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(GMT+08:00) 2005-05-25 14:33:13    
उच्च शिक्षा कार्य विकास में प्राप्त उपलब्धियां

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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी सोलहवीं राष्टीय कांग्रेस में चीन को नयी शताब्दी के पहले बीस सालों में सर्वांगीण खुशहाल समाज में बदलने का लक्ष्य पेश किया । पर खुशहाल देश के निर्माण का आधार, शिक्षा ही है । हमारे संवाददाताओं ने इस सवाल को लेकर कुछ सूत्रों से बातचीत की । चीन के शिक्षा कानून के तहत स्कूलपूर्व शिक्षा , प्राइमरी व मिडिल स्कूल , उच्च स्तरीय शिक्षा , व्यावसायिक शिक्षा , और प्रौढ़ शिक्षा सब राष्टीय शिक्षा व्यवस्था में शामिल है । वर्ष उन्नीस सौ नब्बे से अब तक चीन के शिक्षा कार्य के विकास में लगातार तेजी आयी । वर्ष दो हजार तक चीन में व्यापक तौर पर नौ सालों की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू हो चुकी थी । युवाओं व प्रौढ़ों को साक्षर बनाया जा चुका था । चीन की इक्यानवे प्रतिशत आबादी या तो अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था के दायरे में आ चुकी थी , या साक्षर बन चुकी थी । वर्ष उन्नीस सौ नब्बे में चीनी नागरिकों की औसत प्रशिक्षण अवधि छै साल रही , जबकि अब यह आठ वर्ष है । यह जाहिर करता है कि चीन की राष्टीय शिक्षा व्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है । फिर भी विकसित देशों की तुलना में चीन का शिक्षा स्तर ऊंचा नहीं है । मिसाल के लिये विकसित देशों के नागरिकों की औसत प्रशिक्षित अवधि बारह साल है , जो चीन से चार साल अधिक है । चीनी शिक्षा मंत्रालय की राष्टीय शिक्षा अनुसंधानशाला के प्रधान श्री चाओ ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा कि बुनियादी शिक्षा में सुधार , किसी देश की आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के विकास की कुंजी है । उन का विचार है कि बुनियादी शिक्षा में सुधार आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का मूल है । चीन में बुनियादी शिक्षा का अर्थ, प्राइमरी स्कूल से हाई स्कूल तक शिक्षा से लिया जाता है । पर चीन की हाई स्कूल शिक्षा अपेक्षाकृत कमजोर है । इस समय चीन में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू है । पर हाई स्कूलों की भरती दर सिर्फ पचास प्रतिशत है , यानी मिडिल स्कूल पास करने के आधे विद्यार्थी ही हाई स्कूल में प्रवेश हो सकते हैं । चीनी शहरों के अधिकांश परिवार एक बच्चे वाले हैं । उन में अपनी संतान को हाई स्कूल और फिर कालेज में भेजने की तीव्र इच्छा होती है । इसलिये चीन सरकार ने देश में हाई स्कूल स्तर की शिक्षा के जोरदार विकास का लक्ष्य रखा है । वर्ष दो हजार बीस तक चीन के हाई स्कूलों की भरती दर नब्बे प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है । और इस आधार पर उच्च शिक्षा का भी विकास किया जाना है । पर चीन के कुछ अल्प-विकसित क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था कायम करने का काम अब तक शतप्रतिशत पूरा नहीं हो गया है । इन इराकों में गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल से छोड़ने का खतरा मौजूद होता है । इसलिये सरकार इन क्षेत्रों में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा को मजबूत करने और गरीब परिवारों के बच्चों की यथासंभव मदद करने का प्रयास कर रही है । चीनी शिक्षा मंत्री सुश्री चेन चि ली का विचार है कि एक आधुनिक देश की बुनियाड, आधुनिक शिक्षा ही होती है । उन्हों ने कहा कि हमें देश भर में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा व्यवस्था कायम करनी चाहिये ताकि छात्रों की व्यावहारिक क्षमता को उन्नत किया जा सके । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये पाठ्यपुस्तकों और परीक्षा व्यवस्था में भी सुधार भी करना पड़ेगा । सुश्री चेन ने आगे कहा कि देश के आधुनिकीकरण के लिये शिक्षकों और प्रबंधकों को भी आधुनिक विचारों से लैस होना चाहिये । इस के लिये शिक्षा संस्थानों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये । इन दिनों चीन के शिक्षा प्रबंध संस्थान अध्यापकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं । और साथ ही पुरानी पाठ्यपुस्तकों के नवीनकरण का काम भी चल रहा है । भविष्य में हम ऐसी स्थिति तक जा पहुंचेंगे कि भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अलग अलग पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग हो सकेगा । चीनी शिक्षा मंत्रालय की राष्टीय शिक्षा अनुसंधानशाला के प्रधान श्री चाओ ने कहा कि हमें मौजूदा पाठ्यपुस्तकों तथा शिक्षा कार्यक्रमों का नवीनकरण करना चाहिये ताकि उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर छात्रों की विशेषता के अनुकूल बनाया जा सके । पहले चीन के सभी स्कूलों में एक ही शिक्षा कार्यक्रमों से समान पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग किया जाता था । पर अब यह बदलने वाला है । भविष्य में स्कूलों को भिन्न पाठ्यपुस्तकों के प्रयोग की स्वतंत्रता हो जाएगी । नीचे चीनी कालेजों में छात्रों की गुणवत्ता की उन्नति की कुछ जानकारियां होती हैं । इधर के वर्षों में चीनी कालेजों में नये छात्रों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है । साथ ही कालेजों में अध्यापन की गुणवत्ता को उन्नत करने की कोशिश भी चल रही है। चीन में लगभग हजार से अधिक सरकारी कालेज हैं । उच्च शिक्षा की नागरिकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये वर्ष उन्नीस सौ निन्यानवे से इन कालेजों ने अपने यहां दाखिलों की संख्या बहुत बढ़ा दी । इस से 4 साल में ही चीन के सरकारी कालेजों में छात्रों की संख्या सत्तर लाख तक जा पहुंची है , जो वर्ष उन्नीस सौ निन्यानवे की दुगुनी है । कालेजों में छात्रों के दाखिले में भारी वृद्धि से शिक्षा स्तर में गिरावट की आशंका भी पैदा हुई है । इस कारण चीनी कालेजों को अपना शिक्षा स्तर बनाये रखने के प्रयास तेज करने पड़े हैं । चीनी शिक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता सुश्री कांग नींग ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा कि छात्रों की संख्या बढ़ते देखकर चीनी कालेजों ने अपने साजसामानों के पुन निर्माण का भारी प्रयास किया है । साथ ही वे अपने अध्यापन में सुधार लाये । शिक्षा गुणवत्ता को उन कालेजों की कार्यसूची में प्राथमिकता प्राप्त है । दाखिलों की वृद्धि के अनुपात में कालेजों में क्लासरुम , अध्यापकों और साजसामानों की वृद्धि नहीं हुई । इसलिये कालेजों ने अपना निर्माण और साजसामान खरीदने में भारी पूंजी लगायी , और अपने अध्यापकों के स्तर की उन्नति को भी बहुत महत्व दिया । इस पर चीन के प्रसिद्ध उच्च शिक्षासंस्था पेइचिंग विश्वविद्यालय के एक उच्च पदाधिकारी ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ने विदेशों से बहुत सी श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित किया है । उन के पेइचिंग विश्वविद्यालय का अंग बनने से हमारे अध्यापकों के ढ़ांचे में बहुत सुधार आया है । इस समय पेइचिंग विश्वविद्यालय के अध्यापकों का एक तिहाई भाग विदेशों से वापस लौटी चीनी प्रतिभाएं हैं , अन्य अध्यापकों के अधिकांश की भी विदेशों में प्रशिक्षण लेने या कुछ समय बिताने का अनुभव है । इन नये अध्यापकों का स्तर पहले से काफी उन्नत है , उन की अध्यापन और अनुसंधान करने की क्षमता भी बढिया साबित हुई है । अब चीनी कालेजों में छात्रों की मिश्रित क्षमता को बहुत महत्व दिया जाता है । पूर्वी चीन के च-च्यांग प्रांत के च-च्यांग विश्वविद्यालय के कुलपत्ति श्री च्यांग च्वन शंग कहते हैं कि च-च्यांग विश्वविद्यालय छात्रों की मिश्रित क्षमता के प्रशिक्षण पर विशेष जोर देता है । छात्रों को कक्षा में अध्ययन के सिवा भिन्न भिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना पड़ता है । इसी से छात्रों की नयी जानकारियां बटोरने और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता बढ़ी है , और वे वैज्ञानिक अनुसंधान करने में भी ज्यादा समर्थ साबित हुए हैं । इस के अलावा च-च्यांग विश्वविद्यालय के छात्र अपनी उपाधि के सिवा दूसरी उपाधियों में भी शामिल हो सकते हैं , ताकि अपनी जानकारियों का विस्तार कर सकें । पेइजिंग निजी शिक्षा अनुसंधान शाला के एक शोधकर्ता के अनुसार चीन में निजी उच्च शिक्षा संस्थानों के तेज़ विकास का कारण है कि ये निजी कालेज अपने यहां बाजार की जरूरत के मुताबिक उपाधियों का प्रबंध करना है , इसलिये उन के स्नातकों का समाज में आपेक्षाकृत ज्यादा स्वागत हो रहा है । विभिन्न स्तरों की सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिये चीन ने इधर के सालों में व्यावसायिक शिक्षा के विकास को भी महत्व दिया है । चीन में कालेज या विश्व- विद्यालय की शिक्षा आम तौर पर तीन साल या आठ सत्रों की होती है , जबकि उच्च व्यावसायिक स्कूलों में यह तीन साल की है । इन उच्च व्यावसायिक स्कूलों के स्नातकों का समाज में व्यापक स्वागत किया जाता है ।