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(GMT+08:00) 2005-05-19 16:51:01    
पेइचिग में स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय का स्थल शीह्वांगसी मठ

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चीन की राजधानी पेइचिग में स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय का स्थल शीह्वांगसी मठ बहुत सुन्दर है। आप शायद जानना चाहें कि इस मठ की स्थापना कब की गई और किस ने की इस सुन्दर मठ की स्थापना। यह जानने के लिए आप हमारा आज का तिब्बत कार्यक्रम सुनते रहिए। तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो खुद आप को शीहानष मठ की कहानी सुनायेंगे । चीन की राजधानी पेइचिग में स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय का स्थल शीह्वांगसी मठ बहुत सुन्दर है। आप शायद जानना चाहें कि इस मठ की स्थापना कब की गई और किस ने की इस सुन्दर मठ की स्थापना। यह जानने के लिए आप हमारा आज का तिब्बत कार्यक्रम सुनते रहिए। तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो खुद आप को शीह्वांगसी मठ की कहानी सुनायेंगे । हमारी संवाददाता सुश्री ल्यू हवी का हमेशा से आप श्रोता दोस्तों की रुचि पर ध्यान रहा है। हाल ही में उन्हों ने तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो के साथ फोन पर बातचीत की। जीवित बुद्ध लेनपो पेइचिंग स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय के अनुसंधान विभाग के प्रधान हैं। उन्हें इस पद पर काम करते हुए सत्रह वर्ष हो चुके हैं। हमारे अनुरोध पर वे प्रसन्नता के साथ अपने विद्यालय के स्थल शीह्वांगसी मठ की कहानी सुनाने को राजी हो गए। उनके अनुसार शीह्वांगसी मठ का इतिहास लगभग तीन सौ वर्ष पुराना है। मित्रो जैसा कि आप जानते हैं तेरहवीं शताब्दी में तिब्बत चीन में शामिल हुआ। तब से अब तक तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। वर्ष सोलह बत्तीस में चीन के छिन राजवंश के प्रथम राजा शूनची ने विश्व की छत पर स्थित तिब्बती बौद्ध नेता पांचवें दलाई को राजधानी पेइचिंग की यात्रा का निमंत्रण किया । पांचवें दलाई ने खुशी-खुशी राजा शूनची के दर्शन की तैयारी शुरू की और तीन सौ से अधिक बौद्ध अनुयायियों को ले कर पेइचिग की तीर्थ यात्रा पर निकले। पेइचिग में राजा शूनची ने खुद पांचवें दलाई के स्वागत की तैयारियां करने का आदेश दिया। प्रथम राजा शूनची ने के इसके लिए एक सुन्दर भवन की स्थापना भी कराई और उसे शीह्वांगसी मठ का नाम दिया। वर्ष सोलह बावन को छिन राजवंश के प्रथम राजा शूनची ने पेइचिंग के दक्षिण में पांचवें दलाई के स्वागत में एक शानदार समारोह का आयोजन भी किया। तब पांचवें दलाई ने कई सुन्दर उपहार राजा शूनची को अर्पित किये जिन में हीरे-मोती ही नहीं तिब्बत के बढ़िया घोड़े भी शामिल थे। अगले दिन पांचवें दलाई नवस्थापित शीहानष मठ में जा बसे।इस तरह शीह्वांगसी मठ पांचवें दलाई का निवासस्थान बन गया। पांचवें दलाई ने अनेक बार इस में प्रार्थना सभा आयोजित की और बौद्ध धर्म का प्रचार किया। तब से तीन सौ वर्षों से अधिक का समय बीत चुका है पर शीह्वांगसी मठ वैसे का वैसा है । वर्ष उन्नीस सौ सत्तासी में दसवें पंचन लामा के आदेश पर शीह्वांगसी मठ में तिब्बती बौद्ध विद्यालय की औपचारिक स्थापना की गयी। इसको भी सत्रह वर्ष बीत चुके हैं और इस विद्यालय का बड़ा विकास हुआ है। पता चला है कि इधर के वर्षों में पेइचिग के तिब्बती बौद्ध विद्यालय ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बहुत से सुयोग्य व्यक्ति तैयार किये।तिब्बती जीवित बुद्ध लापू को कुछ वर्ष पहले इस विद्यालय में पढ़ने का मौका मिला और उन्हों ने इस विद्यालय में बड़ी लगन से बौद्ध सूत्रों का अध्ययन किया । यहां से स्नातक होने के बाद वे अपने मठ सरा वापस लौट कर बौद्ध धर्म के प्रचार की कोशिश जारी रखे हुए हैं। मित्रो, तिब्बत का ल्हासा स्थित सरा मठ तिब्बत के प्रसिद्ध मठों में से एक है। उस का इतिहास छै सौ वर्ष पुराना है। अब उस में आठ सौ से अधिक लामा व भिक्षु रहते हैं। जीवित बुद्ध लापू इस मठ के प्रबंधकों में से एक हैं। उन की देखभाल में सरा मठ जीवनी शक्ति से ओतप्रोत रहता है । इधर के वर्षों में न जाने कितने लोग सरा मठ की यात्रा कर चुके हैं जिन में थाइलैड की राजकुमारी शिलिंथु भी शामिल रहीं। गत वर्ष जुलाई में राजकुमारी शिलिंथु ने सरा मठ की तीर्थ यात्रा की और इस मठ की प्रशंसा भी की। तीन महीने बाद यानी अक्तूबर माह में जीवित बुद्ध लापू समेत तीन तिब्बती जीवित बुद्धों ने थाइलैंड की यात्रा की। थाइलैंड में वे जहां भी गये वहां उन का स्वागत किया गया । थाइलैड की यात्रा के दौरान जीवित बुद्ध लापू ने बौद्ध धर्म के बहुत से अनुयायियों को अपने मठ सरा और पेइचिंग स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय के स्थल शीहानष मठ का परिचय दिया । उन का कहना है कि उन्हें पेइचिंग के शीह्वांगसी मठ स्थित तिब्बती बौद्ध विद्यालय में अच्छी शिक्षा मिली। वे पेइचिंग के तिब्बती बौद्ध विद्यालय के आभारी हैं । मित्रो, यहां बता दें कि हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो ने विश्व शांति, मातृभूमि की समृद्धि और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की प्रार्थना भी की। चीन लोक गणराज्य के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर हम ने तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो के साथ बातचीत पर आधारित एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। तब विश्व शांति, मातृभूमि की समृद्धि और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की जीवित बुद्ध लेनपो की प्रार्थना सारी दुनिया में गूंजी। आज हमारे कार्यक्रम में उनकी इस प्रार्थना की आवाज़ एक बार फिर गूंज रही है। विश्वास से भरी उन की आवाज़ से हमें शक्ति ही नहीं बहुत शांति भी मिली है। आज तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो ने हमें पेइचिंग के शीहानष मठ के बारे में जानकारी दी और विश्व शांति, मातृभूमि के विकास और चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की एकता की प्रार्थना की। हम तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो के आभारी हैं। मित्रो ,अगर आप तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो की कहानी सुनना चाहते हैं तो हमारा नियमित कार्यक्रम आज का तिब्बत सुनना न भूलें । निकट भविष्य में हम आप को तिब्बती जीवित बुद्ध लेनपो से एक बार फिर मिलवायेंगे और वे खुद आप को अपनी कहानी सुनायेंगे। आप का हमारे कार्यक्रम में स्वागत है । नीचे प्रस्तुत हैं तिब्बत स्वायत प्रदेश के विकास की कुछ खबरें । नव वर्ष के आगमन पर हमें चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश से एक के बाद एक अनेक खबरियां मिलीं। छिंग हाई तिब्बत रेल मार्ग का निर्माण समय से पहले समाप्त होगा ।स्वायत प्रदेश में आदिम वन का क्षेत्रफल करीब तिहत्तर लाख हैक्टर है। इधर के वर्षों में स्वायत प्रदेश के वन विभाग ने प्राकृतिक वन के संरक्षण में कारगर कदम उठाए, प्राकृतिक वन क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को बंद कर दिया गया। स्वायत प्रदेश में हरियाली का विस्तार हुआ है । वर्तमान में तिब्बत स्वायत प्रदेश में अनेक प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना की गई, इन का क्षेत्रफल देश के प्रकृति संरक्षण क्षेत्र की एक तिहाई होती है। चीन की केन्द्रीय सरकार की वित्तीय सहायता में स्थापित वन्य पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए भत्ता कोष हाल में तिब्ब्त में औपचारिक रूप से काम में लाया गया है , तिब्बत की दस लाख हैक्टर भूमि इस व्यवस्था के तहत प्रथम खेप के रूप में रखी गई है । सूत्रों के अनुसार इस भत्ता कोष से राजकीय वन्य फार्मों , प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों , कस्बों और ग्रामों तथा व्यक्तिगत संरक्षकों को क्षति आपूर्ति दी जाएगी । कोष वन्य पारिस्थितिकी क्षेत्रों की देखरेख करने वाले लोगों को विभिन्न खर्चों के लिए वित्तीय भत्ता देगा । विशेषज्ञों के अनुसार इस व्यवस्था की स्थापना से तिब्बत में कमजोर पारिस्थितिकी के सुधार तथा पठारी वन्य क्षेत्रों के निरंतर विकास के लिए सकारात्मक भूमिका अदा की जाएगी । चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के वन प्रशासन ने जानकारी दी कि पिछले सात वर्षों में केन्द्र सरकार और स्वायत प्रदेश सरकार ने तिब्बत स्वायत प्रदेश के वनरोपण में अस्सी करोड़ य्वान की धनराशि लगायी।