चीनी जड़ी-बूटियों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन चीन के लोगों ने प्रकृति के साथ संघर्ष करने के क्रम में चीनी चिकित्सा का विकास किया। चीनी औषधि शास्त्र चीनी जाति की रंग-बिरंगी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण भाग है। हजारों वर्षों के विकास के बाद चीनी जड़ी-बूटी की एक विशेष व्यवस्था बन गयी है।
प्राचीन समय में चीनी जनता के पूर्वजों ने खाद्य पदार्थों की खोज करते-करते यह जानकारी प्राप्त की, कि कई खाद्य पदार्थ कुछ रोगों के प्रभाव को कम करने या उन्हें पूरी तरह दूर करने में सक्षम हैं। इस तरह चीन में जड़ी-बूटियों के प्रयोग की शुरुआत हुई। चीन के बुज़ुर्गों ने उत्पादन के दौरान यह भी देखा कि पत्थरों के प्रयोग से मानव शरीर के कई भागों में लगी चोटों का दर्द दूर किया जा सकता है। इस से एक्यूपंक्चर की व्यवस्था आरंभ हुई। चीन में मालिश का इतिहास भी बहुत पुराना है। ईसा पूर्व तीन हज़ार में चीनी चिकित्सा में मालिश का प्रयोग रोगियों के दर्द को दूर करने में किया जाता था।
चीन एक विशाल देश है। चीन में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के संसाधन भी विविध हैं। इन में वनस्पति,जानवर तथा खनिज शामिल हैं। प्राचीन चीनी ग्रंथों में दर्ज़ की गई जड़ी-बूटियों की संख्या तीन हज़ार से भी ज्यादा है। इन मूल्यवान जड़ी-बूटियों के विकास और प्रयोग का इतिहास भी पुराना है। इस से चीनी औषधिशास्त्र की वास्तविक बुनियाद बनी। पिछले हज़ारों वर्षों में चीनी वनस्पतियों, जानवरों तथा खनिजों से प्राप्त जड़ी-बूटियों ने विभिन्न रोगों की रोकथाम में भारी योगदान किया। चीन की अधिकतर जड़ी-बूटियां वनस्पति हैं और उन का प्रयोग भी बहुत साधारण है । इसलिए चीन की प्राचीन चिकित्सा को जड़ी-बूटी चिकित्सा कहा गया। लम्बे विकास के चलते चीनी औषधिशास्त्र के प्राचीन ग्रंथ व संबंधित दस्तावेज़ पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित रहे और उनका प्रचार-प्रसार होता रहा। चीनी औषधि ग्रंथों ने चीनी जनता की बुद्धि व चिकित्सा में भारी योगदान भी जाहिर किया। चीनी चिकित्सा शास्त्र जड़ी-बूटियों के अनुसंधान और उनके स्रोत, प्रयोग तथा उनसे दवा बनाने के उपाय आदि पर केंद्रित विशेष शास्त्र है।जड़ी-बूटी चीन के चिकित्सा शास्त्र का महत्वपूर्ण अंग मानी जाती है । चीनी औषधि के विकास में प्ये छ्वे, ह्वा थ्वो, चांग चोंग चिन और सुन सी म्याओ आदि बहुत मशहूर चिकित्सकों ने योगदान किया। प्राचीन समय में उन्हें देवता माना जाता रहा।
पश्चिमी चीन के शान शी प्रांत की राजधानी शी आन एक प्राचीन शहर है। इस शहर का कोई दो हज़ार वर्षों का इतिहास है। शीआन में चीनी औषधि शास्त्र विकसित हुआ। इस शहर के केंद्र में स्थित चीनी औषधि अस्पताल बहुत मशहूर है। वह हर रोज़ हज़ारों रोगियों का इलाज करता है। प्रसिद्ध चीनी औषधि विशेषज्ञ डाक्टर काओ शांग लिन इसी अस्पताल में काम करते हैं। अपने पचास से ज्यादा वर्षों के व्यावसायिक जीवन में डाक्टर काओ शांग लिन ने कोई पांच लाख रोगियों का इलाज किया। चीनी जड़ी-बूटियों से डाक्टर काओ शांग लिन का गहरा लगाव है। उन्होंने कहा
"मेरे पिता शान शी प्रांत के मशहूर डाक्टर थे। पिता के असर से मेरी बचपन में ही चीनी चिकित्सा में रुचि जग गई थी। मुझमें अपनी मातृभूमि के प्राचीन चिकित्सा शास्त्र के प्रति गहरी भावना है।"
प्रसिद्ध चीनी औषधि विशेषज्ञ डाक्टर काओ शांग लिन का जन्म वर्ष 1928 में हुआ। वर्ष 1954 में उन्होंने शीआन मेडिकल कॉलेज से स्नातक होने के बाद चीनी जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में काम करना शुरू किया और आज 76 वर्षीय डाक्टर काओ शांग लिन को काम करते हुए 50 वर्ष हो गये हैं।इन पचास सालों में उन्होंने अनगिनत रोगियों का इलाज किया। चीनी चिकित्सा पद्धति के चार कदम हैं- देखना, एहसास करना, सवाल पूछना और जांच करना। इसमें देखने से मतलब है रोगी की शारीरिक स्थिति देखना, पूछने का अर्थ है रोगी से उसकी स्थिति पूछना और जांच करने का मतलब है रोगी से उस की रोग की जानकारी लेना। डाक्टर काओ शांग लिन बहुत स्नेहिल व्यक्ति हैं। इलाज के समय वे रोगियों के साथ बहुत धैर्य से बातचीत करते हैं । रोगियों का दर्द उन की स्नेहिल आवाज़ से ही बहुत कम हो जाता है। रोगी उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानकर उन के साथ मजे से बात करते हैं, जो उनके लिए हितकर होता ही है।
डाक्टर काओ शांग लिन चीनी औषधि से रोगियों का उपचार करने के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन वे एक साधारण डाक्टर की तरह काम करते हैं। चीनी जड़ी-बूटियों के इस विशेषज्ञ के पास हर रोज़ आने वाले रोगियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। अपने हर रोगी को संतुष्ट रखने के लिए वे रोजाना देर तक काम करते हैं। इसलिए पूरे शान शी प्रांत में वे विशेष रूप से मशहूर हैं। कई रोगी उन का नाम सुन कर प्रांत की दूर-दूर की कांउंटियों से अपना इलाज कराने राजधानी शीआन आते हैं। रोगियों के समर्थन व विश्वास से डाक्टर काओ को और प्रेरणा मिलती है। वे ज्यादा से ज्यादा रोगियों का रोग दूर करना अपना कर्तव्य मानते हैं।
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