आज से कोई 650 साल पुराना है। यह नाम य्वान राजवंश के चार प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक नी युन लिन ने सोचा था। वे वृद्धावस्था में किसी पहाड़ी स्थान में रहना चाहते थे। वहां जाने से पहले उन्हों ने अपने सभी चित्र व मूल्यवान पुस्तकें जिस भवन में सुरक्षित कीं, उसे यह नाम दिया। य्वान राजवंश के पतन के बाद छिंग राजवंश कायम हुआ तो यह बेशकीमती भवन भी नये राजा के हाथ लगा। छिंग राजवंशी राजा छ्येन लुंग ने अपनी दाई के एक बेटे को छिंग मी क का नाम दिया और आज्ञा दी कि वह ल्यू ली छांग में इस नाम से एक दुकान खोले और विशेष तौर पर विभिन्न सरकारी विभागों को स्याही, कागज आदि वस्तुएं बेचे।
छिंग मी क का व्यापार तब खूब चलता था। कोई भी सरकारी अधिकारी या सैनाधिकारी जब इस सड़क पर आता था, तो इसी दुकान में आराम से चाय पीने के बाद यहां घूमने निकलता।
आज छिंग मी क की पुरानी चहल-पहल तो लुप्त हो गयी है, पर ल्यू ली छांग का रौनक और सांस्कृतिक वातावरण अब भी बाकी है। यहां की सुव्यवस्थित रूप से खड़ी अनूठी वास्तुशैली वाली छोटी-बड़ी दुकानें देशी-विदेशी पर्यटको को आकर्षित करती हैं। स्वीडन की सुश्री मेडली फोक्ट ने बताया कि वे दूसरी बार यहां आयी हैं। उन्हें पुरानी वास्तुशैली वाली यह सड़क बहुत अच्छी लगती है।
मुझे यह जगह बहुत पसंद है। यहां का वातावरण एकदम शांत है। कहा जा सकता है कि यह चीन की प्राचीन संस्कृति की प्रतीक है। यहां चीन के विभिन्न ऐतिहासिक कालों की विविध कलात्मक कृतियां, चित्र और कई दुर्लभ वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं।
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